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Saturday, 2 November, 2024
होमदेशवह 'अनजान व्हिसलब्लोअर', जिसके सोशल मीडिया पोस्ट ने UPSC कोचिंग संस्थानों की नींद उड़ा रखी है

वह ‘अनजान व्हिसलब्लोअर’, जिसके सोशल मीडिया पोस्ट ने UPSC कोचिंग संस्थानों की नींद उड़ा रखी है

दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहने वाला 25 वर्षीय यूपीएससी उम्मीदवार एक्स पर कोचिंग के शिकारी तंत्र की बदसूरत सच्चाई को उजागर कर रहा है. वह छात्रों को वास्तविकता का एहसास करा रहा है और संस्थानों को परेशान कर रहा है.

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नई दिल्ली: वह 25 साल का है. वह झारखंड से आया है और दिल्ली में यूपीएससी कोचिंग संस्थानों के केंद्र मुखर्जी नगर में रहता है. उसने चार बार यूपीएससी परीक्षा का प्रयास किया है. अब, आश्चर्य की बात है. वह यहां के लाखों युवा भारतीयों की तरह औसत, यूपीएससी के लिए भूखा, तनावग्रस्त उम्मीदवार नहीं है.

वह मुखर्जी नगर कोचिंग उद्योग का तेज़-तेर्रार व्हिसलब्लोअर है – और वह गुमनाम है.

हर कोई उसकी तलाश कर रहा है. शीर्ष कोचिंग संस्थानों के सीईओ परेशान और उत्सुक हैं.

सेवारत आईएएस और आईपीएस अधिकारी उससे बात करना चाहते हैं और उसे बेनकाब करने के लिए जानकारी और दस्तावेज देना चाहते हैं. और निराश छात्रों को उसके प्रति शिकायतें हैं.

लेकिन कोई नहीं जानता कि वह कौन है. वह ‘यूपीएससी के लुटेरे हैं सब दिल्ली में’ नाम से एक एक्स हैंडल चलाता है, जहां वह लगभग एक साल से लगातार पोस्ट कर रहा है, शिक्षकों, कोचिंग संस्थानों और यहाँ तक कि चयनित उम्मीदवारों का नाम लेकर. उसकी प्रोफ़ाइल तस्वीर में वह बिहार लोक आयोग कार्यालय के सामने खड़ा है, उसका चेहरा शांति प्रतीक के पीछे छिपा हुआ है. उसके कवर फ़ोटो में बोल्ड देवनागरी लिपि में “हिंदी मीडियम” लिखा है. इसके अलावा, उसकी पहचान एक रहस्य बनी हुई है. वह हाल ही में ओल्ड राजिंदर नगर और मुखर्जी नगर में हुए विरोध मार्च में भी कोविड मास्क पहनकर शामिल हुआ था.

यूपीएससी कोचिंग व्हिसलब्लोअर, जो @VivekGa54515036 के नाम से पोस्ट करते हैं, कोचिंग संस्थानों और शिक्षकों पर उम्मीदवारों को गुमराह करने और यूपीएससी की तैयारी के बारे में झूठे सपने बेचने का आरोप लगाते हैं. वह कुछ सफल उम्मीदवारों को भी निशाना बनाते हैं, उन पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बनने का आरोप लगाते हैं जो इस धोखे में शामिल हैं.

नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “हर कोई उम्मीदवारों का शोषण कर रहा है. कोचिंग संस्थान अपने पाठ्यक्रम बेचना चाहते हैं. शिक्षक लोकप्रिय बनना चाहते हैं और इसलिए वे उम्मीदवारों को नकली प्रेरणा देते हैं. चयनित उम्मीदवार अपने पावर के बारे में पोस्ट करके यही काम करते हैं.”

उन्होंने कहा कि उम्मीदवार आईएएस अधिकारी बनने के लिए हर बलिदान देने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनके साथ महज “ग्राहक” की तरह व्यवहार किया जाता है. “किसी को हमारी परवाह नहीं है.”

