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Saturday, 2 November, 2024
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कोरोना की चपेट में क्यों आ रहे हैं इतने सारे नेता, संक्रमण से बचने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए

राजनेताओं का कहना है कि सामाजिक संपर्क के स्तर पर लगातार सक्रिय रहने के कारण उनके कोविड के चपेट में आने का जोखिम ज्यादा है, स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी उनकी इस बात से सहमत हैं.

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नई दिल्ली/मुंबई: तेलंगाना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. हनुमंता राव अपने कामकाज के दौरान संक्रमण के शिकार हुए एक और राजनेता हैं. वह रविवार को कोरोनावायरस पॉजिटिव पाए गए.

दो दिन पहले ही मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक ओमप्रकाश सखलेचा कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे. उनके शुक्रवार को राज्यसभा चुनाव के लिए वोट डालने के कुछ समय बाद ही पॉजीटिव पाए जाने के कारण राज्य विधानसभा में साथ मौजूद रहे अन्य विधायकों को भी अपना टेस्ट कराना पड़ रहा है.

कांग्रेस के कुणाल चौधरी, जो शुक्रवार को मतदान के लिए पीपीई सूट पहन कर आए थे, के बाद सखलेचा मध्य प्रदेश में पॉजीटिव पाए गए दूसरे विधायक हैं. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और अब राज्यसभा सदस्य बन चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पहले कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन पिछले हफ्ते कोविड जांच में पॉजीटिव निकले थे. प्लाज्मा थेरेपी से स्वास्थ्य में सुधार दिखने से पहले हालत बिगड़ने पर उन्हें इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती कराना पड़ा था. जैन के अलावा राष्ट्रीय प्रवक्ता आतिशी समेत आप के चार विधायक संक्रमित हो चुके हैं. वहीं, भाजपा नेता और उत्तराखंड में मंत्री सतपाल महाराज, उनके कुछ परिजन और कर्मचारी भी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं.

अगर पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य में बात करें तो पार्षदों और विधायकों समेत दो दर्जन से ज्यादा नेता संक्रमित हुए हैं.

इसकी वजह से कुछ मौतें भी हुई हैं. तमिलनाडु में डीएमके के विधायक जे. अंबाजगन की 10 जून को कोविड-19 के कारण मौत हुई जबकि महाराष्ट्र में दो बार सांसद और दो बार विधायक रह चुके भाजपा के हरिभाई ज्वाले ने पिछले हफ्ते दम तोड़ दिया.

भारत में सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की गठबंधन सरकार के तीन कैबिनेट मंत्री, पूर्व सीएम अशोक चह्वाण, जितेंद्र अहवाण और धनंजय मुंडे, इस वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके हैं.

तो क्या राजनेताओं को कोविड-19 से ज्यादा खतरा है? यदि हां तो क्यों?


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समय के अनुरूप ढल रहे

महामारी हो या नहीं, सरकारी और सार्वजानिक बैठकों में हिस्सा लेना, राहत कार्यों में भागीदारी और अपने क्षेत्र के लोगों के साथ संपर्क में रहना राजनेताओं की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है.

दिप्रिंट से बातचीत में तमाम राजनेताओं ने कहा कि उनकी कार्यप्रणाली, जिसमें जनता के लगातार संपर्क में रहना शामिल है, अन्य लोगों की तुलना में उनके लिए ज्यादा जोखिमभरा साबित हो रहा है.

हालांकि, उनमें से कुछ ने बताया कि वह खुद को समय के अनुकूल ढाल रहे हैं और आवश्यक सावधानियां बरत रहे हैं.

महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष नवाब मलिक ने दिप्रिंट को बताया कि वह अब जिस तरह से काम कर रहे हैं, उसने उनके ऑफिस को पूरी तरह बदल दिया है.

मलिक ने बताया, ‘हमने लोगों से अपील की है कि अपनी समस्याएं लेकर निजी तौर पर मेरे पास या मेरे ऑफिस न आएं. इसकी जगह हमने उनसे ईमेल, व्हाट्सएप और फोन कॉल के जरिये संपर्क करने को कहा है. इससे पहले जहां मेरा ज्यादातर समय लोगों के साथ बैठकों में गुजरता था, वहीं अब फोन पर बात करने या व्हाट्सएप चेक करने में बीतता है.’

मलिक को धनंजय मुंडे के पॉजीटिव पाए जाने के बाद खुद को आइसोलेशन में रखना पड़ा था. उन्होंने बताया, ‘मैंने हाल में ही उनके साथ एक रैली में हिस्सा लिया था. जब सार्वजनिक जीवन में हों तो आपको इस तरह के सुरक्षात्मक उपाय करने पड़ते हैं.’

