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Sunday, 22 December, 2024
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ऑटो उद्योग में मंदी के बीच ट्रैक्टरों की बिक्री में तेजी क्यों नजर आ रही है

भारत में ट्रैक्टर की बिक्री में इस साल अप्रैल से नवंबर तक में 28% वृद्धि दर्ज की गई. विशेषज्ञ बेहतर मानसून, लोन और फिनांस की उपलब्धता और शादियों पर कम खर्च को इसका श्रेय देते हैं.

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नई दिल्ली: भारत में ट्रैक्टर की बिक्री में इस साल अप्रैल से नवंबर तक सालाना आधार पर 28.7 प्रतिशत की वृद्धि नजर आई है. यह वृद्धि ऐसे समय दर्ज की गई है जब महामारी के कारण ऑटो उद्योग मंदी से जूझ रहा है. अकेले नवंबर में ट्रैक्टर की बिक्री में 51.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.

ट्रैक्टर एंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन (टीएमए) के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में 82,330 ट्रैक्टर बेचे गए, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 54,432 था.

टीएमए के मुताबिक ट्रैक्टर की बिक्री में वृद्धि जनवरी से सितंबर माह की अवधि के दौरान भी हुई जिसमें महीनों लंबे लॉकडाउन की अवधि भी शामिल है. इस अवधि के दौरान देशभर में 5,43,936 ट्रैक्टर बेचे गए, जो एक साल पहले इसी अवधि में बिके 5,19,395 ट्रैक्टर की तुलना में लगभग 4.72 प्रतिशत ज्यादा थे.

इसके अलावा, ट्रैक्टरों की मांग उनके कुल उत्पादन की संख्या के करीब या उससे अधिक ही रही. टीएमए के अनुसार, नवंबर में बिक्री के आंकड़ों कुछ ही ज्यादा रही यानी 90,327 ट्रैक्टरों का उत्पादन किया गया था. अक्टूबर में 1,08,873 ट्रैक्टर का उत्पादन हुआ जबकि 1,23,883 ट्रैक्टर बेचे गए.

लेकिन एक तरफ जहां ट्रैक्टरों की बिक्री में तेजी से वृद्धि दिखी, बाकी ऑटो उद्योग में वृद्धि सुस्त ही रही. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में यात्री वाहनों में 4.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि तिपहिया और दोपहिया वाहनों में क्रमश: 64.98 प्रतिशत और 21.40 प्रतिशत की गिरावट दिखी. पिछले महीने दोपहिया वाहनों में 26.82 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि तिपहिया वाहनों की बिक्री 64.50 प्रतिशत तक गिर गई थी.

Graphic: Ramandeep Kaur/ThePrint


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मानसून, छूट और शादियां

उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि ट्रैक्टर की मांग में वृद्धि का श्रेय अच्छे मानसून, बेहतर वित्तीय उपलब्धता और शादियों पर खर्च कम होने को दिया जा सकता है.

ट्रैक्टर निर्माता सोनालिका इंडस्ट्रीज के कार्यकारी निदेशक अक्षय के सांगवान ने कहा, ‘इस साल ट्रैक्टर की मांग बढ़ने की वजह काफी हद तक अच्छा मानसून, बेहतर रिटेल फाइनेंस की उपलब्धता, बढ़ी एमएसपी और बाजार दरों की प्राप्ति से प्रेरित है.’ उन्होंने यह भी कहा कि ये रुझान भारत तक सीमित नहीं थे क्योंकि निर्यात बाजारों में भी वृद्धि दिखी है.

सोनालिका ने नवंबर में 11,478 ट्रैक्टर बेचे, जिसमें पिछले साल की तुलना में 71 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अप्रैल से नवंबर के बीच कंपनी ने 92,913 ट्रैक्टर की बिक्री दर्ज की.

सांगवान को अगले वित्तीय वर्ष को लेकर भी खासी उम्मीदें हैं. उन्होंने कहा, ‘अच्छी बारिश ने आने वाले सीजन में भी अच्छा उत्पादन होना सुनिश्चित किया है. इसलिए, हम अगले साल भी इस सेगमेंट में जोरदार मांग जारी रहने की उम्मीद कर रहे हैं.’

एक अन्य प्रमुख ट्रैक्टर निर्माता एस्कॉर्ट्स लिमिटेड ने नवंबर में घरेलू बिक्री में लगभग 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. एस्कॉर्ट्स के ग्रुप चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर भरत मदान ने इसके पीछे के कारण बताते हुए कहा, ‘एक तो शहरी क्षेत्रों की तुलना में कृषि क्षेत्र महामारी से उतना ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ.’ उन्होंने कहा कि पिछले दो माह में अच्छी वृद्धि अच्छी से पता चलता है कि पिछले सीजन में फसल अच्छी हुई है.

