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Monday, 23 December, 2024
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जानिए क्यों नेपाल ने पतंजलि की दिव्या फार्मास्यूटिकल्स समेत 16 भारतीय फार्मा कंपनियों पर लगाई रोक

नेपाल ने हमारे इस पड़ोसी देश में अपने उत्पादों की आपूर्ति हेतु आवेदन करने वाली भारतीय दवा कंपनियों की विनिर्माण सुविधाओं का निरीक्षण करने के लिए इस साल अप्रैल और जुलाई में एक टीम भारत भेजी थी.

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नई दिल्ली: एक अप्रत्याशित कदम के रूप में नेपाल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित गुड मन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस (अच्छी विनिर्माण पद्धतियों) का अनुपालन करने की विफलता का हवाला देते हुए योग गुरु रामदेव की पतंजलि योग पीठ की सहायक कंपनी दिव्या फार्मास्यूटिकल्स और जानी मानी फार्मा फर्म कैडिला सहित 16 भारतीय दवा कंपनियों से दवाओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है.

नेपाल के ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग – दवाओं के लिए इस देश की नियामक संस्था – ने मंगलवार को उन भारतीय दवा कंपनियों की एक सूची प्रकाशित की जो डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों को पूरा नहीं करती हैं.

विभाग के एक प्रवक्ता संतोष केसी ने एक नेपाली दैनिक द काठमांडू पोस्ट को बताया, ‘उन दवा कंपनियों की विनिर्माण सुविधाओं के निरीक्षण के बाद, जिन्होंने अपने उत्पादों को हमारे देश में निर्यात करने के लिए आवेदन किया था, हमने ऐसी कंपनियों की एक सूची प्रकाशित की है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की गुड मन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस का पालन नहीं करते हैं.’

इस खबर के अनुसार, विभाग ने अपने औषधि निरीक्षकों (ड्रग इंस्पेक्टर्स) की एक टीम को अप्रैल और जुलाई के महीनों में भारत में उन दवा कंपनियों की निर्माण सुविधाओं का निरीक्षण करने के लिए भेजा था, जिन्होंने नेपाल को अपने उत्पादों की आपूर्ति करने के लिए आवेदन किया हुआ था.

गुड मन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस या जीएमपी ( जिन्हें ‘सीजीएमपी’ या करेंट गुड मन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस भी कहा जाता है) गुणवत्ता वाले आश्वासन का पहलू है जो यह सुनिश्चित करता है कि औषधीय उत्पादों को लगातार रूप से उनके इच्छित उपयोग के लिए उपयुक्त गुणवत्ता मानकों के साथ उसी तरह से उत्पादित और नियंत्रित किया जाता है और जैसा कि उस उत्पाद के विनिर्देश (प्रोडक्ट स्पेसिफिकेशन) के अनुसार आवश्यक है.

100 से अधिक देशों ने अपने राष्ट्रीय दवा कानूनों में डब्ल्यूएचओ के जीएमपी प्रावधानों को शामिल किया है, और कई अन्य देशों ने अपने स्वयं के राष्ट्रीय जीएमपी आवश्यकताओं को परिभाषित करने के लिए इसके प्रावधानों और दृष्टिकोण को अपनाया है.

यह कोई पहली बार नहीं है जब नेपाल में भारतीय दवाओं की बिक्री जांच के दायरे में आई है. इससे पहले साल 2019 में भी तीन भारतीय दवाओं के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिनमें लेबेन लैबोरेटरीज की जाइलो-पी, रियल हाइजीन की रेल्डाइन और लेबेन लैबोरेटरीज की केल्विन शामिल हैं.

दिप्रिंट ने इस बारे में टिप्पणी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता, कैडिला और पतंजलि से संपर्क किया, लेकिन उनकी तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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