नई दिल्ली: वीडियो कॉन्फ्रेंस, औचक दौरे, ऑफिस में रात गुजारना और पूजापाठ के लिए दो पल निकालना- नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के अधिकतर मंत्री कोविड-19 को लेकर 24 मार्च को अभूतपूर्व देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद से चैन की सांस नहीं ले पाए हैं.
मोदी सरकार के हर कैबिनेट मंत्री को 20 जिलों में लॉकडाउन संबंधी समन्वय का काम सौंपा गया है. इस तरह, अपने मंत्रालयों के रोज़मर्रा के कामकाज़ से जुड़ी बैठकों में भाग लेने के अलावा वे प्रतिदिन जिलों के अधिकारियों से भी बात करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर महामारी के खिलाफ अभियान में आए अवरोधों को हटाने के प्रयास भी करते हैं.
साथ ही, कई मंत्री कोरोनावायरस को लेकर जागरूकता फैलाने और सामाजिक दूरी के महत्व पर ज़ोर देने के लिए ट्विटर पर भी बहुत सक्रिय हैं.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कोविड-19 के खिलाफ़ लड़ाई में मंत्रियों को केंद्र सरकार और राज्यों के बीच संपर्क सेतु बनाया गया है.’
ज़िम्मेदारियों को लेकर तत्पर
राज्यों के साथ समन्वय करते हुए आवश्यक वस्तुओं की बेरोकटोक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गठित मंत्रियों के 15 सदस्यीय टास्क फोर्स के प्रमुख रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ज़मीनी स्थिति के आकलन के लिए अपने सहयोगियों के साथ अपने निवास पर नियमित बैठकों में भाग लेते हैं.
एक अन्य सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘टास्क फोर्स को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति व्यवस्था की दैनिक समीक्षा करने और लॉकडाउन के कारण आने वाले अवरोधों को दूर करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.’
लखनऊ से सांसद सिंह को उत्तर प्रदेश के 20 जिलों की भी जिम्मेदारी दी गई है और वे इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों के साथ भी नियमित बैठकें करते हैं. सारी अतिरिक्त ज़िम्मेदारियां उन्हें देश के रक्षा मंत्री का दायित्व निभाते हुए पूरी करनी पड़ रही हैं. यानि उन्हें अपने मंत्रालय से जुड़ी बैठकों में भी भाग लेना होता है. उदाहरण के लिए, गत सप्ताह उन्होंने महामारी से निपटने की तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए सशस्त्र सेनाओं के प्रमुखों और अपने मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठकें की थीं.
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केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में लॉकडाउन के प्रयासों की निगरानी की शीर्ष ज़िम्मेदारी अमित शाह की है. स्थिति पर नज़र रखने के लिए बाहर तो उनकी व्यस्तता है ही और इसके अलावा वह घर से भी काम कर रहे हैं. उन्होंने कोरोनावायरस से जुड़ी तमाम सूचनाओं पर नज़र रखने के लिए नॉर्थ ब्लॉक में चार नियंत्रित कक्ष स्थापित किए हैं. उल्लेखनीय है कि शुक्रवार दोपहर तक कोविड-19 के देशभर में 2,088 सक्रिय मामले थे और इसके कारण 56 लोगों की मौत हो चुकी थी.
गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि शाह एक दिन ‘औचक निरीक्षण’ के लिए आ गए ये देखने कि नियंत्रण कक्षों में सबकुछ ठीक तो चल रहा है. शाह ने अपने दो जूनियर मंत्रियों जी. किशन रेड्डी और नित्यानंद राय को नियंत्रण कक्षों के चौबीसों घंटे प्रबंधन की ज़िम्मेदारी सौंपी है. मंत्रालय के उक्त सूत्र के अनुसार, ‘वे 12 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं और नॉर्थ ब्लॉक में ही सोते हैं.’
दी गई ज़िम्मेदारियों को निभाने के साथ ही कई मंत्रियों ने जनता की मदद के विभिन्न अभिनव तरीकों को भी अपनाया है. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने निवास पर मिनी कंट्रोल रूम जैसी व्यवस्था कर रखी है, जिसे स्वयंसेवकों का एक समर्पित दल संचालित करता है.
