पटना: पिछले 9 दिनों से पटना के पास फुलवारीशरीफ के हारुननगर के सेक्टर 3 में मातम पसरा हुआ है. किसी को समझ नहीं आ रहा कि एक मासूम बच्चे से किसी को क्या दुश्मनी हो सकती है. पटना के पास फुलवारीशरीफ के हारून नगर का रहने वाला 18 वर्षीय आमिर हंजला 21 दिसंबर को सीएए-एनआरसी के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल द्वारा बुलाए गए बिहार बंद में शामिल होने गया था. उसे ना तो सीएए के बारे में पता था, ना ही एनआरसी के बारे में. अपने फुफेरे भाई को फोन कर उसने बताया कि आ जा, वीडियो बनायेंगे, नारेबाजी हो रही है. इस घटना को आज 9 दिन हो गए हैं लेकिन लाल रंग की स्वेटर पहनकर निकला आमिर अब तक अपने घर नहीं पहुंचा है.
परिवार इसी सदमे में है कि ऐसा कैसे हो गया कि उनका बेटा बैग सिलने की दुकान पर काम करने एक दिन गया और अब तक लौटा ही नहीं.
21 दिसंबर के बाद आमिर का कुछ अता पता नहीं है. दिप्रिंट से बात करते हुए आमिर के पिता मोहम्मद सुहैल बताते हैं, ‘आमिर को एनआरसी या सीएए से कोई मतलब नहीं है. ना ही सियासत समझता है. पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ा है और उसके बाद एक बैग सिलने वाली दुकान पर काम कर रहा है. 21 दिसंबर को भी वो उत्साही होकर रैली वाली भीड़ में शामिल हो गया था.’
गौरतलब है कि सीएए-एनआरसी के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के दौरान राजद ने 21 दिसंबर को बिहार बंद का ऐलान किया था. फुलवारीशरीफ में भी सैकड़ों लोगों ने शहीद चौक से रैली निकाली. लेकिन बीच में ही प्रदर्शनकारियों पर बहुत सारे लोगों ने हमला कर दिया. तब तक पुलिस आ गई और भीड़ तितर-बितर हो गई. इसी तितर-बितर भीड़ में आमिर हंजला लापता हो गया.
जिस दुकान पर आमिर काम करता था उस दुकान के मालिक छोटूभाई भी उस दिन प्रोटेस्ट में शामिल हुए थे. वो पूरा वाकया बताते हैं, ‘रैली शहीद चौक से शुरू होते हुए थाना गोलंबर के पास पहुंची थी. कुछ मीडिया वाले आए और राजद के नेता खालिद का इंटरव्यू करके चले गए. भीड़ वहीं बैठ गई. मैं घर लौट आया. करीब 12:30 बजे मेरे पास फोन आया कि सामने सैकड़ों लोगों की भीड़ आई और प्रदर्शनकारियों से भिड़ गई. प्रदर्शनकारियों का विरोध करनेवाले लोगों ने गोलियां भी चलाईं. मैंने तुरंत जान पहचान वालों को फोन किया. मुझे याद आया कि आमिर को भी देखा था रैली में. उसका नंबर डायल किया तो बंद आया. मैंने उसके परिवार वालों को फोन कर सूचित किया.’
इस मामले में दिप्रिंट ने एसएसपी गरिमा मलिक से बात की तो उन्होंने बताया, ‘अब तक 57 लोगों को इस मामले में अरेस्ट किया जा चुका है. आमिर को ढूंढने के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम भी गठित की जा चुकी है. पुलिस उसे खोजने की पूरी कोशिश कर रही है. हमें जहां से भी लीड मिल रही है, हम जांच कर रहे हैं.’
गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो वायरल हुए जिसमें हिंदू के नाम पर कई युवक फेसबुक लाइव कर भीड़ को भ्रामक सूचनाएं देकर भड़का रहे हैं. वो साथ ही हिंदू धर्म पर कथित हमले को लेकर लोगों को फुलवारीशरीफ पहुंचने का आग्रह कर रहे हैं. वो ये भी कह रहे हैं कि प्रशासन ने शांतिप्रिय हिंदुओं को क्यों टारगेट किया.
