प्रयागराज: एक तड़क भड़क वाला संन्यासी, महंगी कारों और विदेश यत्राओं का शौक़ीन और अपने लंबे बालों से ख़ास प्यार करने वाला- उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बाघंबरी मठ का शिष्य, आनंद गिरि का ऐसे ही वर्णन करते हैं, जो मठ प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि की कथित आत्महत्या का एक प्रमुख अभियुक्त है.
महंत की कथित आत्महत्या के सिलसिले में आनंद गिरि का नाम सामने आते ही, लग्ज़री नौकाओं, महंगी कारों, और एक निजी जेट तक में बैठे हुए उसके फोटोग्राफ्स, सोशल मीडिया पर चलने लगे.
और बाघंबरी मठ के शिष्य इस बात से सहमत थे कि योग गुरू का विलासी जीवन कोई रहस्य नहीं था, लेकिन इससे उनके नरेंद्र गिरि के साथ मतभेद हो गए, जो हिंदू साधुओं के एक मुख्य समूह अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के प्रमुख थे.
एक शिष्य ने नाम छापने की शर्त पर कहा, ‘उसका ऐशो आराम भरा जीवन और पैसे तथा जीवन की तमाम विलासिताओं में उसकी रूचि किसी से छिपी नहीं है. हर कोई जानता है कि उसे अपनी गाड़ियां और विदेश घूमना बहुत पसंद हैं, लेकिन जब ये सब बहुत ज़्यादा होने लगा तो उनकी खिंचाई भी हुई, जिससे वो ख़फा हो गए और उनकी अपने ही महंत, नरेंद्र गिरि महाराज से कहासुनी हो गई’.
शिष्य ने दिप्रिंट से कहा, ‘क्या आपने कोई ऐसा संन्यासी देखा है, जो फ्रेंच कट डाढ़ी रखता हो, अपने बाल ब्लो ड्राई करता हो (और) उन्हें कंडीशनर करता हो? हम साधू हैं, हमारे कुछ नियम होते हैं, एक ख़ास तरह की जीवन शैली है, हम जीवन में इन विलासिताओं की आकांक्षा नहीं रखते और एक अनुशासन पर चलते हैं. लेकिन वो अलग है.’
मंगलवार को पुलिस ने आनंद गिरि को, महंत के दो अन्य शिष्यों-हनुमान मंदिर पुजारी आध्या तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी के साथ, आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.
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रिश्ते बिगड़ने से पहले महंत गिरि के साथ थी नज़दीकी
राजस्थान के भीलवाड़ा के एक किसान परिवार से ताल्लुक़ रखने वाला, 38 वर्षीय आनंद गिरि ने हरिद्वार के एक गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद वो किशोरावस्था में बाघंबरी मठ आ गया और नरेंद्र गिरि का शिष्य बन गया, जिन्होंने 2007 में उसे आखाड़े में शामिल कर लिया.
बाद में आनंद गिरि हनुमान मंदिर का एक उप-महंत बन गया, जो बाघंबरी मठ के अंतर्गत आता है और वो एक योग गुरू भी बन गया.
निरंजिनी अखाड़े के अध्यक्ष, जो एबीएपी का हिस्सा है, रवींद्र गिरि ने कहा, ‘वो अकसर विदेशों में जाकर योग शिविर आयोजित करता था. उसे अलग अलग देशों में जाना बहुत अच्छा लगता था. उन दौरों का उद्देश्य भगवान का संदेश फैलाना और योग शिविर आयोजित करना होता था’.
रवींद्र के अनुसार, योग गुरु शुरू में महंत के बेहद क़रीब हुआ करता था.
उन्होंने कहा, ‘वो महंत नरेंद्र गिरि के सबसे क़रीबी शिष्य था, उन्होंने उसे हमेशा बढ़ावा दिया. उन्होंने ही आंनंद गिरि को हरिद्वार में भी अपना स्वयं का एक आश्रम शुरू करने का एक मंच दिया’.
भूमि पर विवाद
लेकिन, नोएडा में ज़मीन के एक टुकड़े को लेकर, दोनों के बीच खटास पैदा हो गई. आनंद गिरि उस पर एक पेट्रोल पंप लगाना चाहता था लेकिन नरेंद्र गिरि ने मना कर दिया था.
दोनों के बीच रिश्ते इस हद तक ख़राब हो गए कि आनंद गिरि ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर मांग उठाई, कि महंत द्वारा इसी साल किए गए धोखाधड़ी के एक मामले की जांच कराई जाए.
एक दूसरे शिष्य ने कहा, ‘कौन शिष्य ऐसा करता है? वो पैसे के पीछे इतना अधिक भाग रहा था कि जब चीज़ें उनके सोचे अनुसार नहीं हुईं, तो उन्होंने अपने ही गुरु के खिलाफ शिकायत कर दी. उनके मन में हर समय बस यही रहता था कि अपना कारोबार कैसे बढ़ाएं और अधिक विलासिता के लिए पैसा कैसे जुटाएं. क्या संत लोग ऐसे रहते हैं?’
