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Sunday, 22 December, 2024
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पेरेंट्स की मौत के बाद बच्चों को किसे सौंपा जाए? सरकार चाहती है कि अस्पताल में भर्ती कोविड मरीज इसे बताएं

मंत्रालय का पत्र ऐसे समय आया है, जब कोविड के कारण बहुत से बच्चों के अनाथ होने के मामले सामने आए हैं और उन्हें गोद लेने को लेकर सोशल मीडिया पर डाली गईं गैर-कानूनी पोस्ट्स खूब चल रही हैं.

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नई दिल्ली: देश भर में कोविड-19 से हो रही मौतों के बीच केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) ने स्वास्थ्य मंत्रालय से आग्रह किया है कि वो देश के सभी अस्पतालों में भर्ती हो रहे मरीज़ों से एक घोषणा पत्र लें कि उनके गुज़र जाने की स्थिति में उनके बच्चे किसके पास जाने चाहिए. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण को लिखे एक पत्र में डब्ल्यूसीडी सचिव राम मोहन मिश्रा ने कहा, ‘मैं ऐसी खबरों को देखते हुए आपको लिख रहा हूं, जिनमें बच्चों के माता-पिता कोविड महामारी के दौरान मारे जाते हैं और तत्काल उन्हें लेने वाला कोई नहीं होता.’

दिप्रिंट के हाथ लगे पत्र में कहा गया है, ‘ये दुख और पीड़ा न सिर्फ उनकी ज़िंदगी के लिए हानिकारक हैं बल्कि उन्हें एक कमज़ोर स्थिति में ले आती है, जिसका फायदा उठाकर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा सकता है और जिससे बाल श्रम और मानव तस्करी जैसी बुराइयों को बढ़ावा मिल सकता है’.

उसमें आगे कहा गया, ‘ये बहुत उपयोगी होगा अगर माता-पिता स्वयं अपने भरोसेमंद रिश्तेदारों या मित्रों का विवरण मुहैया करा सकें, जिनसे किसी अनहोनी की सूरत में संपर्क किया जा सके’.

पत्र में ये भी कहा गया, ‘मैं इस संबंध में आपसे आग्रह करूंगा कि राज्य स्वास्थ्य विभागों के ज़रिए आप अस्पतालों और कोविड देखभाल सुविधाओं को निर्देशित करें कि अस्पताल भर्ती फार्म में एक कॉलम जोड़ा जाए जिसमें उस व्यक्ति का नाम, रिश्ता और संपर्क विवरण लिखा जाए, जिसे बच्चों को सौंपा जाना है’.

पत्र में आगे कहा गया कि इस उपाय का मकसद ये सुनिश्चित करना है कि बच्चे के हित पूरी तरह सुरक्षित किए जाएं.

उसमें कहा गया, ‘इससे ये सुनिश्चित होगा कि किसी अनहोनी की स्थिति में बच्चे के हित में उसे भरोसेमंद व्यक्ति को सौंपा जा सकेगा. ऐसे मामलों की जानकारी, अस्पताल की ओर से आगे की कार्रवाई के लिए बाल कल्याण समिति को भेजी जा सकती है’.


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‘स्वास्थ्य मंत्रालय अमल सुनिश्चित करा सकता है’

डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, ये पत्र स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया है, चूंकि वो अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर्स की अनुपालन सुनिश्चित करा सकता है और मंझधार में छूट गए बच्चों के मामले, कम से कम किए जा सकते हैं.

एक डब्ल्यूसीडी अधिकारी ने कहा, ‘गोद लेने का काम किशोर न्याय अधिनियम के तहत बाल कल्याण समिति के ज़रिए किया जाता है. लेकिन स्थिति की अभूतपूर्व प्रकृति को देखते हुए, अगर पेरेंट्स से इस बाबत घोषणा ले ली जाए कि उनके छोटे बच्चों को किसे सौंपा जा सकता है तो सीडब्ल्यूसी का काम भी आसान हो सकता है’.

मंत्रालय का पत्र ऐसे समय आया है, जब कोविड के कारण बहुत से बच्चों के अनाथ होने के मामले सामने आए हैं और उन्हें गोद लेने को लेकर सोशल मीडिया पर डाली गईं गैर-कानूनी पोस्ट्स खूब चल रही हैं.

इस मुद्दे की वजह से डब्ल्यूसीडी मंत्री स्मृति ईरानी को ट्वीट करना पड़ा कि उपयुक्त प्रक्रिया को अपनाए बिना बच्चों को गोद लेना गैर-कानूनी है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘अगर आपको किसी ऐसे बच्चे का पता चले, जिसने अपने दोनों पेरेंट्स कोविड में खो दिए हैं और उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है, तो आप पुलिस या अपने ज़िले की बाल कल्याण समिति को सूचित कीजिए या चाइल्डलाइन 1098 से संपर्क कीजिए. ये आपकी कानूनी ज़िम्मेदारी है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘किसी भी दूसरे व्यक्ति के अनाथ बच्चे का गोद देना या लेना गैर-कानूनी है. ऐसे बच्चों को बाल कल्याण समिति के पास ले जाना चाहिए, जो बच्चे के हित में आवश्यक कार्रवाई करेगी’.

‘अगर कोई आपसे सीधे गोद लेने के लिए अनाथ बच्चों के उपलब्ध होने की बात करता है, तो उनके झांसे में न आएं और उन्हें रोकें. ये गैर-कानूनी है. ऐसे बच्चों के बारे में स्थानीय बाल कल्याण समिति या पुलिस या चाइल्डलाइन 1098 पर सूचना दीजिए’.

डब्ल्यूसीडी सचिव ने भी 30 अप्रैल को सभी सरकारों को लिखा था और उनसे कहा था कि सभी ज़िला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दें कि कोविड से अनाथ हुए बच्चों का जेजे एक्ट के प्रावधानों के तहत तुरंत पुनर्वास सुनिश्चित करें.

उस पत्र में कहा गया, ‘ये सुनिश्चित किसे उसकी देखभाल करने वाले को दिया जाए या फिर उसे मामले के आधार पर संस्थागत अथवा गैर-संस्थागत देखभाल में रखा जाए.

मंत्रालय ने इस बारे में राज्यों से साप्ताहिक अनुपालन रिपोर्ट्स की भी मांग की है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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