यूपीएससी व्हिसलब्लोअर के एक्स हैंडल द्वारा शेयर की गई तस्वीर, जिसमें मुखर्जी नगर की एक गली में अस्वच्छ और असुरक्षित स्थिति को दिखाया गया है | फोटो: /@@VivekGa54515036

मृदुभाषी और आमतौर पर जींस और टी-शर्ट पहने हुए, वह भीड़ में घुलमिल जाते हैं. उनकी साधारण उपस्थिति उन्हें अपने आस-पास की हर चीज़ को देखने में मदद करती है, जो वह देखते हैं उसे अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर देते हैं.

उन्होंने कहा, “मैंने यह पेज अकेले ही शुरू किया था, लेकिन अब 4-5 लोग इस पेज को चलाने में मेरे साथ जुड़ गए हैं, लेकिन हमें अपनी पहचान के बारे में बहुत सावधान रहना होगा.”

जब जुलाई में तीन यूपीएससी उम्मीदवार बाढ़ में डूब गए, तो उनका एक्स अकाउंट आक्रोश की प्रमुख आवाज़ बन गया. उन्होंने तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए और कई उम्मीदवार चर्चा में शामिल हुए.

ऐसी ही एक पोस्ट में बाढ़ में डूबी लाइब्रेरी को दिखाया गया और पीड़ितों में से एक की दिल दहला देने वाली कहानी साझा की गई: “उसने अभी-अभी माँ से बात की और उसे बताया कि वह लाइब्रेरी में पढ़ रहा था. उसने माँ को बताया कि वह रात 12 बजे अपने कमरे में चला जाएगा, लेकिन अब वह नहीं रहा.” यह पोस्ट 7 लाख से ज़्यादा लोगों तक पहुँची, इसे 7,500 लाइक और 2,600 रीपोस्ट मिले.

डूबने के सिर्फ़ एक महीने बाद, उसके एक्स अकाउंट पर 10,000 से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स हो गए. अब, उसके 21,000 से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स हैं.

कभी-कभी, वह खास लोगों को निशाना बनाता है. उदाहरण के लिए, एक पोस्ट में, उसने पाँच डॉक्टरों की तस्वीर पोस्ट की, जो IAS अधिकारी बन गए थे, और सवाल किया कि वे अपने हाई-पेईंग मेडिकल करियर को क्यों छोड़ा.

उन्होंने एक पोस्ट में लिखा जिसे लगभग 100 बार रीपोस्ट किया गया, “आज के सोशल मीडिया स्टारडम और प्रभावशाली लोगों के युग में, यूपीएससी टॉपर्स ग्लैमर और गर्व का विषय हैं. वे सभी डॉक्टर थे जिन्होंने आईएएस बनने के लिए मेडिकल फील्ड छोड़ दिया. लेकिन क्यों? अच्छे वेतन के बावजूद. इसकी शुरुआत 2015 में टीना डाबी द्वारा परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने से हुई थी. टॉपर्स की हर हरकत को एक रील में बदल दिया जाता है जिसे सैकड़ों बार फॉरवर्ड और ट्वीट किया जाता है,”

इस पोस्ट पर एक यूज़र ने कमेंट किया, “अगर सभी को यह प्रेरणा मिलनी शुरू हो जाए, तो कोई डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बचेगा,”

लेकिन यूपीएससी व्हिसलब्लोअर की डिजिटल लड़ाई की एक कीमत है. उन्हें समर्थन देने वाले मैसेज के साथ साथ, उन्हें धमकियां और मानहानि के मुकदमे भी मिले हैं.

उन्होंने कहा, “मेरे डीएम में 400 से ज़्यादा मैसेज हैं, जिनमें कोचिंग संस्थानों के कानूनी नोटिस भी शामिल हैं. लेकिन मैं डरता नहीं हूँ. वे डरे हुए हैं क्योंकि उन्हें पता है कि लोग मेरी लिखी बातें पढ़ रहे हैं.”

उन्हें रिश्वत की पेशकश भी की गई है. उन्होंने दावा किया कि एक कोचिंग संस्थान ने उनके सामने 2 लाख रुपए का लालच दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया.