21 तारीख को हुए इस हिंसात्मक प्रदर्शन को लेकर एसएचओ रफीकुर रहमान के मुताबिक 6 लोगों को फायरआर्म घाव हुए हैं. घायलों का इलाज पटना एम्स में चल रहा है. लेकिन आमिर के फुफेरे भाई अब्दुल अहद कहते हैं, ‘12 के करीब लोग घायल हुए थे. उस दिन हम आमिर को ढूंढने एम्स भी गए थे कि कहीं उसे भी तो गोली नहीं लगी है.’
अब्दुल आगे जोड़ते हैं, ‘उससे आखिरी बार 21 तारीख को दोपहर के 11.41 पर बात हुई थी. वो मुझे भी रैली में शामिल होने के लिए बुला रहा था. लेकिन जब हमें दंगा भड़कने की खबरें मिली तो हमने उसका नंबर मिलाना शुरू कर दिया. लेकिन जब दुकान के मालिक ने बताया कि आमिर वहां नहीं है तो हमने उसे खोजना शुरू कर दिया.’
आमिर के पिता राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी जब मंत्री थे तो उनके घर पर काम किया करते थे. अब उनके बेटे इधर उधर, एक मस्जिद में काम करके घर खर्च चलाते हैं. आमिर पांच भाई और एक बहन में चौथे नंबर पर है. परिवार ने प्रोटेस्ट की वीडियो इकट्ठे कर उनसे आमिर की आखिरी तस्वीरें निकाली हैं. इन तस्वीरों में वो लाल स्वेटर पहने रैली के साथ चलता हुआ नजर आता है.
फुलवारी शरीफ में अफवाहें है कि आमिर को पास के ही तालाब में मारकर फेंक दिया है लेकिन आमिर का परिवार इन अफवाहों का खंडन करता है, ‘वो एक बेहद शरीफ बच्चा था. उसको कोई क्यों मारेगा. जब तक पुलिस कुछ भी कन्फर्म नहीं करती है. हम यकीन नहीं करेंगे.’ आमिर को बैग की दुकान पर पांच हजार की तनख्वाह मिलती थी. एक साल पहले ही उसने बैग सिलने का काम सीखना शुरू किया था. अफवाह ये भी चल रही है कि हिंदू संगठनों से ताल्लुक रखनेवाली ‘संगत गली’ में जाते ही आमिर वहीं से लापता हुआ. ये भी कहा जा रहा है कि उस गली में मुस्लिम समुदाय के ही एक और लड़के को चाकू मारा गया पर वो जान बचाकर भाग गया. उसकी शिनाख्त नहीं हो पाई है.
पुलिस के रवैये पर आमिर के फुफेरे भाई निराशा भरी आवाज कहते हैं, ‘पुलिस उसे ढूंढना ही नहीं चाहती है. जब हम 21 तारीख को थक हारकर पुलिस थाने शिकायत दर्ज कराने पहुंचे तो पुलिसकर्मियों ने कहा कि बड़े बाबू सुबह आएंगे तब ही आना. लेकिन हमने जबरदस्ती एप्लिकेशन जमा करवा दी. अगले दिन एफआईआर हुई है. हम जब भी पुलिस थाने जाते हैं तो पुलिस हंसी ठ्ठठा करते हुए ही नजर आती है. कभी रात के बारह बजे बुलाते हैं तो कभी किसी समय. क्या उसे धरती निगल गई या आसमान खा गया. उसकी मोबाइल लोकेशन तो खोज सकती है पुलिस.’
एसएचओ रफीकुर रहमान इन आरोपों पर कहते हैं, ‘पूरी पटना पुलिस आमिर को खोज रही है. हम इस मामले को लेकर गंभीर हैं. 10 लोगों की टीम को एसपी अभिनव कुमार लीड कर रहे हैं. हिंदूपुत्र संगठन के नागेश सम्राट और कुछ लोग इसके मास्टरमांइड थे, उन्हें मौके से ही गिरफ्तार कर लिया था. तालाब की अफवाह पर हमने एक्शन लिया है पर कुछ मिला नहीं. आरोपी लोगों के परिवार ताला लगाकर भाग गए हैं. परिवार की आशंका दूर करने के लिए हमने ताले तोड़कर भी घरों में छानबीन कर ली है. आमिर का पता नहीं चला है. उसके मोबाइल की लास्ट लोकेशन चौक से कुछ दूर मिली है. वहां भी पुलिस ने खोजा है.’