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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशनए कानूनों में 7 संशोधन, एमएसपी पर आश्वासन- ये थे मोदी सरकार के प्रस्ताव जिन्हें किसानों ने नकार दिया

नए कानूनों में 7 संशोधन, एमएसपी पर आश्वासन- ये थे मोदी सरकार के प्रस्ताव जिन्हें किसानों ने नकार दिया

सरकार ने कहा था कि वो नए कृषि क़ानूनों पर तमाम स्पष्टीकरण देने को तैयार थी, लेकिन उसने आंदोलनकारी किसानों की मुख्य मांग का उल्लेख नहीं किया- नए क़ानूनों को रद्द करना.

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नई दिल्ली: नवंबर के आखिरी सप्ताह से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार ने नए कृषि कानूनों में कुछ संशोधन प्रस्तावित किए. लेकिन किसानों ने प्रस्तावों को खारिज कर दिया और नए कानूनों को पूरी तरह रद्द किए जाने की अपनी मूल मांग पर अड़े रहे.

सरकार का मसौदा प्रस्ताव, कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल की ओर से 13 किसान नेताओं को भेजा गया, जो मंगलवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे. मसौदे में लिखित आश्वासन दिया गया था कि न्यूनतम समर्थन (एमएसपी) मूल्य की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी.

कुल मिलाकर, सरकार ने सात संशोधन दो नए कानूनों में प्रस्तावित किए थे- कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार- (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक-2020. उसने आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020, का कोई उल्लेख नहीं किया.

बुधवार को किसानों की ओर से खारिज किए जाने से पहले सरकार ने कहा था, ‘देश के किसान समुदाय का सम्मान करते हुए सरकार ने खुले दिल से किसानों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है. सरकार किसान यूनियनों से आग्रह करती है कि अपने आंदोलन को समाप्त कर दें’.


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मुख्य चिंताएं

एमएसपी मुद्दे पर किसानों को आश्वस्त करने के अलावा सरकार ने अपने प्रस्ताव में एक और मुख्य चिंता पर भी ध्यान दिया है- सरकार द्वारा संचालित एपीएमसी का विघटन. केंद्र ने सरकार द्वारा संचालित एपीएमसी की तर्ज़ पर ही निजी मंडियों और व्यापारियों के पंजीकरण और कराधान का सुझाव दिया है.

किसानों को डर था कि नए कानूनों की वजह से मंडी प्रणाली कमज़ोर पड़ जाएगी इसलिए सरकार ने कहा कि एक संशोधन किया जा सकता है जिसमें राज्य सरकारें मंडी से बाहर काम कर रहे व्यापारियों को पंजीकृत कर सकती हैं और एपीएमसी मंडियों की तरह उनपर कर और उपकर भी लगा सकती हैं.

इस आशंका पर कि किसानों को ठगा जा सकता है, क्योंकि बस एक पैन कार्ड के साथ किसी को भी एपीएमसी मंडियों के बाहर व्यापार करने की अनुमति होगी, सरकार ने कहा कि ऐसी शंकाओं को खारिज करने के लिए राज्य सरकारों को अधिकार दिया जा सकता है कि ऐसे व्यापारियों का पंजीकरण करे और किसानों की स्थानीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए.

किसानों की एक और प्रमुख चिंता- जो अनुबंध खेती और मंडी के बाहर के लेनदेन में विवादों के निपटारे को लेकर थी- पर भी ध्यान दिया गया. केंद्र ने कहा कि वो कानूनों में बदलाव के लिए तैयार है, जिससे कि विवादों का समाधान सिविल अदालतों में किया जा सके, जबकि पहले इसके लिए सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट की अदालतों का प्रावधान था. लेकिन किसानों ने इसे ये कहकर खारिज कर दिया कि उनसे न्याय नहीं मिलेगा और समय पर भुगतान की गारंटी नहीं होगी, चूंकि वो स्वतंत्र अदालतें नहीं हैं.

अनुबंध खेती और अन्य मुद्दे

सरकार ने राज्यों में अनुबंध खेती के पंजीकरण की वैकल्पिक व्यवस्था का प्रस्ताव भी दिया, जब तक कि राज्य सरकारें नए कृषि अनुबंधों के पंजीकरण का कोई रास्ता नहीं निकाल लेतीं. इस व्यवस्था के अंतर्गत, अनुबंधों के पंजीकरण के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी, जिसमें कृषि और कृषि अनुबंधों की एक लिखित कॉपी, पुष्टि किए जाने के 30 दिन के भीतर, एसडीएम ऑफिस में जमा करानी होगी.

इसके अलावा, अनुबंध खेती में किसानों की ज़मीन पर स्पॉन्सर या व्यापारी द्वारा बनाया गया कोई भी ढांचा, किसी ऋण या रहन के लिए उत्तरदायी नहीं होगा.

बड़ी कंपनियों के खेतों पर कब्ज़ा कर लेने के डर पर सरकार ने कहा कि कानूनों में पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है लेकिन फिर भी, स्पष्टता के नाते ये लिखा जा सकता है कि कोई भी खरीदार, खेतों को गिरवी रखकर कर्ज़ नहीं ले सकता और न ही ऐसी कोई शर्त किसानों के साथ रखी जाएगी.

अनुबंध खेती के तहत खेतों की कुर्की पर, सरकार ने कहा कि मौजूदा प्रावधान स्पष्ट है लेकिन ज़रूरत पड़ने पर इसे और स्पष्ट किया जा सकता है.

प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2020 को रद्द करने की मांग पर सरकार ने कहा कि किसानों के लिए बिजली बिल अदायगी की मौजूदा प्रणाली में कोई बदलाव नहीं होगा.

एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश 2020 को रद्द करने की किसानों की मांग पर, जिसके तहत पराली जलाने पर जुर्माने का प्रावधान है, सरकार ने कहा कि वो कोई उपयुक्त समाधान खोजने को तैयार है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(पीटीआई के इनपुट के साथ)


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