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हिट लिस्ट

एक्स वॉरियर की हिट लिस्ट लंबी है, जिसमें टीना डाबी जैसी ‘सेलिब्रिटी’ आईएएस अधिकारी से लेकर धोखाधड़ी की आरोपी ट्रेनी पूजा खेडकर तक शामिल हैं. अवध ओझा और दृष्टि आईएएस के विकास दिव्यकीर्ति जैसे शीर्ष कोचिंग उद्यमी-सह-शिक्षकों के लिए भी एक विशेष स्थान आरक्षित है.

इस महीने की शुरुआत में, उन्होंने विकास दिव्यकीर्ति की एक क्लिप साझा की, जिसमें वे YouTube टॉक शो में अतिथि के रूप में – ‘जेंडर, सेक्सुअलिटी, टॉक्सिसिटी, लोनलीनेस’ पर – दिखाई दे रहे थे. उसने दिव्यकीर्ति पर अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए मीठी-मीठी बातें करने और वास्तविक छात्र मुद्दों को अनदेखा करने का आरोप लगाया.

इस पोस्ट के एक हिस्से में लिखा है, “चाहे ओल्ड राजिंदर नगर की घटना हो या कमरे के किराए का मुद्दा या उम्मीदवारों की सुरक्षा की समस्या, उन्होंने हमारा साथ नहीं दिया.”

उनकी एक और खास बात यह है कि अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को हिंदी माध्यम के यूपीएससी उम्मीदवारों पर बढ़त हासिल है. वह अक्सर यूपीएससी के सपने वाले इन कमज़ोर छात्रों का समर्थन करते हैं. हाल ही में एक पोस्ट में, उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) से डेटा साझा किया, जिसमें हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की सफलता की घटती दर दिखाई गई थी.

इस पोस्ट में लिखा है, “2015 और 2016 की परीक्षाओं में हिंदी माध्यम के छात्रों की सफलता दर लगभग 4-5 प्रतिशत थी, लेकिन 2017 और 2018 की परीक्षाओं में यह आंकड़ा फिर से 2-3 प्रतिशत के बीच पहुंच गया.”

व्हिसलब्लोअर के आरोपों पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. कुछ लोग उनके बयान की तारीफ करते हैं और इसे आंखें खोलने वाला बताते हैं, जबकि अन्य लोग उन्हें ट्रोल कहते हैं. लेकिन उनका लक्ष्य स्पष्ट है- यूपीएससी की तैयारी के निरंतर, शोषणकारी चक्र को उजागर करना और छात्रों को सही समय पर प्रारंभिक-मुख्य-फिर से-दोहराने के चक्र से बाहर निकलने की सलाह देना.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “यह पूरा उद्योग उम्मीदवारों के सपनों से लाभ कमाता है और उन्हें झूठी उम्मीद देता है. अगर आप तीन साल में इसे पास नहीं कर सकते, तो आपको छोड़ देना चाहिए. लेकिन कोई भी आपको यह नहीं बताता. लोग अपनी जवानी के पांच या उससे अधिक साल बर्बाद कर देते हैं.”

मुखर्जी नगर बिहार और उत्तर प्रदेश के छात्रों से भरा हुआ है, लेकिन सफलता की दर निराशाजनक है. आक्रामक कोचिंग विज्ञापन और प्रेरक वीडियो इन कठोर सच्चाई को स्पष्ट तरीके से सामने नहीं आने देते हैं. यूपीएससी व्हिसलब्लोअर अक्सर अपने विचारों को तथ्यों के साथ पुष्ट करते हैं. वह यूपीएससी चयन के ईको-सिस्टम में खामियों और अंतरालों को उजागर करने के लिए डेटा संकलित करते हैं, उसका विश्लेषण करते हैं और फिर उसे शेयर करते हैं – विशेष रूप से यह दिखाने के लिए कि कैसे संतुलन कुछ खास क्षेत्रों और खास पृष्ठभूमि के पक्ष में झुका हुआ है.

एक पोस्ट में कहा गया है, “आइए सीएसई 2023 में यूपीएससी हिंदी माध्यम के बिहार और यूपी के रिजल्ट के बारे में जानें- बिहार से 1 और उत्तर प्रदेश से 12 लोग चुने गए.”