नोएडा के एक आश्रम के महंत स्वामी ओम भारती ने आनंद गिरि पर, ‘पेट्रोल पंप लगाने के लिए उनकी ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने का आरोप लगाया’.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘नोएडा में मेरे पास एक ब्रह्म कुटी है, जो यहां सबसे पुरानी है. 2019-20 में आनंद गिरि मेरी कुटी की ज़मीन लेना चाहता था, क्योंकि इस ज़मीन पर वो एक पेट्रोल पंप बनाना चाहता था. वो कोई संन्यासी नहीं है, उसकी रुचि सिर्फ पैसा बनाने में है’.
‘उसने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर मेरे शिष्यों को आश्रम के अंदर बंद कर दिया और 10-15 लाख रुपए तथा उनके मोबाइल फोन्स लेकर चला गया. मुझे अपने वरिष्ठों से कहना पड़ा जिनके दख़ल के बाद मामला सुलटाया गया’.
आनंद गिरि ने भ्रष्टाचार के सभी आरोपों या नरेंद्र गिरि की आत्महत्या में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान गिरि ने उनसे कहा कि मई के महीने में उसकी महंत से सुलह हो गई थी, और महंत के कमरे में पाया गया सुसाइड नोट उसे फंसाने की एक साज़िश है.
‘ये कहना ग़लत है कि अगर उन्हें कारें पसंद हैं, तो वो संत नहीं हैं’
दिप्रिंट से बात करते हुए, आनंद गिरि के वकील विजय कुमार द्विवेदी ने कहा कि उनके मुवक्किल को ‘उनकी तस्वीरों के कारण अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है’.
द्विवेदी ने कहा, ‘वो एक युवा व्यक्ति हैं और युवा लोगों की संगति में रहते हैं. वो दुनिया भर में योग शिविर करते हैं, उनके शिष्य सब जगह हैं और वो भी युवा हैं. जब वो सिंगापुर या ऑस्ट्रेलिया जैसे मुल्कों में जाते हैं, तो वहां उन्हें उनके शिष्य घुमाते हैं. वो ग़लत कैसे है? क्या हुआ अगर वो फैंसी गाड़ियों में घूम रहे हैं? इससे ये वास्तविकता ख़त्म नहीं हो जाती कि वो एक संन्यासी हैं’.
द्विवेदी का ये भी कहना था कि आजकल अधिकतर संन्यासियों के पास फैंसी कारें हैं, इसलिए अकेले आनंद गिरि को ही क्यों निशाना बनाया जाए? उन्होंने कहा, ‘आजकल सभी युवा संन्यासी अच्छी कारें रखते हैं, अच्छे कपड़े पहनते हैं और घूमना पसंद करते हैं. बहुत कम साधू पुराने ढंग के हैं, जो एक सात्विक जीवन जीते हैं. आज सिर्फ उस सुसाइड नोट के कारण आनंद गिरि का नाम सामने आ गया है, इसलिए लोग टिप्पणियां करने लगे हैं, और उनपर निर्णय दे रहे हैं’.
उन्होंने कहा, ‘उनके शिष्य हैं जो बाहर रहते हैं. उनमें बहुत से विदेशी भी हैं, इसलिए उनके साथ घुलने-मिलने के लिए वो ऐसा हुलिया रखते हैं. वो एक पढ़े-लिखे संन्यासी हैं, और अपनी सीमाओं को जानते हैं’.
गिरि के वकील ने कहा, ‘बहुत से लोग उनकी डाढ़ी और बालों पर सवाल उठा रहे हैं. क्यों? क्या साफ-सुथरा दिखने में कोई ख़राबी है? इसके अलावा वो कोई फ्रेंच कट डाढ़ी नहीं है. गिरि की डाढ़ी इसी तरह बढ़ती है. वो जानबूझकर उसे ऐसा नहीं रखते’.
गिरि के अपने कारोबार को फैलाने और पैसा बनाने के आरोपों पर बोलते हुए द्विवेदी ने कहा, ‘बहुत से लोग उनपर आरोप लगा रहे हैं कि वो पेट्रोल पंप खोलना चाहते हैं, लेकिन क्या किसी ने ये पूछा कि वो उनकी ऐसे सौदों में रूचि क्यों थी. अखाड़े की ज़मीन के रख-रखाव और वेतन देने के लिए कुछ आय करनी होती है. और वो आय पैदा करने के लिए उस ज़मीन पर पेट्रोल पंप लगाना चाहते थे, जिसे महंत नरेंद्र गिरि ने अलग रखा हुआ था. ज़मीन को लेकर दोनों के बीच कहासुनी हुई थी, जिसे बाद में सुलटा लिया गया था. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आनंद गिरि पैसे के पीछे रहते हैं, और कुछ पैसा अपनी जेबें भरने के लिए बना रहे हैं’.
सिडनी में गिरफ्तार
ऐसा पहली बार भी नहीं है कि आनंद गिरि विवादों में घिरे हैं. 2019 में उन्हें सिडनी में गिरफ्तार किया गया था, जब दो महिलाओं ने उनपर ‘अनुपयुक्त व्यवहार’ का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में कोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया.
एक पुलिस सूत्र ने कहा, ‘उस पूरे समय में नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि का समर्थन किया था, और वकीलों के ज़रिए उसकी मदद भी की थी’.
उससे पहले 2016 और 20ा8 में भी, एक योग शिविर आयोजित करने के लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की राजधानी का दौरा किया था.
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