कृषि विशेषज्ञ बिक्री बढ़ने को कृषि ऋण माफी से जोड़कर देख रहे हैं.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हिमांशु ने कहा, ‘यदि आप दीर्घकालिक प्रवृत्ति देखें तो ट्रैक्टर की बिक्री में काफी समय से गिरावट आ रही थी. इसमें पिछले दो सालों में वृद्धि नजर आई है जो आंशिक तौर पर ऋण माफी से जुड़ी है क्योंकि इसने अधिक किसानों को कर्ज लेने की ओर अग्रसर किया और दूसरा ब्याज दर भी कम है.’

इसके पीछे कुछ अन्य समाजशास्त्रीय फैक्टर भी हैं. पूर्व केंद्रीय कृषि सचिव सिराज हुसैन, जो अभी आईसीआरआईईआर नामक थिंक-टैंक में विजिटिंग सीनियर फेलो के रूप में कार्यरत हैं, ने कहा कि उद्योग और किसानों ने उन्हें इस वृद्धि के पीछे एक ‘दिलचस्प कारण’ बताया है.

हुसैन ने बताया, ‘इस साल कोविड-19 महामारी के कारण विशेषकर लॉकडाउन के दौरान शादियों पर लोगों का खर्च सामान्य से बहुत कम रहा. चूंकि वह इसमें काफी पैसा बचा पाए इसलिए अपनी बचत का काफी हिस्सा उन्होंने ट्रैक्टर खरीदने में खर्च किया.’

Graphic: Ramandeep Kaur/ThePrint


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राज्यों में बिक्री

एफएडीए के अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा 10,373 ट्रैक्टरों का रजिस्ट्रेशन उत्तर प्रदेश में दर्ज किया गया. 7,857 के आंकड़े के साथ बिक्री के मामले में राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा. इसके बाद महाराष्ट्र में 6,659 ट्रैक्टर बिके.

विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण भारत के बाजारों में भी तेजी देखी गई है. मदान ने वृद्धि के इस ट्रेंड की पुष्टि करते हुए कहा, ‘हम दक्षिणी बाजार में भी तेजी से वृद्धि देख रहे हैं. पहले करीब छह महीनों में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे राज्यों में 46 प्रतिशत तक बिक्री बढ़ी है.’

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का अपने गृह राज्य लौटना उत्तरी राज्यों में ट्रैक्टर की बिक्री बढ़ने का कारण हो सकता है.

हिमांशु ने दोहराया, ‘पंजाब जैसे राज्यों में बहुत अधिक ट्रैक्टर हैं, जहां इसके बढ़ने की गुंजाइश नहीं है. अब, उन क्षेत्रों में मांग बढ़ रही है जहां मशीनीकरण उतना ज्यादा नहीं हो पाया है.’

पंजाब और हरियाणा में ट्रैक्टर की बिक्री में गिरावट

भारत में एग्रीकल्चरल हब माने जाने वाले पंजाब और हरियाणा में साल के शुरू में ट्रैक्टर की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है.

दिप्रिंट को मिले राज्यों के परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में इस साल 1 मार्च से 23 सितंबर के बीच 10,831 ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन हुआ, जबकि हरियाणा में इस अवधि में 17,824 ट्रैक्टर पंजीकृत किए गए. एक साल पहले इसी अवधि में, पंजाब में 12,443 ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन हुआ था, जबकि हरियाणा में यह आंकड़ा 23,124 था.

पंजाब के पूर्व कृषि सचिव कहन सिंह पन्नू ने कहा, ‘लोग यहां ट्रैक्टरों को बदल रहे हैं. वह अपना ट्रैक्टर बेच देते हैं ताकि पहले की तुलना में ज्यादा बेहतर ट्रैक्टर खरीद सकें.’

उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में अधिक ट्रैक्टर खरीदे जा रहे होंगे, लेकिन पंजाब और हरियाणा जैसे हब में कम से कम 50-60 हार्सपावर वाले ट्रैक्टर खरीदे जा रहे थे, जबकि अन्य राज्यों में 30 एचपी के ट्रैक्टर खरीदे जा रहे हैं.

कृषि विशेषज्ञ रमन एस. मान ने कहा, ‘पंजाब में 1 से 1.25 लाख ट्रैक्टरों की आवश्यकता के मुकाबले करीब 5 लाख ट्रैक्टर हैं, इसलिए कोविड के कायम अनिश्चितता के बीच नया ट्रैक्टर खरीदना प्राथमिकता में शामिल नहीं था.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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