उन्होंने दिप्रिंट को यह भी बताया कि राज्य विश्वविद्यालयों के छात्र सिविल सेवा चयन से बाहर हो रहे हैं, जबकि बड़े संस्थानों के छात्र सफल हो रहे हैं. उन्होंने कहा, “कोचिंग संस्थान बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले गरीब उम्मीदवारों को यह दिखाकर बेवकूफ बना रहे हैं कि वे आईएएस और आईपीएस अधिकारी बन सकते हैं, लेकिन अगर आप डेटा देखें, तो आपको पता चलेगा कि अधिकांश चयनित उम्मीदवार जेएनयू, डीयू और आईआईटी से आते हैं.”

‘मानसिक तनाव’

सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता के साथ, व्हिसलब्लोअर ने यूपीएससी संस्थान के मालिकों, शिक्षकों और उम्मीदवारों के बीच गंभीर चर्चा को जन्म दिया है. प्रत्येक पोस्ट पर व्यापक रूप से चर्चा की जाती है और उसे शेयर किया जाता है. अक्सर, वह ऐसी बातें बताते हैं जो सभी जानते हैं लेकिन कोई भी खुलकर नहीं कहता. या कई लोगों द्वारा अनुभव की गई जमीनी हकीकत में तथ्य-आधारित तर्क जोड़ते हैं. उन्हें एक ऐसे सिस्टम में सच्चाई बताने वाले और रुकावट डालने वाले के रूप में देखा जाता है जिसे कुछ अन्य अंदरूनी लोगों ने सार्वजनिक रूप से चुनौती देने की हिम्मत नहीं की है.

यहां तक ​​कि जो छात्र तैयारी में पूरी तरह से जुटे हुए हैं, उनके मन में भी उनके प्रति अरुचिपूर्ण ही सही पर एक प्रशंसा का भाव है, हालांकि जब वे उनके पसंदीदा शिक्षकों की आलोचना करते हैं तो उन्हें झिझक महसूस होती है.

मुखर्जी नगर में एक उम्मीदवार विभव कुमार ने शिक्षक दिवस की एक पोस्ट का जिक्र करते हुए कहा, “विकास दिव्यकीर्ति सर के बारे में उन्होंने जो कहा वह सही नहीं था, वे बहुत महान व्यक्ति हैं.” जिसमें गुमनाम व्हिसलब्लोअर ने “तथाकथित यू-ट्यूब शिक्षकों” दिव्यकीर्ति और ओझा का “बकवास करने” और “अपने परिणामों को बढ़ा-चढ़ाकर बताने” के लिए मज़ाक उड़ाया था.

फिर भी, कुमार अभी भी इस अकाउंट को करीब से फॉलो करते हैं. उन्होंने कहा, “कोचिंग संस्थानों और चयनित अभ्यर्थियों के बारे में वे जो कुछ कहते हैं, वह कुछ ऐसा है जिसे हम जानना चाहते हैं. यह नई जानकारी है.”

हालांकि, यूपीएससी कोचिंग कम्युनिटी के कुछ लोग इस सक्रियता को सार्थक बदलाव के बजाय गुस्सा निकालने के रूप में देखते हैं. एक तरह से, वे ‘निगेटिव’ इन्फ्लुएंसर के रूप में कार्य करके उसी ईको-सिस्टम का हिस्सा बन रहे हैं.

नाम न बताने की शर्त पर यूपीएससी के एक टीचर ने कहा, “वे जो मुद्दे उठाते हैं वे महत्वपूर्ण हैं लेकिन मैं इसे ऐक्टिविज़म नहीं कहूंगा. मुझे लगता है कि यह कड़वाहट भरा ऐक्टिविज़म है – ऐसी सक्रियता जो हताशा, क्रोध और मोहभंग से उत्पन्न होती है,”

शिक्षक ने स्वीकार किया कि कई उम्मीदवार यूपीएससी की परीक्षा में कई साल बर्बाद कर देते हैं, लेकिन उन्होंने तर्क दिया कि इसका सारा दोष कोचिंग संस्थानों पर नहीं है.

उन्होंने कहा, “कोचिंग संस्थान कुछ भी अवैध नहीं कर रहे हैं. वे सिर्फ पढ़ा रहे हैं. वे सिर्फ उन 99 प्रतिशत छात्रों के बारे में नहीं बताते हैं, जिनका चयन नहीं हो पाता.”

