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Monday, 24 February, 2025
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HC ने हरियाणा को नदी किनारे की आवासीय बस्तियों के लिए आपदा प्रबंधन योजना बनाने का क्यों दिया आदेश

यह फैसला उस मामले में आया है, जहां एक डेवलपर ने बाढ़ प्रभावित टांगरी नदी के पास अपनी भूमि को 'आवासीय' से 'कृषि' में पुनर्वर्गीकृत करने को हरियाणा द्वारा चुनौती दी थी.

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गुरुग्राम: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नदी किनारे स्थित आवासीय समुदायों के लिए एक सुव्यवस्थित आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने का निर्देश दिया है, यह देखते हुए कि राज्य की जनकल्याण के प्रति संवैधानिक जिम्मेदारी है.

यह फैसला 13 फरवरी को महार्षि मार्कंडेश्वर डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े एक मामले में सुनाया गया, जिसमें राज्य द्वारा अंबाला के फाइनल डेवेलपमेंट प्रोजेक्ट 2025 एडी के तहत उसकी बाढ़-प्रवण टांगरी नदी के पास स्थित भूमि को “आवासीय” से “कृषि” में पुनर्वर्गीकृत करने के निर्णय को चुनौती दी गई थी.

याचिकाकर्ता (डेवलपर) ने मांग की थी कि उत्तरदाता (राज्य) को निर्देश दिया जाए कि वह उसकी उस 95.431 एकड़ भूमि पर आवासीय प्लॉटेड कॉलोनी विकसित करने के लाइसेंस के लिए दायर आवेदन पर निर्णय ले, जिसे “कृषि भूमि” के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है.

याचिका पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस विकास सूरी की बेंच ने रणनीतिक बाढ़ प्रबंधन पहल की जरूरत पर बल दिया.

“एक विशेष टीम को नियुक्त किया जाना चाहिए जो एक वैज्ञानिक आपदा प्रबंधन ढांचा तैयार करे, जिससे हरियाणा में सभी नदियों के किनारे घनी आबादी वाले क्षेत्रों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित की जा सके,” अदालत ने कहा.

जस्टिस ठाकुर ने राज्य की प्रक्रियाओं में खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि भूमि वर्गीकरण में परिवर्तन से पहले कोई उचित वैज्ञानिक मूल्यांकन नहीं किया गया था. उन्होंने यह भी जिक्र किया कि आसपास के कई अन्य क्षेत्र अभी भी “आवासीय” या “औद्योगिक” के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं, जबकि उनमें भी समान बाढ़ जोखिम है.

अदालत ने निर्णय दिया कि राज्य ने बिना उचित प्रक्रिया अपनाए मनमाने ढंग से भूमि वर्गीकरण में बदलाव किया और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता के आवेदन का पुनर्मूल्यांकन वैज्ञानिक आंकड़ों और विशेषज्ञों के मूल्यांकन के आधार पर करें.

मामले पर एक नजर

डेवलपर और राज्य सरकार के बीच यह विवाद 2008 में शुरू हुआ, जब डेवलपर ने आवासीय विकास लाइसेंस के लिए आवेदन किया. आवश्यक दस्तावेज और वित्तीय शर्तें पूरी करने के बावजूद, हरियाणा सरकार ने टांगरी नदी से आने वाले बाढ़ जोखिम का हवाला देते हुए लाइसेंस की मंजूरी में देरी कर दी.

2012 में, सरकार ने एक मसौदा विकास योजना जारी की, जिसमें भूमि के वर्गीकरण को “आवासीय” से “कृषि” में बदल दिया गया. 2013 में यह बदलाव बिना याचिकाकर्ता की आपत्तियों पर विचार किए अंतिम रूप से लागू कर दिया गया.

मुकदमे के दौरान कई विशेषज्ञ रिपोर्ट पेश की गईं.

2015 में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की के एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि उचित बाढ़ न्यूनीकरण उपायों के साथ आवासीय विकास संभव है.

हालांकि, बाद में केंद्रीय जल आयोग और हरियाणा सिंचाई विभाग द्वारा किए गए एक संयुक्त सर्वे में इस निर्माण का विरोध किया गया. रिपोर्ट में बाढ़ जोखिम और शहरी नियोजन दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आवास निर्माण को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की गई.

राज्य के वकील ने डेवलपर की याचिका का विरोध करते हुए प्रस्तुत किया कि 21 नवंबर 2008 को लाइसेंस के लिए दायर आवेदन प्राप्त होने के बाद, क्षेत्रीय कार्यालयों से मिली रिपोर्ट में यह पाया गया कि प्रस्तावित साइट टांगरी नदी के बाएं मार्जिनल बांध के किनारे स्थित है.

इसलिए, राज्य सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता से भूमि पर बाढ़ जोखिम को लेकर रिपोर्ट मांगी गई.

अपनी रिपोर्ट में, मुख्य अभियंता ने कहा कि प्रस्तावित भूमि उच्च जल प्रवाह के दौरान बाढ़ के प्रति संवेदनशील है, और बांध के भीतर किसी भी प्रकार के निर्माण से बचना चाहिए.

राज्य के वकील ने यह भी कहा कि नागरिकों के जीवन और उनकी संपत्ति को खतरे में डालते हुए डेवलपर को आवासीय कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता, और सिंचाई विभाग की तकनीकी सलाह की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.

हालांकि, अपने आदेश में, उच्च न्यायालय ने IIT रुड़की की सिफारिशों को स्वीकार किया और जोर दिया कि आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ आवासीय कॉलोनी का विकास किया जा सकता है.

पीठ ने हरियाणा सरकार की असंगत नीतियों की आलोचना भी की.

इसके अलावा, अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी नदी किनारे की बस्तियों के लिए एक व्यापक आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाए. अदालत के निर्देशानुसार, इस योजना में बाढ़ की संवेदनशीलता और निवारक उपायों पर विस्तृत अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम शामिल होनी चाहिए.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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