कोलकाता: कोरोनावायरस यानी कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए देश में 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान जहां तमाम सरकारें और लोग घरों में बंद रह कर नए-नए तरीके अपना रहे हैं, वहीं पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में सात युवक दूसरों के लिए मिसाल बन गए हैं. घर में जगह कम होने की वजह से चेन्नई से लौटे इन युवकों ने होम क्वारंटीन के लिए पेड़ पर ही खाट डाल कर मसहरी लगा ली है और 14 दिन वहीं रहेंगे. यह लोग बीते मंगलवार से ही वहां रह रहे हैं. कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए गांव के सात कम पढ़े-लिखे युवकों का यह फैसला कनिका कपूर जैसे देश के कथित एलीट जमात के लोगों के लिए मिसाल बन गया है. हर कोई उनके इस फैसले का स्वागत कर रहा है.
वैसे, आम दिनों में इलाके में जंगली हाथियों के झुंड की गतिविधियों पर निगाह रखने पेड़ों पर बने इन अस्थायी मचानों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. लेकिन अब होम क्वारंटीन के लिए सातों युवक इनका इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि गांव के बाकी लोगों में संक्रमण का खतरा पैदा नहीं हो. घर वाले नियत समय पर उनको खाना पहुंचा देते हैं. खाने के बाद यह लोग दोबारा अपने आशियाने में सिमट जाते हैं.
दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल सरकार ने कोरोना पर अंकुश के लिए दक्षिण कोरिया मॉडल अपनाने का फैसला किया है. स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों का टेस्ट कराया जाएगा, जिससे इससे संक्रमित लोगों की सही तादाद के बारे में पता चल सके और समय रहते इसकी रोकथाम को लेकर ठोस कदम उठाया जा सके. केंद्र ने राज्य को 10 हजार नए टेस्ट किट भेज दिए हैं. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने पहले दिन से ही इस मामले में जो कदम उठाए हैं वह दूसरों के लिए मिसाल हैं. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह औऱ विदेश मंत्री जयशंकर तक ने ममता की सराहना की है. राज्य सरकार ने अब तहत अधिक से अधिक लोगों की जांच की जाएगी. एक मेडिकल कालेज अस्पताल को कोरोना अस्पताल में बदल दिया गया है. महानगर और आस-पास के 31 होटलों के कई कमरों का भी होम आइसोलेशन वार्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. होटल मालिक यूनियन की ओर से सरकार को यह प्रस्ताव दिया गया था.
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सरकार ने विदेश से लौटे लोगों के लिए 14 दिनों तक होम क्वारंटीन अनिवार्य कर दिया है. अब ऐसे लोग होटल में भी अपने खर्च पर किराए पर कमरा लेकर क्वारंटीन पर रह सकते हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे तमाम होटलों में एक-एक मेडिकल अधिकारी की नियुक्ति की गई है. होटल के एक कमरे में सिर्फ एक ही व्यक्ति रहेगा.
कोरोनावायरस के संक्रमण का पता चलते ही सरकार ने फौरी कार्रवाई करते हुए तमाम शैक्षणिक संस्थानों को पहले 31 मार्च तक बंद रखने का ऐलान किया था. उसके बाद यह समयसीमा 15 अप्रैल तक बढ़ा दी गई. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राहत और बचाव के उपायो की निगरानी का जिम्मा खुद संभाल लिया है. वे लोगों से बार-बार आतंकित नहीं होने की अपील करती रही है. सरकार गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को छह महीने तक चावल औऱ गेहूं मुफ्त देने का एलान कर चुकी हैं. पहले यह दो रुपए किलो मिलता था. इसके अलावा गरीबों और मजदूरों को वित्तीय सहायता का एलान भी किया गया है.
मुख्यमंत्री ने कोरोना पर सर्वदलीय बैठक बुला कर विपक्ष को भरोसे में लिया है. कोलकाता के एक मेडिकल कालेज को 2200 बिस्तरों वाले कोरोना अस्पताल में बदलने का फैसला किया गया है. ममता संक्रमण की परवाह किए बिना खुद कोलकाता के खुदरा और थोक बाजारों में घूमती रही हैं ताकि सामानों की कमी नहीं हो और कालाबाजारी पर अंकुश लग सके. कई बाजारों में तो खुद वृत्त बना कर उन्होंने लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब समझाया है. वे अस्पतालों का दौरा भी कर चुकी हैं. सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों के घर से दफ्तर आने-जाने के लिए विशेष बसें चलाईं हैं.
सरकार ने कोरोना से मुकाबले के लिए 12-सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया है. मुख्यमंत्री ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे बंगाल के मजदूरों के रहने-खाने के इंतजाम के लिए 18 मुख्यमंत्रियों को पत्र भी भेजा है. उन्होंने पुलिस से लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों से मारपीट करने की बजाय नरमी से काम लेने को कहा है.
मुख्यमंत्री ने लोगों से सोशल मीडिया पर कोरोना के बारे में फर्जी खबरें फैलाने से बाज आने की चेतावनी देते हुए कहा है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कोलकाता पुलिस ने इस आरोप में 29 साल की एक महिला को गिरफ्तार भी किया है. राज्य सरकार ने उम्रदराज पुलिसवालों को थाने में ही तैनात रखने का निर्देश दिया है जबकि युवा पुलिसकर्मियों को सड़कों पर उतारा गया है ताकि संक्रमण का खतरा कम रहे. कोलकाता समेत कई शहरों में पुलिस खासकर बुजुर्गों को घर बैठे खाने-पीने का सामान औऱ दवाएं पहुंचा रही है. इसके लिए कई हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं और व्हाट्स एप्प समूहों का गठन किया गया है.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)