नई दिल्ली: पीएम मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का भरोसा दिए जाने के बावजूद किसानों ने आज लखनऊ में पहले से तय महापंचायत आयोजित की. इस दौरान स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अहंकार की बीमारी है जिसे जनता को ठीक करना पड़ता है. वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार को कृषि कानूनों के नुकसान के बारे में समझाने में एक साल लग गए.
योगेंद्र यादव ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘मैं कहता था इस देश के प्रधानमंत्री को अहंकार की बीमारी लगी है. और अगर लोकतंत्र में प्रधानमंत्री बीमार हो जाए तो इलाज तो जनता को ही करना पड़ता है.’
यादव ने कहा, ‘पछले 70 साल में किसान ने वो जीत नहीं हासिल की जो इस किसान आंदोलन ने हासिल की है.’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री तपस्या का नाम न लें, तपस्या तो किसानों ने की है जो सर्दी, गर्मी, बारिश में डटे रहे. तपस्या उन 700 लोगों ने की है जो अमर शहीद किसान हमारे बीच नहीं हैं.
योगेंद्र ने कहा, ‘मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को हटाकर किसानों के ऊपर से मुसीबत टाली है. वह हमें इसका गिफ्ट यानि दान देना चाहते थे लेकिन किसानों ने लेने से मना कर दिया और कहा, हमें दान नहीं दाम चाहिए. हमें फसल के दाम की कानूनी गारंटी चाहिए.’
उन्होंने कहा, देशभर में किसानों पर दर्ज मुकदमे भी मोदी सरकार वापस ले और आदोंलन के दौरान मारे गाए किसानों के लिए मुआवजा दे ताकि हम उनके नाम पर स्मारक बना सकें.
योगेंद्र यादव ने अजय मिश्रा टेनी को लेकर कहा उसने अपराध की साजिश रची, उसे गिरफ्तार किया जाए. वह असली गुनहगार जो कि अभी भी मोदी के मंंत्रिमंडल में बना हुआ है.
सरकार को समझाने में एक साल लग गये कि कानून नुकसानदेह हैं: टिकैत
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि किसानों को सरकार को यह समझाने में एक साल लग गया कि उसके द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और अफसोस है कि उन्हें वापस लेते समय भी किसानों को बांटने की कोशिश की गई.
यहां किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, ‘उन्हें समझाने में हमें एक साल लग गया, हमने अपनी भाषा में अपनी बात कही, लेकिन दिल्ली में चमचमाती कोठियों में बैठने वालों की भाषा दूसरी थी. जो हमसे बात करने आए, उन्हें यह समझने में 12 महीने लग गये कि यह कानून किसानों, गरीबों और दुकानदारों के लिए नुकसान पहुंचाने वाले हैं.’
उन्होंने कहा, ‘वह एक साल में समझ पाये कि ये कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और फिर उन्होंने कानूनों को वापस लिया, उन्होंने कानूनों को वापस लेकर सही काम किया लेकिन किसानों को यह कहकर विभाजित करने की कोशिश की कि वे कुछ लोगों को कानूनों को समझने में विफल रहे, हम कुछ लोग हैं?’
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माफीनामे का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम माफी मांगने से नहीं बल्कि नीति बनाने से मिलेगा.
टिकैत ने इस दावे का भी विरोध किया कि एमएसपी के लिए एक समिति बनाई गई है. उन्होंने कहा कि यह असत्य है.
उन्होंने कहा, ‘2011 में, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वह उन मुख्यमंत्रियों की वित्तीय समिति के प्रमुख थे, जिससे भारत सरकार ने पूछा था कि एमएसपी के बारे में क्या किया जाना है? समिति ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को सुझाव दिया था कि एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की जरूरत है. इस समिति की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय में पड़ी है. किसी नयी समिति की जरूरत नहीं है और न ही देश के पास इतना ज्यादा समय है.’
टिकैत ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को देश के के सामने स्पष्ट जवाब देना होगा कि क्या वह उस समिति के सुझाव को स्वीकार करेंगे जिस समिति का वह हिस्सा थे.’
सरकार की हालिया घोषणा पर उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा किसानों ने नहीं बल्कि सरकार ने की है और किसानों के सामने कई मुद्दे हैं.
उन्होंने सरकार से कहा कि सरकार किसानों से उनसे जुड़े मुद्दों पर बात करे, हम दूर नहीं जा रहे हैं और पूरे देश में बैठकें होंगी और हम लोगों को आपके काम के बारे में बताएंगे.
टिकैत ने किसानों से कहा, ‘वे आप सभी को हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-सिख और जिन्ना में उलझाएंगे और देश को बेचते रहेंगे.’
(भाषा के इनपुट्स के साथ)