scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशयुसुफ तारिगामी ने कहा- हम कोई विदेशी नहीं हैं, कश्मीरियों की भी आवाज़ सुनी जानी चाहिए

युसुफ तारिगामी ने कहा- हम कोई विदेशी नहीं हैं, कश्मीरियों की भी आवाज़ सुनी जानी चाहिए

सीपीआई (एम) के नेता तारिगामी ने कहा कि केंद्र के मुताबिक कश्मीर में सब सामान्य है क्योंकि अब तक एक गोली भी नहीं चली. जेल में भी गोली नहीं चलती लेकिन जेल-जेल होती है.

Text Size:

नई दिल्ली : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीआई (एम) के कश्मीर घाटी स्थित कुलगाम के विधायक मोहम्मद युसुफ तारिगामी ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘मैं कोई विदेशी नहीं हूं और कश्मीरियों का भी पक्ष सुना जाना चाहिए, उन्हें भी साथ लेकर चलना चाहिए.’

5 अगस्त को अनुच्छेद 370 पर बदले गए कानून के बाद तारिगामी भी अन्य नेताओं की तरह अपने घर में नज़रबंद थे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के मुताबिक कश्मीर में सब सामान्य है क्योंकि अब तक एक गोली भी नहीं चली. फिर उन्होंने कहा कि जेल में भी गोली नहीं चलती लेकिन जेल-जेल होती है.

उन्होंने कहा, ‘मैं इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को शुक्रगुज़ार हूं कि मुझे यहां आने का मौक़ा मिला.’

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तारिगामी को दिल्ली लाया गया है. उनके लिए पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने हेबियस कॉर्पस के तहत सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. हेबियस कॉर्पस के तहत जब अपील की जाती है तो अदालत के आदेश के बाद कैद व्यक्ति को अदालत के सामने पेश करना पड़ता है.

तारिगामी ने ये भी कहा, ‘मैं बहुत विचलित हूं. 1990 के दशक में भी स्थिति बदतर थी और मैंने अपने परिवार के लोगों को हमलों में खोया है. लेकिन मैंने अभी तक इतना विचलित महसूस नहीं किया. कश्मीर के लोगों के मूलभूत अधिकारों को तार-तार कर दिया गया.’ मोदी सरकार के प्रति आलोचानत्मक रुख अपनाते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार से बहुत उम्मीदें नहीं थीं लेकिन ऐसी भी उम्मीद नहीं थी कि वो संविधान का भी सम्मान नहीं करेगी.

इतिहास की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीरियों ने पाक के साथ जाने के बजाय भारत का हिस्सा बनने का विकल्प चुना. राजशाही से वैसी ही लड़ाई लड़ी जैसे देश के बाकी हिस्सों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. लेकिन वो सब तार-तार कर दिया गया. उन्होंने देश के नागरिकों से दूसरे यानी कश्मीरी पक्ष को भी सुनने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘मैं एक विदेशी नहीं हूं. हमारी भी एक मांग है, हमें भी साथ लेकर चलो.’

उन्होंने आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने वाले साल 2016 का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब कश्मीर में बहुत ज़्यादा तनाव था तब वो अन्य नेताओं के साथ पीएम मोदी से मिले थे. चार बार घाटी के कुलगाम के विधायक रहे तारिगामी ने कहा, ‘तब हमने कहा था कि हालात बहुत ख़राब हैं, हमें चीज़ों को संभालना है. हम जैसे देश के नेताओं ने मिलकर हालात बिगाड़े थे.’

उन्होंने कहा कि उन्होंने कश्मीरियों को अपनाने और उनसे बात करने का रास्ता सुझाया था. लेकिन 5 अगस्त को 370 हटाए जाने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ठीक इसका उल्टा हुआ.

उन्होंने अपने दर्द का एहसास कराने के लिए कहा कि दिल्ली समेत भारत में एक हफ़्ते के लिए इंटरनेट बंद करके देखना चाहिए कि क्या होता है? सामान्य हालत की बात को ख़ारिज करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाए कि वो न तो स्कूल खोलते हैं और न बाज़ार फिर भी कहते हैं कि सब ठीक है. उन्होंने कहा, ‘कहते हैं कि लोग मरे तो नहीं. लेकिन लोग तिल-तिल कर मर रहे हैं.’

सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके कश्मीर लौटने से जुड़े एक सवाल के जवाब में तारिगामी ने कहा, ‘ये मेरा मुल्क है, मुझे जब जहां आना-जाना होगा, मैं वहां आऊंगा-जाऊंगा.’ उन्होंने दिल्ली के लोगों से भी उनकी मदद करने की अपील की साथ ही ये भी कहा कि 4 अगस्त की रात उन्हें बताया गया कि वो घर से बाहर नहीं आ सकते, उसके बाद से घाटी के नेताओं को नज़रबंद करके रखा गया है. आपको बता दें कि तारिगामी का पूर्व विधानसभा क्षेत्र कुलगाम बुरी तरह से आतंक से प्रभावित रहा है.

इस दौरान सीपीआई (एम) के पूर्व महासचिव येचुरी ने कहा, ‘सरकार ने पेलेट बंद किए जाने से लेकर बातचीत का रास्ता अपनाए जाने जैसे कई भरोसे दिए थे लेकिन इसका उल्टा हुआ. जब विधानसभा में फिर से सरकार बनने की संभावना थी तो ऐसा फ़ैसला क्यों किया गया?’ उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा, ‘इसके मुताबिक किसी भी राज्य की सीमा बदलने से पहले उसकी चुनी हुई विधानसभा से अनुमति लेनी होती है. लेकिन इसे ताक पर रख कर 370 हटाया गया.’

येचुरी ने ये भी कहा कि अब्दुल्ला के खिलाफ एनएसए लगाया जाना ग़लत है क्योंकि अब्दुल्ला परिवार भारत समर्थक रहा है.

share & View comments