दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सबसे अच्छे भारतीय कार्टून।
चयनित कार्टून पहले अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किए जा चुके हैं जैसे प्रिंट, ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर, और इन्हें उचित श्रेय भी मिला है।
इंदौर के कार्टूनिस्ट लहरी द्वारा अग्रणी कार्टून में, भारत में नगदी संकट एक अत्यधिक हास्यजनक मोड़ लेता है। वे दिखाते हैं कि 500 रूपये के नोट, जो अब वैध मुद्रा नहीं हैं, अब नगदी की तंगी वाली एटीएम मशीनों से निकल रहे हैं।
मिड-डे में मंजुल सत्तारूढ़ पार्टी का नया आदर्शवाक्य दिखाते हैं : प्राचीन भारत को पुनः महान बनाओ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित पार्टी के कई लोग अतीत में बेतुके वैज्ञानिक दावे कर चुके हैं, जैसे ये दावा करना कि महाभारत काल में इन्टरनेट मौजूद था और हिन्दुओं के भगवान गणेश का अस्तित्व ये सिद्ध करता है कि शल्य चिकित्सा का आविष्कार भारत में हुआ था।
आलोक निरंतर, भारत के नए ‘मूक प्रधान मंत्री’ पर मजाक उड़ाते हैं। कठुआ और उन्नाव बलात्कार के मामलों के बारे में बोलने में प्रधानमंत्री के विलम्ब की आलोचना पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी की है, जिन्हें आम तौर पर एक निस्तब्ध नेता के रूप में चित्रित किया गया था।
नाला पोनप्पा सभी भारतीय दलों के पाखंड को दर्शाते हैं- जब वे वोट पाने के लिए बलात्कार और हत्या के आरोपों का सामना कर रहे मंत्रियों को टिकट देते हैं।
अंत में, सिफी में सतीश आचार्य भारत में आरोप-प्रत्यारोप पर परिहास करते हैं। देश में किसी के लिए भी सामान्य प्रतिक्रिया है: लेकिन उस अन्य मुद्दे का क्या? इस आरोप-प्रत्यारोप में, राजनीतिज्ञ सामान्यतयः बहुत सारे प्रश्नों को दफ़न कर देते हैं।