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बुधवार, 4 जून, 2025
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कौन हैं 1991 बैच के IPS राजीव कृष्ण बनें यूपी के लगातार 5वें कार्यवाहक DGP

कृष्णा ने सीएम योगी के करीबी माने जाने वाले प्रशांत कुमार की जगह ली है. डीजीपी नियुक्तियों को लेकर राज्य सरकार और केंद्र के बीच मतभेद की अटकलों के बीच यह नियुक्ति की गई है.

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लखनऊ: भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1991 बैच के अधिकारी राजीव कृष्ण को उत्तर प्रदेश का कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया गया है. यह लगातार पांचवीं बार है जब उन्हें उत्तर प्रदेश का कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया गया है.

वे 1990 बैच के प्रशांत कुमार की जगह लेंगे, जिन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता था. शुक्रवार देर रात एक सरकारी आदेश में कृष्ण की नियुक्ति की घोषणा की गई.

डीजीपी पद पर नियुक्ति से पहले, कृष्ण के पास सतर्कता महानिदेशालय (डीजी) और भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड का दोहरा प्रभार था.

नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने स्थायी डीजीपी की नियुक्ति न करने के लिए योगी सरकार पर निशाना साधा.

पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “यूपी को मिला एक और कार्यवाहक डीजीपी! आज जाते-जाते वो ज़रूर सोच रहे होंगे कि उन्हें क्या मिला, जो हर गलत को सही साबित करते रहे. यदि व्यक्ति की जगह संविधान और विधान के प्रति निष्ठावान रहते तो कम-से-कम अपनी निगाह में तो सम्मान पाते.अब देखना ये है कि वो जो जंजाल पूरे प्रदेश में बुनकर गये हैं, नये वाले उससे मुक्त होकर निष्पक्ष रूप से न्याय कर पाते हैं या फिर उसी जाल के मायाजाल में फँसकर ये भी सियासत का शिकार होकर रह जाते हैं.”


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नए नियम अभी तक लागू नहीं

अक्टूबर 2024 में योगी सरकार ने राज्य के डीजीपी की नियुक्ति के लिए नए नियम बनाए, जिससे पुलिस प्रमुख की नियुक्ति में राज्य को अंतिम फैसले लेने का अधिकार मिल गया. इससे पहले, केंद्र के पास अंतिम फैसला होता था और राज्य को योग्य उम्मीदवारों की सूची संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजनी होती थी, जो नाम की सिफारिश करता था.

हालांकि, पिछले साल नियम बनाए जाने के बावजूद, उन्हें अब तक लागू नहीं किया गया था. देरी के बारे में बताते हुए सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारी कानूनी विशेषज्ञों के साथ नियमों में बदलाव के नतीजों पर चर्चा कर रहे थे. इसके अलावा, राज्य नेतृत्व केंद्र के साथ अपनी दरार को और नहीं बढ़ाने की कोशिश कर रहा था.

पिछले कुछ सालों में डीजीपी के चयन को लेकर योगी सरकार और केंद्र के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार पिछले दो सालों में लगातार चौथे कार्यवाहक डीजीपी थे. राज्य में आखिरी स्थायी डीजीपी मुकुल गोयल थे, जिन्हें अनुशासनहीनता के आधार पर तीन साल पहले हटा दिया गया था.

तब से अब तक पांच कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किए जा चुके हैं, जिनमें डी.एस. चौहान, आर.के. विश्वकर्मा और विजय कुमार भी शामिल हैं.

SSP आगरा-सबसे प्रभावशाली पोस्टिंग

गौतम बुद्ध नगर से आने वाले कृष्णा 1991 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए. वे पहले अधीक्षक (एसपी) और फिर वरिष्ठ अधीक्षक (एसएसपी) के पद पर तैनात रहे हैं और फिरोजाबाद, इटावा, मथुरा, फतेहगढ़, बुलंदशहर, नोएडा, आगरा, लखनऊ और बरेली में भी रहे हैं.

2007 में, जब उत्तर प्रदेश में आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) का गठन किया गया, तो कृष्णा इसके पहले उप महानिरीक्षक (डीआईजी) बने और बल का नेतृत्व किया.

यूपी पुलिस के सूत्रों ने कहा कि भर्ती बोर्ड की पोस्टिंग के अलावा, कृष्णा के करियर का सबसे प्रभावशाली वक्त 2004 में एसएसपी आगरा के रूप में उनका कार्यकाल था, जब उन्होंने बीहड़ों में सक्रिय कुख्यात अपहरण गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई का नेतृत्व किया था.

कृष्णा की पत्नी मीनाक्षी सिंह एक आंतरिक राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं और वर्तमान में लखनऊ में आयकर आयुक्त के पद पर तैनात हैं. इसके अलावा, उनके साले राजेश्वर सिंह ईडी में संयुक्त निदेशक थे और अब सरोजिनी नगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक हैं. राजेश्वर सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह नोएडा पुलिस कमिश्नर हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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