इस बीच, कोचिंग संस्थानों को इस बात की चिंता बढ़ रही है कि व्हिसलब्लोअर अकाउंट राजनीति से प्रेरित हो सकता है या किसी असंतुष्ट शिक्षक या कर्मचारी द्वारा चलाया जा रहा हो सकता है.

एक प्रमुख कोचिंग संस्थान के वरिष्ठ सदस्य ने कहा, “यह ऐसी चीज नहीं है जिसकी हमें चिंता है क्योंकि यह सिर्फ एक ट्विटर (एक्स) अकाउंट है, लेकिन हां, हम नहीं चाहते कि हमारे बारे में कोई बुरी बात लिखी जाए. हमने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन यह जानने की उत्सुकता है कि इसके पीछे कौन व्यक्ति है.”

लेकिन युवक ने कहा कि उसे कोचिंग संस्थानों से कई मानहानि के नोटिस मिले हैं, साथ ही सोशल मीडिया पर उनके बारे में पोस्ट करना बंद करने की “चेतावनी” भी मिली है.

उन्होंने कहा, “मैंने कुछ नोटिस का जवाब दिया है. कुछ में केवल चेतावनी दी गई है. मुझे नियमित रूप से धमकियाँ भी मिलती हैं, जिससे मुझे बहुत मानसिक तनाव होता है.”

महत्त्वाकांक्षा से गुस्से तक

यह 25 वर्षीय युवक हमेशा इतना निडर नहीं था. अनगिनत अन्य यूपीएससी उम्मीदवारों की तरह, वह आईएएस अधिकारी बनने पर ध्यान केंद्रित करके दिल्ली आया था. उसने कहा, लेकिन तीन बार सिविल सेवा परीक्षा में असफल होने से उसे ठगा हुआ और फंसा हुआ महसूस हुआ. कोचिंग संस्थानों के बड़े-बड़े वादों के मुकाबले उसकी और उसके दोस्तों की बार-बार की असफलता ने उसकी महत्वाकांक्षा को क्रोध में बदल दिया.

अब, वह दूसरों को वास्तविकता का एहसास कराना चाहते हैं. जब वह झारखंड में अपने गृहनगर जाते हैं, तो वह अपने एक्सटेंडेड फैमिली को सलाह देते हैं कि वे अपने बच्चों को भविष्य के बारे में कल्पना करने से पहले अंग्रेजी सीखने के लिए प्रेरित करें.

उन्होंने कहा, “अंग्रेजी बहुत महत्वपूर्ण है. मैंने अपनी यात्रा से यही सीखा है. मैं अपने परिवार के छोटे बच्चों से लेकर अन्य उम्मीदवारों तक सभी को यही बताता हूँ. मैंने अपनी बहन से अपने बच्चों का स्कूल बदलने के लिए कहा ताकि वे बेहतर अंग्रेजी सीख सकें,”

यूपीएससी और अन्य राज्य लोक सेवा परीक्षाओं में कई अटेम्पट देने के बाद, वह ऊब चुके हैं. बिहार लोक सेवा परीक्षा की दो मुख्य परीक्षाएं पास करके उन्होंने इंटरव्यू भी दिया लेकिन वे अंतिम रूप से सफल नहीं हो सके, और अब अपना अंतिम प्रयास कर रहे हैं. इसके बाद, उन्होंने यूपीएससी की दौड़ से हमेशा के लिए दूर रहने की कसम खाई है. लेकिन इस जाल में फंसाने वाले पूरे ईको-सिस्टम के जरिए अपने बर्बाद हुए सभी सालों के साथ, कोचिंग संस्थान के विज्ञापन और मोटीवेशनल वीडियो उन्हें गुस्से से भर देते हैं.

उन्होंने कहा, “जब भी यह सब असहनीय हो जाता है, तो मैं या तो जिम जाता हूं या फिर खुद को बेहतर महसूस कराने के लिए छात्रों के मुद्दों पर लिखने के लिए एक्स जाता हूं.”

