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Saturday, 21 December, 2024
होमदेश'महिलाएं देवी मानी जाती हैं, फिर भी करते हैं बलात्कार', दो दोषियों को मौत की सजा सुनाते हुए UP कोर्ट ने कहा

‘महिलाएं देवी मानी जाती हैं, फिर भी करते हैं बलात्कार’, दो दोषियों को मौत की सजा सुनाते हुए UP कोर्ट ने कहा

उन्हें एक नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार और क्रूरता का दोषी ठहराया गया था. न्यायाधीश श्रीवास्तव ने कहा कि यह ‘रेयरस्ट ऑफ रेयर’ मामला है, समाज पर धब्बा है और माता-पिता की शांति के लिए दोषियों को कड़ी सजा देना जरूरी है.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की एक अदालत ने बुधवार को हलीम उर्फ खरबर और रिजवान नाम के दो युवकों को एक नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार और क्रूरता के आरोप में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई. फैसले में कहा गया कि ‘जिस तरह से अपराध किया गया है उसके लिए कोई सजा पर्याप्त नहीं है.’

पॉक्सो कोर्ट के अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने 2 नवंबर के फैसले में एक महिला के शरीर की तुलना ‘मंदिर’ से करते हुए कहा, ‘एक महिला का शरीर एक मंदिर की तरह होता है और एक महिला ही यह तय कर सकती है कि इसमें कौन आ सकता है. किसी को भी उसके साथ जबरदस्ती करने का अधिकार नहीं है.’

अदालत ने इसे ‘दुर्लभ से दुर्लभतम मामला’ बताते हुए कहा कि इन लोगों ने न सिर्फ उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया, बल्कि उसके शरीर के साथ क्रूरता भी की और उसे मरा हुआ समझकर रेलवे ट्रैक के पास छोड़ कर भाग गए.

फैसले के अनुसार, बलात्कार के दोषियों ने उसके सिर पर चोटें भी मारीं, जिससे उसका चेहरा विकृत हो गया. इसके चलते नाबालिग बलात्कार पीड़िता ने जीवन भर के लिए अपनी बाईं आंख की रोशनी खो दी. दस पन्नों के आदेश में कहा गया है कि उन्होंने उसके हाथ-पैरों पर भी बुरी तरह से चोट पहुंचाई और उसका दाहिना घुटना तोड़ दिया.

जज श्रीवास्तव ने फैसले में कहा, ‘यह कृत्य उनके मानसिक दिवालियापन और महिलाओं के प्रति उनकी सोच को दर्शाता है और साथ ही ये भी कि वे किस हद तक जा सकते हैं… यह समझ से परे है कि ये पुरुष नाबालिग के साथ जानवर जैसा व्यवहार क्यों कर रहे थे. ऐसी क्रूरता तो जानवरों के खिलाफ भी नहीं की जाती है.’


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महिलाओं को देवी माना जाता है?

न्यायाधीश ने कहा, ‘यह एक अजीब विडंबना है कि भारत जैसे देश में जहां शक्ति के लिए दुर्गा, ज्ञान के लिए सरस्वती की पूजा की जाती है, जहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के पदों पर महिलाएं विराजमान हो रही हैं, वहां एक नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. इस तरह की जघन्य क्रूरता, पूरे सामाजिक ढांचे पर सवाल खड़ा करती है.’

कोर्ट ने कहा, ‘अगर हम ऐसे दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा नहीं देते हैं, तो हर माता-पिता इस डर के साये में जीते रहेंगे कि कहीं वह ऐसे शिकारियों का शिकार न बन जाएं.’

उन्होंने कहा, ‘जब भी पीड़िता खुद को आईने में देखेगी, तो उसे इस बात का अफसोस होगा कि वह इस दुनिया में बेटी के रूप में क्यों पैदा हुई. लोग एक बार मरते हैं, पीड़िता हजारों, लाखों बार मरेगी.’

हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई की कि नाबालिग समय के साथ अपने दुख को भूलने और एक अच्छा जीवन जीने की कोशिश करेगी और आत्महत्या जैसे ‘कायरतापूर्ण कदम’ उठाने का प्रयास नहीं करेगी.

पीड़िता का पुनर्वास

अदालत ने बलात्कारियों को 50,00 रुपये के जुर्माने के साथ जेल में बिताए गए समय को छोड़कर 31 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई.

अदालत ने प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी को राज्य की रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष योजना के तहत नियमानुसार पीड़िता को मुआवजा देने और आदेश की तारीख से एक महीने के भीतर यह सूचित करने का भी निर्देश दिया कि पीड़ित को मुआवजा दिया गया है या नहीं.

कोर्ट ने दोषियों को शारीरिक चोट और मानसिक आघात पहुंचाने के एवज में नाबालिग पीड़िता को पुनर्वास के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 357 के तहत एक लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया.

एक नाबालिग पर भी आरोप

संयुक्त अभियोजन निदेशक हवलदार सिंह के अनुसार युवती के भाई ने 30 दिसंबर 2021 को नवाबगंज थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि उसकी बहन 27 दिसंबर को गांव की दुकान पर गई थी. तब आरोपियों ने उसका अपहरण कर लिया और उसे लेकर रेलवे ट्रैक के पास ले गए. उन्होंने वहां उसके साथ बलात्कार किया और उसे बेरहमी से पीटा भी.

उसे अचेत अवस्था में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कलाकांकर लाया गया था. वहां डॉक्टरों ने उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए एसआरएन मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया.

पांच दिनों के बाद पीड़िता को होश आया और उसने तीन आरोपियों- अमन उर्फ कासिम, रिजवान और हलीम को नामजद किया. इनमें से अमन को नाबालिग पाया गया और उसका मामला एक जुवेनाइल कोर्ट में भेज दिया गया. फिलहाल वहां उस पर मुकदमा चल रहा है.

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