बेंगलुरू: स्टैनफोर्ड के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि किसी बच्चे के दिमाग को मां की आवाज बहुत भाती है, लेकिन आम तौर पर सिर्फ 12 साल की उम्र तक ही ऐसा होता है. अध्ययन के मुताबिक, किशोरों का दिमाग ‘अपरिचित’ या नई आवाजों पर समान प्रतिक्रिया देता है.
शोधकर्ताओं के मुताबिक, संभावित तौर पर यही व्यवहार में बदलाव को स्पष्ट करता है जो किशोरों को उम्र के इस पड़ाव में परिवार की तुलना में अपने साथियों के प्रति अधिक मिलनसार बनाता है और यहां तक कि उनके ‘किशोर विद्रोह’ की वजह भी है.
पिछले हफ्ते द जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित शोध के नतीजे बताते हैं कि 12 साल की उम्र तक मां की आवाज किसी बच्चे के मस्तिष्क के कई हिस्सों को विशेष तौर पर जागृत कर देती है, जिसमें रिवार्ड सर्किट भी शामिल है.
लेकिन 13 साल की उम्र के बाद न्यूरोएनाटोमिकल बदलाव इसे खत्म कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे नई आवाजों पर समान प्रतिक्रिया देने लगते हैं— खासकर परिवार के बाहर के लोगों की आवाजों पर.
यह अध्ययन फंक्शनल एमआरआई या एफएमआरआई का उपयोग करके किया गया था, जो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की स्थिति का पता लगाता है और साथ ही न्यूरल एक्टिविटी भी ट्रेस करता है.
सामाजिक अनुभूति और किशोर मस्तिष्क में तेजी से होने वाले परिवर्तनों को गहराई से समझने के अलावा इन निष्कर्षों से समाज में बुरी नजर से देखी जाने वाली ऑटिज़्म जैसी बीमारियों पर और शोध में मदद मिलने की उम्मीद है.
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‘सोशल ब्रेन’ का विकास
मस्तिष्क संबंधी गतिविधियों का पता लगाने के लिए दो हिस्सों में किए गए इस अध्ययन के तहत स्टैनफोर्ड के शोधकर्ताओं ने 7 से 16 वर्ष की आयु के वालंटियर नामांकित किए. जिनकी देखभाल मौजूदा समय में उनकी अपनी जैविक मांएं कर रही हैं.
बच्चों और किशोरों के समक्ष अलग-अलग आवाजों में अस्पष्ट शब्दों की रिकॉर्डिंग केवल एक सेकंड के लिए चलाई गई और शोधकर्ताओं ने इस दौरान एफएमआरआई का इस्तेमाल करके उनके दिमाग की गतिविधियों का अध्ययन किया और उसकी इमेजिंग तैयार की.
टीम ने पूर्व में पाया था कि 7 से 12 साल की उम्र के बीच के बच्चों के दिमाग की ट्यूनिंग उनकी मां की आवाज से बहुत अच्छी होती है और यह कि शिशु, बच्चे और पूर्व-किशोर अपनी मां की आवाज को अत्यधिक सटीक तरीके से पहचान सकते हैं. निष्कर्ष बताते हैं कि यह प्रतिक्रिया ऐसी होती है कि मां की आवाज सुनते ही बच्चे के मस्तिष्क के कई हिस्से सक्रिय हो जाते हैं— जो कि रिवार्ड सर्किट, भावनात्मक सक्रियता और सूचना-प्राथमिकता से जुड़े होते हैं.
नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि यह घटना तब नहीं होती है जब बच्चा 13 वर्ष की आयु में पहुंच जाता है और तब इसके बजाये बच्चे का मस्तिष्क अपरिचित आवाजों के साथ ट्यून इन करना शुरू कर देता है, जो उन्हें ज्यादा लुभाती है.
लेखकों ने यह बात रेखांकित की कि किशोर मस्तिष्क सभी आवाजों में ट्यून इन करते हैं क्योंकि उनकी सामाजिक अनुभूति का विस्तार हो रहा होता है. हालांकि, किशोर वय में भी बच्चे एकदम सटीक ढंग से अपनी मां की आवाज पहचानना जारी रखते हैं, लेकिन रिवार्ड सर्किटरी केवल उन्हीं अपरिचित आवाजों पर सक्रिय होती है जो परिवार के बाहर होती हैं.
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