दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सबसे अच्छे भारतीय कार्टून।
चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट,ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर, और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।
मुख्य कार्टून में, टाइम्स ऑफ इंडिया में संदीप अध्वर्यू ने भारत में न्याय प्रणाली की स्थिति परएक शानदार चुटकी ली है। उन्होंने यह दर्शाया है कि न्याय के पहिये महज एक भ्रम मात्र हैं जो अंधी आखों (आंखों पर पट्टी) वाले कानून द्वारा संचालित हैं।
ज्यादातर कार्टून2007केहैदराबाद के मक्का मस्जिद विस्फोट के आरोपियों की दोषमुक्ति पर फिट बैठते हैं। एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत ने गवाहों की कमीं का हवाला देते हुए उन्हें रिहा कर दिया।विस्फोट में 9 लोग मारे गए थे और 53 अन्य घायल हुए थे।
कार्टूनिस्ट सजिथ कुमार ने आतंकवाद से निपटने के लिए भगवा पिचकारी के साथ इस मामले में दोषसिद्धि के लिए एनआईए की विफलता पर टिप्पणी की।मिड-डेमें मंजुल ने फैसले के बाद परिणाम में न्यायाधीश को दर्शाया जो अपने उपकरण ढूंढ़ने के लिए चल रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस में ई पी उन्न्ईदर्शाते हैं कि एकमात्र सरकारी संस्थान जो अब एक मजाक बन गया है वह मौसम विभाग है। मौसम विभाग ने हाल ही में इस वर्ष के लिए एक सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है, लेकिन अतीत में कई बार गलत भविष्य वाणियों के कारण मौसम विभाग का मजाक उड़ाया जा चुका है।
द हिंदू में सुरेंद्र कहते हैं कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का समय कई राजनीतिक संकटों से निपटने के लिए चल रहा है।