छत्तीसगढ़ से स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि महामारी ने राजनेताओं के लिए पहले की तरह बड़ी संख्या में अपने क्षेत्र के लोगों से मिलना मुश्किल कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘जनसंपर्क बुरी तरह प्रभावित हुआ है. आप नियमित तौर पर बाहर जाकर लोगों से मिल नहीं सकते हैं. हम केवल सीमित संख्या में ही लोगों से मिल पा रहे हैं और वह भी निश्चित दूरी बनाए रखते हुए और मिलने-जुलने से पहले और बाद में सभी सुरक्षा उपाय अपना रहे हैं.’

देव ने बताया कि यद्यपि उन्होंने नियमित तौर पर वर्चुअल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल शुरू किया है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ खुद संक्रमण की चपेट में आने का मसला नहीं है बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि दूसरे भी संक्रमित न हों. ऐसे मामले सामने हैं जिसमें मंत्री और नेता संक्रमित हुए और संभवत: अन्य लोगों को भी संक्रमित किया.’

संक्रमण के शिकार तमाम नेता गरीबों को राहत सामग्री बांटने के काम में शामिल रहे हैं. आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ पुष्ट नहीं है कि तेलंगाना कांग्रेस नेता हनुमंता राव वायरस की चपेट में कैसे आए लेकिन सूत्रों का कहना है कि वह बीमारी के मद्देनज़र नियमित रूप से राशन और राहत सामग्री बांटने में लगे थे.

राव के अलावा तेलंगाना में सत्तारूढ़ पार्टी टीआरएस के दो विधायक मूर्तिरेड्डी यदागिरी रेड्डी और बाजीरेड्डी गोवर्धन भी टेस्ट में कोविड-19 पॉजीटिव निकले हैं.

पश्चिम बंगाल से अग्निशमन एवं आपातसेवा मंत्री सुजीत बोस, जो पिछले महीने जांच में पॉजीटिव निकले, उन कुछ मंत्रियों में शुमार हैं जो पिछले महीने राज्य में तबाही मचाने वाले अम्फन चक्रवात के बाद सड़कों पर लोगों के बीच नज़र आए थे. बोस को शुरुआत में तो होम क्वारेंटाइन की सलाह दी गई थी लेकिन श्वास संबंधी दिक्कत बढ़ने पर उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया.


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अतिरिक्त सावधानी की जरूरत

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि नेताओं और लोकप्रिय हस्तियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है क्योंकि वे गैर-राजनीतिक व्यक्ति की तुलना में हर रोज ज्यादा लोगों के संपर्क में रहते हैं.

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के लाइफकोर्स एपिडेमोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. गिरिधर आर. बाबू कहते हैं कि कोविड-19 से बचाव के उपाय के कदम उठाना तो सभी के लिए समान रूप से जरूरी है, चाहे नेता और लोकप्रिय हस्तियां हों या नौकरशाह अथवा अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहे स्वास्थ्य कार्यकर्ता.

बाबू के मुताबिक, ‘लेकिन नेताओं और नौकरशाहों को दोहरी सतर्कता बरतनी चाहिए, क्योंकि वह ज्यादा लोगों से संपर्क में रहते हैं. नेतागण तो मास्क पहनने से भी कतराते हैं. उनके बीच एक आम धारणा है कि मास्क पहनना असहजता भरा होता है. इस तरह का रुख सही नहीं है.’

प्रोफेसर ने आगे कहा कि नेताओं के लिए खतरा इसलिए भी ज्यादा होता है क्योंकि उन्हें बंद कमरों में बैठकें करनी पड़ती है.

उन्होंने कहा, ‘इसलिए और भी जरूरी है कि मीटिंग चाहे बंद जगह में हो या खुले में सामाजिक दूरी का पूरी तरह पालन किया जाए.’

गुरुग्राम स्थित मेदांता के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन की प्रमुख डॉ. सुशीला कटारिया कहती हैं, ‘यह सही है कि नेताओं के लिए खतरा ज्यादा है लेकिन उनके लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) जैसी दवाएं निर्धारित करने का कोई तुक नज़र नहीं आता है.’


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कटारिया ने कहा, ‘एचसीक्यू की अनुशंसा सिर्फ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए की गई है. नेताओं जैसी लोकप्रिय हस्तियों के लिए हमारा सुझाव यही है कि जहां तक संभव हो लोगों के संपर्क में रहने से बचें. बैठकों के लिए ऑनलाइन विकल्प अपनाएं. हर समय मास्क पहनें खासकर अगर आप बाहर हैं या किसी मीटिंग में हिस्सा ले रहे हैं, सामाजिक दूरी का पूरी तरह पालन करें और समय-समय पर हाथों को धोते रहें. बचाव के लिए केवल यही उपाय अनुशंसित हैं.’

(पृथ्वीराज सिंह के इनपुट के साथ)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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