नई दिल्ली: देश के 73वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न पर दिल्ली के लाल किले से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के मुद्दों, तीन तलाक और अनुच्छेद 370 व 35ए पर बोलते हुए कहा, ‘हम ना समस्याओं को पालते हैं और ना ही टालते हैं.’
केसरिया साफा और सफेद कुर्ते पायजामे में पीएम नरेंद्र मोदी इस बार पिछले पांच बार की तरह अलग नजर आए. उन्होंने तिरंगा फहराया और भाषण की शुरुआत बाढ़ पीड़ितों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए की. उसके बाद वह पिछले दिनों तीन तलाक बिल पर बात करते हुए कहा कि क्या हमें हक नहीं कि हम मुस्लिम महिलाओं की हक की बात करें?
उन्होंने 21वीं सदी के भारत की बात करते हुए कहा कि इस्लामिक देशों ने भी तीन तलाक को बहुत पहले ही खत्म कर दिया था लेकिन ये देश इस दिशा में कदम उठाने में कतराता रहा.
उन्होंने आगे कहा, ‘जब हम बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं, सती प्रथा खत्म कर सकते हैं, दहेज प्रथा के खिलाफ खड़े हो सकते हैं तो तीन तलाक पर क्यों नहीं उठा सकते.”
‘तीन तलाक मुस्लिम बेटियों के सिर पर एक तलवार की तरह लटक रहा था. वो डरी हुई जिंदगी जी रही थीं. तीन तलाक का भय उसे जीने नहीं देता था. उसे मजबूर करके रखता था. हमने बाबा साहेब आंबेडकर के सपने को सम्मान देते हुए मुस्लिम महिलाओं के हकों के लिए ये कदम उठाया. अब वो भी इस देश के विकास में बराबर की भागीदारी बन सकती हैं.’
जम्मू-कश्मीर और अनुच्छेद 370 रहा आकर्षण
महिलाओं की बात के बाद पीएम मोदी ने हाल ही में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि 70 साल हर सरकार ने इस दिशा में कुछ न कुछ प्रयास किया लेकिन इच्छित परिणाम नहीं मिले. पिछले 70 सालों में वहां आतंकवाद और परिवारवाद को पोषा है. अलगाववाद और भ्रष्टाचार की नींव को मजबूत करने का काम किया गया. ऐसे में नए सिरे से सोचने की ज़रूरत थी.
‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों की जन आकांक्षाएं पूरी हों, यह हम सबका दायित्व है. उनके सपनों को नया पंख मिले, यह हमारी जिम्मेदारी है. 130 करोड़ की जनता को इसकी ज़िम्मेदारी को उठानी है.’
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‘सरकार ने सरदार वल्लभ भाई पटेल का देश को एकीकरण के सूत्र में बांधने का सपना पूरा किया और दो तिहाई बहुमत से आर्टिकल 370 हटाने का क़ानून पारित कर दिया. इसका मतलब है कि हर किसी के दिल में यह बात थी लेकिन आगे कौन आए. लेकिन सुधार करने का आपका इरादा नहीं था. हमने ये 70 दिन में करके दिखाया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘लाखों लोग विस्थापित हो कर आए उन्हें मानविक अधिकार नहीं मिले. पहाड़ी भाइयों की चिंताएं दूर करने की दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं. भारत की विकास यात्रा में जम्मू-कश्मीर बड़ा योगदान दे सकता है. नई व्यवस्था नागरिकों के हितों के लिए काम करने के लिए सीधे सुविधा प्रदान करेगी.’
‘अब वहां की महिलाओं, दलितों और आदिवासी जनजातियों, सफाई कर्मचारियों को उनके कानूनी हक मिल सकेंगे. अब जम्मू कश्मीर के देश के लिए सुख, शांति और समृद्धि का प्रेरक बन सकेगा. मेरे लिए इस देश का भविष्य ही सबकुछ है.’
भारत माता के नारों और वंदे मातरम के नारों से उन्होंने राष्ट्र के नाम के संबोधन को खत्म किया.