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Saturday, 21 December, 2024
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पश्चिम बंगाल: सियासी हंगामें के बीच क्या कर बैठे आईपीएस राजीव कुमार

आल इंडिया सिविल सर्विस कोड ऑफ़ कंडक्ट 1968 के मुताबिक कोई भी अधिकारी किसी भी राजनीतिक आंदोलन या राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं ले सकता है.

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पश्चिम बंगाल इन दिनों राजनीति का अखाड़ा बन गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच की राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई ने एक बार फिर प्रशासन को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है.

शारदा चिटफंड घोटाला मामले में सीबीआई बनाम कोलकाता पुलिस की लड़ाई ने रविवार की रात को एक नया मोड़ ले लिया. रविवार की रात मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठीं तो एक बार फिर उनकी धरने की पुरानी यादें ताजा हो गईं. ऐसा पहली बार नहीं है कि वे धरने पर बैठीं हो इससे पहले ममता बनर्जी हुगली ज़िले के सिंगूर में टाटा की लखटकिया नैनो प्रोजेक्ट के लिए ली गई किसानों की जमीन लौटाने की मांग में भूख हड़ताल पर बैठी थीं.

लेकिन अबकी मामला नया है. इस बार वे कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के बचाव में धरने पर बैठी हैं.

ममता बनर्जी बार-बार संवैधानिक संस्थाओ को बचाने की बात करती हैं, लेकिन उनके ही पुलिस कमिश्नर आल इंडिया सिविल सर्विस कोड ऑफ़ कंडक्ट का उल्लंघन कर रहे हैं. ममता बनर्जी के साथ राजीव कुमार भी धरने पर बैठे हुए हैं.

इस मामले में दिप्रिंट ने उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड डीजीपी प्रकाश सिंह से बात की. प्रकाश सिंह ने बताया, ‘कोई भी पुलिस सेवा का अधिकारी धरने पर नहीं बैठ सकता है. यह इंडिया सिविल सर्विस के नियमों का सरासर उल्लंघन है. नियमत: कोई भी पुलिस अधिकारी ड्यूटी के दौरान धरने पर नहीं बैठ सकता है.’ उन्होंने बताया कि आल इंडिया सिविल सर्विस कोड ऑफ़ कंडक्ट 1968 के मुताबिक कोई भी अधिकारी किसी भी राजनीतिक आंदोलन या राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं ले सकता है.

क्या है पूरा मामला

तीन हजार करोड़ के चिटफंड घोटाले का खुलासा अप्रैल 2013 में हुआ था. शारदा ग्रुप की कंपनियों ने गलत तरीके से निवेशकों के पैसे जुटाए और उन्हें वापस नहीं किया. घोटाले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठे थे.

कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार 2013 में शारदा चिटफंड घोटाला मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम उनके ही अंडर में बनाई गई थी. उन पर बतौर जांच अधिकारी के धांधली के आरोप भी लगे हैं. कमिश्नर राजीव कुमार ने शारदा चिटफंड और रोज वैली स्कैम से जुड़ी जांच टीम के मुखिया थे. जांच में हो रही धांधली के बीच मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सर्वोच्च अदालत ने पूरा मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.

वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ये दोनों मामले सीबीआई को सौंपे और तभी से सीबीआई का आरोप है कि राजीव कुमार ने मामले से जुड़े कई दस्तावेज, लैपटॉप, पेन ड्राइव, मोबाइल फ़ोन टीम को नहीं सौंपे हैं. और बार-बार जांच के लिए मदद मांगने पर भी सहायता नहीं कर रहे हैं. सीबीआई इन्हीं दस्तावेजों की उगाही के लिए रविवार देर शाम राजीव कुमार के कोलकाता स्थित आवास पर पहुंची और जहां से यह पूरा सियासी ड्रामा शुरू हुआ है.

एसआईटी के अध्यक्ष के तौर पर राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर में शारदा प्रमुख सुदीप्त सेन और उनकी सहयोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था और उनके पास से मिली एक डायरी को गायब कर दिया था. इस डायरी में उन सभी नेताओं के नाम थे जिन्होंने चिटफंड कंपनी से रुपए लिए थे. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजीव कुमार को आरोपित किया था.

कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार कौन हैं

1989 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार कोलकाता के पुलिस कमिश्नर हैं. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ ज़िले में हुआ था. उन्होंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. 1990 के दशक में राजीव कुमार ने बीरभूम जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रहते हुए कोयला माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ जंग छेड़ी थी. उन्होंने कोयला माफियाओं पर लगाम लगाई थी.

दिलचस्प किस्सा

जब ममता बनर्जी विपक्ष में थी तब इन्हीं राजीव कुमार पर उनका फ़ोन रिकॉर्ड करने का आरोप लगा था. जब ममता बनर्जी सत्ता में आईं तो वे ममता सरकार के भी करीबी अधिकारियों में शामिल हो गए. इन्हें वर्ष 2016 में उन्हें कोलकाता का कमिश्नर नियुक्त किया गया.

राजीव कुमार पहले बिधाननगर के कमिश्नर भी रह चुके हैं. वे कोलकाता पुलिस से अंतर्गत स्पेशल टास्क फ़ोर्स के चीफ़ भी रह चुके हैं.

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