नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गायों की देखभाल, उनकी सुरक्षा और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना शुरू की है. इस योजना का मकसद गायों को राज्य की अर्थव्यवस्था और संस्कृति का अहम हिस्सा बनाना है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार, यह योजना राज्य के डेयरी विकास विभाग द्वारा तैयार की गई है.
इस योजना के तहत स्कूल पाठ्यक्रम में गाय शिक्षा और अनुसंधान को शामिल करने और ‘देशी’ गायों के ‘गौमूत्र’ को ‘चिकित्सा अनुसंधान’ के लिए 5 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदने का प्रस्ताव है.
शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गई इस योजना के तहत, विभाग ने मथुरा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय और पशु अनुसंधान संस्थान (DUVASU) से स्कूल छात्रों के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार करने को कहा है. पाठ्यक्रम तैयार होने के बाद, विभाग इसे शिक्षा विभाग को भेजेगा ताकि इसे औपचारिक रूप से पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सके.
दिप्रिंट से बात करते हुए, राज्य के डेयरी विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा, “हमने गायों को शिक्षा, अनुसंधान, चिकित्सा और कृषि से जोड़ने की योजना तैयार की है। यदि कोई छात्र शुरू से ही गायों के महत्व को समझता है, तो वह उनकी उत्पादकता को बेहतर ढंग से जान सकेगा. शुरू में, हम इसे प्राथमिक विद्यालयों में शुरू करने की योजना बना रहे हैं, फिर इसे माध्यमिक और उच्च शिक्षा में भी शामिल करेंगे.”
उन्होंने आगे कहा, “गाय पर आधारित कृषि हो, इसलिए गाय पढ़ाना आवश्यक है.”
मंत्री ने इस योजना का विवरण देते हुए कहा, “स्कूली पाठ्यक्रम के अलावा, हम देशी गायों के ‘गोबर’ और ‘गौमूत्र’ पर अनुसंधान को भी बढ़ावा दे रहे हैं. नई पीढ़ी को देशी गायों के ‘गौमूत्र’ के फायदों के बारे में जानकारी होनी चाहिए.”
उन्होंने बताया कि “हमने गुजरात की एक डेयरी कंपनी से बात की है, जिसने उत्तर प्रदेश में अपना प्लांट शुरू करने में रुचि दिखाई है. हम 5 रुपये प्रति लीटर की दर से ‘गौमूत्र’ खरीदेंगे, जो आयुर्वेदिक दवाओं और अन्य चिकित्सा अनुसंधानों के लिए उपयोगी होगा.”
उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 7,713 केंद्रों के माध्यम से 12.43 लाख से अधिक निराश्रित गायों को आश्रय दिया गया है. इसके अतिरिक्त, सरकार ने 543 बड़े गौ-संरक्षण केंद्रों के निर्माण को मंजूरी दी है, जिनमें से 372 पहले से ही चालू हैं.
इस योजना के तहत, सरकार ने प्रति गाय के रखरखाव भत्ते को 30 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये प्रतिदिन करने का भी निर्णय लिया है। सिंह ने बताया, “मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत, 1.05 लाख लाभार्थियों ने 1.62 लाख गायों की जिम्मेदारी ली है. प्रत्येक लाभार्थी को 1,500 रुपये प्रति माह प्रदान किए जाते हैं.”
DUVASU के पशु चिकित्सा औषधि और विषविज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित शुक्ला ने इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने कहा, “देशी गायों से प्राप्त उत्पादों का मूल्य संवर्धन किसानों की समग्र अर्थव्यवस्था और विकास को बढ़ावा दे सकता है.”
आवारा पशुओं के लिए योजना
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के बाद, एक और गंभीर समस्या सामने आई – आवारा मवेशियों की.
यह समस्या इतनी बढ़ गई कि दिसंबर में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे गौशालाएं बनाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया. NHAI ने कहा, “नेशनल हाईवे पर कई राज्यों में आवारा मवेशियों और जानवरों की आवाजाही से सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो रहा है.”
राज्य में विपक्ष ने भी इस मुद्दे को विधानसभा और सार्वजनिक सभाओं में उठाया.
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर कई आवारा मवेशियों के वीडियो साझा किए. बाद में, 2023 में, केंद्र सरकार ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत मुजफ्फरनगर में 5,000 गायों के लिए एक अभयारण्य बनाने की घोषणा की. इसके लिए राज्य सरकार ने पुरकाजी में 52 हेक्टेयर भूमि आवंटित की, और केंद्र के पशुपालन व मत्स्य मंत्रालय ने 63 करोड़ रुपये मंजूर किए.
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, अभयारण्य का काम शुरू हो चुका है, लेकिन आवारा मवेशियों की समस्या के स्थायी समाधान के लिए एक व्यापक योजना की जरूरत थी. इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ चर्चा के बाद नई योजना बनाई गई.
इस योजना के तहत, सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राजमार्गों के पास घूमने वाले मवेशियों को रात में दिखने के लिए रेडियम बेल्ट पहनाने की भी व्यवस्था की जाएगी.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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