दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सबसे अच्छे भारतीय कार्टून।
चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट, ऑनलाइन या सोशल मीडिया और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।
कठुआ और उन्नाव में बलात्कार के मामलों ने भारतीयों में दहशत पैदा कर दी है और कई लोगों ने इन जघन्य अपराधों के बारे में राजनीतिक वर्ग को न बोलने के लिए उनकी कड़ी आलोचना की है। प्रमुख कार्टून में, टाइम्स ऑफ इंडिया में संदीप अध्वर्यु ने बेटी बचाओ अभियान के खोखले वादों पर प्रकाश डालते हुएउन्नाव और कठुआ के मामलों पर तंज कसा है।
बीबीसी हिंदी में कीर्तीश भट्ट ने प्रधानमंत्री की नैतिक छवि तथा कठुआ और उन्नाव के मामलों पर एक भी शब्द न बोलने की असमर्थता पर प्रहार किया है।
न्यूज 18 में मीर सुहैल ने जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के दावे का तिरस्कार किया, महबूबा मुफ्ती ने बलात्कारियों को सजा दिलाने का वादा किया था और इन्होंने यहाँ तक कहा था कि अगर कोई कार्रवाई न की गई तो वह पीडीपी-बीजेपी गठबंधन को खत्म कर देंगी।
एशियन एज न्यूज में गोकुल गोपालकृष्णन ने सचित्र व्याख्या करते हुए यह बताया है कि भले ही मोदी का उपवास समाप्त हो गया हो, लेकिन उन्नाव और कठुआ पर उनकी चुप्पी काफी निराशाजनक है।
कार्टूनिस्ट स्वाती वंदलामुडी ने दिखाया है कि सीता बहुत ही असंतुष्ट मन से, राम को बताती हैं कि अपने भक्तों द्वारा परेशान किये जाने की तुलना में रावण द्वारा उनका अपहरण ही बेहतर है।
सिफी में सतीश आचार्य ने सचित्र व्याख्या करते हुए यह बताया है कैसे ‘निर्भया’ मामले पर राष्ट्रीय आक्रोश से एक निर्भया अधिनियम की रचना की गई थी,लेकिन अधिकांश मामलों में यह लागू नहीं हुआ तथा कठुआ और उन्नाव पीड़ितों में यह अधिनियम बेअसर रहा।
मिड-डे में मंजूल ने नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोहनदास करमचंद गाँधी के नाम को कई बार गलत तरीके से उच्चारण करने पर मजाक उड़ाया है।