शेखावत ने अपने परिचितों के ज़रिए प्रसारित एक वीडियो क्लिप में अपना मोबाइल नंबर दिया है और साथ में ये संदेश कि भोजन और आवास संबंधी समस्या आने पर देश के किसी भी हिस्से के लोग उन्हें कॉल कर सकते हैं.
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे व्यक्ति को सिर्फ अपना नाम, पता, फोन नंबर देना और ज़रूरतमंद लोगों की संख्या बतानी होती है. इसके बाद टीम सहायता सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों के साथ समन्वय करती है.’ मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल को स्कूलों को लेकर महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी सौंपी गई है क्योंकि लॉकडाउन के रहते नया सत्र शुरू हो रहा है. पोखरियाल घर पर रहकर ही स्थिति की निगरानी कर रहे हैं.
वह अधिकारियों से अपने निवास पर ही मिलते हैं और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े अहम निर्णयों के संबंध में वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग का भी सहारा लेते हैं– मामला प्रतियोगिता परीक्षाओं के स्थगन का हो या सीबीएसई को निर्देश देने का कि वह 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए सिर्फ उन्हीं विषयों की परीक्षाएं आयोजित करे जो आगे की पढ़ाई के लिए प्रोन्नत किए जाने और उच्चतर शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए अहम हैं.
इन बैठकों के बीच पोखरियाल अपने दैनिक पूजापाठ के लिए भी थोड़ा समय निकालते हैं. पहली अप्रैल को उन्होंने नवरात्र पूजा करते हुए अपनी एक तस्वीर ट्वीट की थी.
नवरात्रि" के आठवें दिन (अष्ठमी) माँ की पूजा अर्चना कर आरती की एवं समस्त जगत के कल्याण के लिए माँ से प्रार्थना की। pic.twitter.com/FBDUzEB5at
— Dr Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) April 1, 2020
पूरे देश में यात्री ट्रेनों का परिचालन भले ही बंद हो लेकिन रेल मंत्री पीयूष गोयल के पास भरपूर काम है. वह रेल कोचों को क्वारेंटाइन वार्ड में तब्दील करने के सरकार के निर्देश का कार्यान्यवन सुनिश्चित कर रहे हैं और राज्यों को अनाज की आपूर्ति की व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं. दिल्ली से बाहर पदस्थापित अधिकारियों से साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बैठकें की जाती हैं.
फुर्सत का मौका नहीं
वैसे तो अधिकतर मंत्री अपने घरों पर रहकर काम कर रहे हैं पर वे प्रधानमंत्री के निवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर हर बुधवार को आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में भाग लेने जाते हैं. हालांकि इस सप्ताह ये बैठक नहीं हुई.
जिन मंत्रियों के पास घर से काम करने का विकल्प नहीं है उनमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्द्धन शामिल हैं. उनका मंत्रालय जनवरी से ही अत्यंत व्यस्त है जब भारत में कोविड-19 का पहला मामला सामने आया था.
स्वयं एक निपुण चिकित्सक हर्षवर्द्धन स्थिति पर नज़र रखने, विभिन्न बैठकों के आयोजन तथा कोविड-19 पर नियंत्रण एवं उपचार के प्रयासों के संबंध में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) समेत विभिन्न हितधारक मंत्रालयों और एजेंसियों से समन्वय के लिए रोज़ ऑफिस पहुंचते हैं.
शुक्रवार की सुबह हर्षवर्द्धन ने कोविड-19 मरीजों के उपचार की व्यवस्था का जायज़ा लेने के लिए नई दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सों के साथ बातचीत भी की.
स्वास्थ्य मंत्री देश में कोविड-19 के प्रकोप की समीक्षा, निगरानी तथा तैयारियों एवं उपायों के मूल्यांकन के लिए गठित मंत्रियों के समूह के प्रमुख हैं.
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इस समूह में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी, गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, जहाज़रानी तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख एल. मांडविया और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी शामिल हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्यालय निर्माण भवन में इनकी सप्ताह में कई दफे बैठकें हो रही हैं.
झारखंड में मौजूद जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा स्थानीय सांसदों के अलावा छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के सांसदों के भी संपर्क में हैं और इन राज्यों की स्थितियों पर नज़र रख रहे हैं.
मुंडा झारखंड के जनजातीय जिलों में खाद्यान्न वितरण के समय अधिकारियों के साथ होते हैं, जहां वह कोविड-19 और सामाजिक दूरी रखने के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने का काम भी करते हैं.
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