चूंकि उम्मीदवारों अक्सर एक ही चीज़ पर फोकस्ड रहते हैं, इसलिए वह चाहते हैं कि सरकार सख्त दिशा-निर्देशों के साथ कदम उठाए. उनका तर्क है कि आयु सीमा 32 से घटाकर 26 कर दी जानी चाहिए और प्रयासों की संख्या को और सीमित किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि एक बार जब कोई इस तैयारी चक्र में प्रवेश कर जाता है, तो इससे बचना मुश्किल होता है और कई लोग अपने जीवन के सबसे अच्छे वर्षों का बलिदान कर देते हैं.

उन्होंने कहा, “यह एक बहुत अच्छा निर्णय होगा यदि सरकार यूपीएससी के लिए केवल तीन प्रयास (वर्तमान 6 के बजाय) दे. यदि आप इसे तीन प्रयासों में नहीं कर सकते हैं, तो आपको तैयारी छोड़ देनी चाहिए. लेकिन कोई भी आपको यह नहीं बताता. क्योंकि अगर वे ऐसा करते हैं, तो उनके व्यवसाय में लाभ नहीं होगा,”

मुखर्जी नगर के व्हिसलब्लोअर ने कई उम्मीदवारों को वर्षों तक असफल प्रयासों के बाद निराश होकर वापस लौटते देखा है, और फिर वे आजीविका चलाने के लिए उसी कोचिंग उद्योग में शामिल हो गए. लेकिन वे जोर देकर कहते हैं कि वह ऐसा नहीं करेंगे.

उन्होंने कहा, “मैं ऐसा नहीं करूँगा. कुछ महीनों में, मैं दिल्ली छोड़ दूंगा और इस क्रूर चक्र से बाहर हो जाऊंगा. कोचिंग इंडस्ट्री उन गरीब छात्रों को बेवकूफ बनाती है जिनके माता-पिता उन्हें यहाँ भेजने के लिए अपनी ज़मीन बेच देते हैं. मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा.”

वह एक मध्यम-वर्गीय परिवार से आते हैं और इनके चार भाई-बहन हैं व इनके पिता सरकारी नौकरी करते हैं. उन्होंने यूपीएससी की यात्रा “पांच साल की योजना” के साथ शुरू की. लेकिन इससे पहले ही मोहभंग हो गया.

उन्होंने कहा, “बार-बार आपको मोटीवेट किया जाता है. शुरुआत में, यह ऐसा ही होता है. लेकिन दो अटेम्पट के बाद सच्चाई समझ आने लगती है.”

हालांकि वह इस दुष्चक्र से बाहर निकलने को तैयार हैं लेकिन अन्य हिंदी-माध्यम के छात्रों की मदद करने का उनका जुनून बना हुआ है. छात्रों को जागरूक और सतर्क करने के लिए अपनी डिजिटल लड़ाई को रोकने का उनका कोई इरादा नहीं है. उन्हें बस एक इंटरनेट कनेक्शन, एक स्मार्टफोन और सिस्टम और “क्रूर दुनिया की वास्तविकता” को उजागर करने के लिए अपनी आवाज़ की ज़रूरत है.

उन्होंने कहा, “यह केवल एक एक्स पेज है और इसे कभी भी ब्लॉक किया जा सकता है. लेकिन जब तक यह ठीक नहीं हो जाता, मैं इसके बारे में लिखना जारी रखूंगा,”

फिर भी, उनके एक्स के साथ अगर कुछ होता है तो उस परिस्थिति से निपटने के लिए वह सुरक्षा और लोगों तक पहुंच बनाए रखने के लिए वैकल्पिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तलाश कर रहे हैं. वह वीडियो बनाने पर भी विचार कर रहे हैं लेकिन वह अभी यह पता लगा रहे हैं कि अपनी पहचान को वह कैसे गुप्त रख सकते हैं.

उन्होंने कहा, “मैं YouTube पर जा सकता हूं, लेकिन इसके लिए कुछ सुरक्षा उपायों की भी आवश्यकता होगी,”

उन्होंने कहा कि अपना चेहरा छिपाना या आवाज बदलने वाले सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना ऐसे विकल्प हैं जिन पर वह विचार कर रहे हैं.

वह अपनी पहचान छिपाए रखना चाहते हैं – और यूपीएससी उम्मीदवारों की क्रूर दुनिया पर सच्चाई के बम गिराना जारी रखना चाहता है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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