गुरुग्राम: हरियाणा के नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ.पी. सिंह ने अपने अधिकारियों से संवाद का एक नया तरीका अपनाया है — खुले पत्रों के ज़रिए.
“प्रिय हरियाणा पुलिस” शीर्षक से पूरी पुलिस फोर्स को संबोधित पहला पत्र लिखने के एक दिन बाद, शुक्रवार को उन्होंने दूसरा पत्र जारी किया — जिसका शीर्षक था “हरियाणा के विभिन्न ज़िलों में मेरे प्यारे एसपी, डीसीपी और सीपी”. इसमें उन्होंने पुलिसिंग में बुनियादी बदलाव की अपील की.
17 अक्टूबर को चंडीगढ़ से लिखे इस पत्र में डीजीपी सिंह ने पुलिसिंग को “बिना रगड़ वाला” और जनता-केन्द्रित बनाने पर ज़ोर दिया, जिसमें गरिमा, दक्षता और संवेदनशीलता पर फोकस हो.
यह पत्र भी मीडिया को जारी किया गया, जैसे गुरुवार को भेजा गया पहले पत्र था, उस पहले पत्र में एक पहेली भरी शायरी थी — “वो मेरा दोस्त है सारे जहां को मालूम, दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आए मुझे.”
दूसरे पत्र में सिंह ने माना कि 90% लोग कानून का पालन करने वाले होते हैं और वे केवल न्यूनतम पुलिस हस्तक्षेप और अपराधियों से सुरक्षा चाहते हैं.
अधिकारियों को निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में पुलिस का दखल कम से कम हो. वेरिफिकेशन के दौरान रवैया सहयोगात्मक होना चाहिए और चेकिंग केवल जानकारी और खुफिया इनपुट पर आधारित होनी चाहिए, मनमाने तौर पर नहीं.
थानों में आने वाले नागरिकों के साथ शालीनता से पेश आने के निर्देश देते हुए सिंह ने कहा कि थानों को स्वागतयोग्य बनाना चाहिए — बैठने की व्यवस्था, चाय, अख़बार और विनम्र स्टाफ ज़रूरी हैं.
अपराध पीड़ितों के साथ व्यवहार पर उन्होंने ज़ोर दिया कि पीड़ितों को वही सम्मान दिया जाए जो कोई अफसर अपने वरिष्ठ को देता है, ताकि भरोसा और सहजता बन सके.
उन्होंने अपराधियों को तीन श्रेणियों में बांटा —
4–5% लोग गरीबी और अज्ञानता के कारण छोटे-मोटे अपराध में भटकते हैं, जिन्हें जेल नहीं बल्कि सरकारी योजनाओं के ज़रिए पुनर्वास मिलना चाहिए.
2–3% लोग आवेग में छोटी हिंसा कर बैठते हैं, जिन्हें सज़ा से ज़्यादा समझाने और सुलह की ज़रूरत है.
1–2% आदतन अपराधी हैं, जिन पर सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए, उनकी गैरकानूनी कमाई जब्त की जाए और जेल ही उनका ठिकाना हो.
उन्होंने एसपी, डीसीपी और सीपी से कहा कि जेन वाई, जेन ज़ी, और जेन अल्फा जैसे युवाओं से वैसे ही व्यवहार करें जैसे अपने बच्चों से करते हैं. महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने को कहा, क्योंकि वे समाज का आधा हिस्सा हैं और पहले से कहीं ज़्यादा सार्वजनिक जीवन में भाग ले रही हैं.
राहत इंदौरी की पंक्तियां उद्धृत करते हुए — “ना हमसफ़र, ना किसी हमनशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा” — उन्होंने पुलिस अधिकारियों को समाज और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया.
उन्होंने अफसरों को दफ्तर से बाहर निकलकर समुदाय से जुड़ने, न्याय, निष्पक्षता और सम्मान को बनाए रखने की सलाह दी.
“जय हिंद” के साथ खत्म हुआ यह पत्र एक संवेदनशील और सुरक्षित हरियाणा के लिए आह्वान जैसा है.
Congratulated Hon’ble @cmohry Shrib @NayabSainiBJP Ji on completing the first year of the present term in office. #GodBlessHaryana pic.twitter.com/TINcGRSb4c
— OP Singh, IPS (@opsinghips) October 17, 2025
सिंह के ये निर्देश पारंपरिक पुलिसिंग को आधुनिक संवेदनशीलता से जोड़ने की दिशा में एक अहम बदलाव हैं. दिन में बाद में, सिंह ने मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ अपनी तस्वीर पोस्ट की, जिसमें उन्हें सरकार के एक साल पूरे होने पर बधाई दी जा रही थी.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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