नई दिल्ली: दुनिया के कई देश कोरोनावायरस महामारी के कारण लॉकडाउन में है. ऐसे में काफी पहले से ही कहा जा रहा है कि इस समय किताबें पढ़ना सबसे अच्छा रहेगा जिससे लोगों की बोरियत भी कम होगी और काफी कुछ नया सीखने को भी मिलेगा.
ऐसी ही बातें विश्व पुस्तक दिवस के मौके पर फिर से आज होने लगी है और लोग सोशल मीडिया पर किताबें पढ़ने की सलाह दे रहे हैं और पसंदीदा किताबों के बारे में भी पूछ रहे हैं.
23 अप्रैल 1995 को सबसे पहले विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया था. तब से हर बरस ये मनाया जा रहा है.
द नोबेल प्राइज कमिटी ने ट्वीट कर रबींद्रनाथ टेगौर को कोट करते हुए कहा, ‘उच्च शिक्षा वो है जो न केवल सूचनाएं देता है बल्कि हमारी जिंदगी को शांतिप्रिय भी बनाता है’.
"The highest education is that which does not merely give us information but makes our life in harmony with all existence."
– Rabindranath Tagore, awarded the 1913 #NobelPrize in Literature. #WorldBookDay pic.twitter.com/6HGxOa3OIP
— The Nobel Prize (@NobelPrize) April 23, 2020
यूएन के सेक्रेटरी जनरल एंतानियो गुतारेस ने लिखा, ‘मेरी पूरी जिंदगी में किताबें हमेशा से मुझे सहज बनाने का जरिया रही हैं. मुश्किल समय में जैसा कि अभी है, किताबें अकेलेपन की भावना को खत्म कर सकती हैं. विश्व पुस्तक दिवस के दिन आइए पढ़ने की परिवर्तनकारी शक्ति का जश्न मनाएं’.
Throughout my life, books have always been a source of comfort for me.
In difficult times like these, books can help us disrupt feelings of isolation.
On #WorldBookDay let’s celebrate the transformational power of reading.https://t.co/8a9z1e7Rv8 pic.twitter.com/yz6a3yl6VV
— António Guterres (@antonioguterres) April 23, 2020
धर्मगुरु सदगुरु ने लिखा, ‘यदि आप किताब प्रेमी हैं तो लॉकडाउन अच्छा समय है. आप बिना अपनी कुर्सी से उठे पूरी दुनिया की सैर कर सकते हैं’.
If you’re a book lover, the lockdown is a good time; you can enjoy the vicarious pleasure of travelling the world without leaving your armchair. –Sg #WorldBookDay
— Sadhguru (@SadhguruJV) April 23, 2020
एक ट्विटर यूज़र जगन पातीमीडी ने एक फोटो शेयर की जो कि जापान की स्टेच्यू है. उसने लिखा, ‘आप कितने किलो के हो ये आपके वजन को तय नहीं करता बल्कि ये तय करता है कि आपने कितनी किताबें पढ़ी हैं’.
प्रकाशन समूह
किताबों के प्रकाशक समूह पेंग्विन ने ट्वीट कर लिखा, ‘हम पेंग्विन हैं और पेंग्विन हम सब है. कभी-कभी हमें जो चाहिए होता है वो किताबें होती हैं…और बस किताबें होती हैं…सही है न?’
We are Penguin and Penguin is us.?
Sometimes all you need is books…and more books. Right?#MemoriesWithPenguin #ReadFromHome #WorldBookDay pic.twitter.com/Z5FL2wCetT— Penguin India (@PenguinIndia) April 23, 2020
राजकमल प्रकाशन ने विश्व पुस्तक दिवस के मौके पर अपने पाठकों से उनकी पांच पसंदीदा किताबों के नाम पूछे हैं.
नेताओं ने भी किताबों को लॉकडाउन का सबसे अच्छा साथी बताया
छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री टीएस सिंहदेव ने लिखा, ‘अच्छी किताबें व्यक्ति की सबसे अच्छी दोस्त होती है’. इसे याद रखिए और लॉकडाउन का इस्तेमाल किताबों की सोहबत में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए कीजिए.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर विश्व पुस्तक दिवस की बधाई दी और कहा कि यह मौका है सदियों से लिखी गई कविताओं, फिक्शन, गद्यों का याद करने का. किताबें मानव सभ्यता, संस्कृति को समझने का एक जरिया है. किताबों को अपना साथी बनाएं.
My greetings on #WorldBookDay, wch is an occasion to celebrate prose,fiction,poetry – realm of written words across centuries. Books r a medium to experience vastness of human civilization,beauty of cultures & fathom depths of knowledge. Let books be ur partners in this #lockdown
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 23, 2020
नवीन पटनायक ने ट्वीट कर लिखा, ‘किताबें ज्ञान को बढ़ाता है, दिमाग को विस्तार देता है और हमारी कल्पनाओं को उड़ान देता है और हमारे लोगों और संस्कृति को समझने में मदद करता है. विश्व पुस्तक दिवस के दिन कोरोनावायरस महामारी से हुई आइशोलेसन की भावना को पढ़ने से हराएं’.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा, ‘किताबें हमेशा दोस्त होती हैं. किताबें दुनिया की हमारी समझ को बढ़ाने में और जिंदगी को समझने में मदद करती हैं’.
अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने कहा था, ‘किताबों से वफादार कोई भी दोस्त नहीं होता’.