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Sunday, 5 May, 2024
होमदेश'वॉटरफॉल मेथड', सुपरटेक ट्विन टावर को ढहाने के लिए अपनाया जाएगा यह तरीका

‘वॉटरफॉल मेथड’, सुपरटेक ट्विन टावर को ढहाने के लिए अपनाया जाएगा यह तरीका

बिल्डिंग गिराने के लिए वैज्ञानिक तरीके इस्तेमाल किए जाएंगे. इसमे 3,500 किलोग्राम विस्फोटक इस्तेमाल किया जाएगा. साइट पर 100 लोग मौजूद रहेंगे.

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नई दिल्ली: नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को ढहाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसे ढहाने का जिम्मा एडिफिस नाम की कंपनी को दिया गया है. यह एजेंसी पहले भी बड़ी-बड़ी इमारतों को गिराने का काम कर चुकी है. बिल्डिंग गिराने के लिए वैज्ञानिक तरीके इस्तेमाल किए जाएंगे. इसमे 3,500 किलोग्राम विस्फोटक इस्तेमाल किया जाएगा. इस काम के लिए साइट पर 100 लोग मौजूद रहेंगे. आस-पास की बिल्डिंग्स को एहतियात के तौर पर खाली करा दिया जाएगा. इसके अलावा बिल्डिंग गिरने से उठने वाले धूल के गुबार को कंट्रोल करने के लिए खास इंतजाम किए जाएंगे.

भारत में पहली बार इतनी ऊंची इमारत गिराई जा रही है. बिल्डिंग को गिराने का काम कर रही एंजेंसी एडिफिस के चीफ इंजीनियर उत्कर्ष मेहता ने बताया कि ऐसी 32 मंजिला इमारत भारत में पहली बार गिरने जा रही है. उन्होंने बताया, ‘भारत में किसी भी कंपनी ने ऐसा काम अभी तक नहीं किया है. हमारी सहयोगी एजेंसी जेट डेमोलिशन अफ्रीका में 108 मीटर की बिल्डिंग गिरा चुकी है. दो साल पहले भी हमने कोच्चि में 16 माले के तीन टॉवर गिराए थे.’

नोएडा में सुपरटेक के 40-मंजिला ट्विन टावर को 28 अगस्त को ढहा दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर कोई तकनीकी या मौसम से जुड़ी समस्या होती है तो इस इमारत को ढहाने की तारीख 4 सितंबर तक खींची जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को ‘नोएडा के अधिकारियों के साथ मिलीभगत में इमारत मानदंडों के उल्लंघन के लिए तीन महीने के भीतर निर्माणाधीन टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, यह मानते हुए कि कानून के शासन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अवैध निर्माण से सख्ती से निपटा जाना चाहिए.’

वॉटरफॉल इंप्लांट मेथड

बिल्डिंग को ढहाने के लिए वॉटरफॉल इंप्लांट मेथड का इस्तेमाल किया जाएगा और इमारत अंदर की ओर गिरेंगी. विस्फोटकों का विस्फोट बाहरी दबाव का एक तेज विस्फोट पैदा करेगा और एक शॉकवेव की तरह पूरे ढांचे में फैल जाएगा, कंक्रीट को चकनाचूर कर देगा, जिसके बाद इमारत ढह जाएगी. उत्कर्ष मेहता ने दिप्रिंट को बताया है कि इमारत पानी की तरह ढहेगी.

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उत्कर्ष मेहता ने बताया, ‘इस मेथड के तहत बिल्डिंग धीरे-धीरे करके जमीन पर गिरेगी ताकि एक साथ जमीन पर इसका भार न पड़े. यह प्रक्रिया पूरी तरीके से विज्ञान पर आधारित है. इस मेथड के तहत बिल्डिंग अपने आप अंदर की तरफ गिरेगी. इमारत का ढांचा और आस-पास की चीजों को ध्यान में रखते हुए हमने इस तरीके को पेश किया था.’

बिल्डिंग को ढहाने का काम कर रही एडिफिस इंजीनियर्स की टीम ने दिप्रिंट को बताया कि 250 से 300 किलोग्राम की दर से प्लास्टिक विस्फोटक बिल्डिंग में रखे जा रहे हैं. टावरों की चुनिंदा मंजिलों पर कुल लगभग 3,500 किलोग्राम विस्फोटक रखा जाना है. बिल्डिंग की अंदर और बाहर की दीवारों को तोड़ना और विस्फोटक डालने के लिए छेद करना और जियोटेक्सटाइल और चेन लिंक फेंसिंग से लपेटने का काम 25 जुलाई तक ही पूरा हो गया था.

एडिफिस के चीफ इंजीनियर उत्कर्ष मेहता ने बताया कि इस इमारत को ढहाने में सिर्फ 15 मिनट का समय लगेगा. और पूरी इमारत को सिर्फ 6 महीने में साफ कर दिया जाएगा.

28 अगस्त तक पूरा होगा काम

एडिफिस कंपनी का दावा है कि 24 अगस्त तक सियान और एपेक्स टावर में विस्फोटक लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा. सियान टावर में पूरी तरह से विस्फोटक लग चुके हैं, वहीं एपेक्स का काम अभी बाकी है. एपेक्स टावर में 32 और सियान में 29 फ्लोर हैं.

टावर गिराने के लिए बिल्डिंग के कॉलम और बीम में विस्फोटक भरे जाते हैं. कॉलम और बीम को वी शेप में काटा जाता है. फिर उसके अंदर विस्फोटक की छड़ रख दी जाती है. विस्फोटक ग्राउंड फ्लोर से लेकर 1 और 2 फ्लोर तक तो लगातार रखा जाता है. लेकिन उसके बाद 4-4 फ्लोर का गैप देकर जैसे दूसरे के बाद 6 पर और 6 क बाद 10, 14, 18 और 22वें. जानकारों की मानें तो किसी भी हाईराइज बिल्डिंग को गिराने के लिए उसके कॉलम और बीम में फ्लोर पर विस्फोटक भरा जाएगा. विस्फोट प्राइमरी और सेकेंड्री होंगे.

एपेक्स में 11 और सियान में 10 प्राइमरी विस्फोट किए जाने हैं, जबकि दोनों टावरों में सात-सात सेकेंड्री ब्लास्ट होंगे. ट्विन टावर के परिसर में एक्सपर्ट के अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं है.

विस्फोट करने से पहले पड़ोस के टावर एटीएस ग्रीन्स विलेज में 736 फ्लैट और एमराल्ड कोर्ट में 650 फ्लैट खाली किए जाने हैं. यहां रहने वाले करीब 700 हजार परिवारों को सेक्टर-93ए स्थित पाशर्वनाथ प्रेस्टीज सोसाइटी, सेक्टर-93 की पूर्वांचल सिल्वर सिटी और सेक्टर-137 की पूर्वांचल सोसाइटी में ठहराया जाएगा.

सुरक्षित तरीके से अपने घरों से बाहर कैसे निकलना है और घरों को किस तरह से बंद करके आना है इसके लिए सभी को कंपनी की ओर से प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

क्या खास इंतजाम किए जाएंगे

ट्विन टावर के चारों ओर कुछ दूरी तक आवागमन को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा. टावर के उत्तर में एमराल्ड कोर्ट के सामने बने रोड, दक्षिण में दिल्ली की ओर जाने वाली एक्सप्रेसवे की सर्विस रोड, टावर के पूर्व में सृष्टि और एटीएस विलेज के बीच बनी सड़क और पश्चिम में पार्क से जुड़ी फ्लाईओवर तक एक्सक्लूशन जोन निर्धारित किया गया है, साथ ही 28 अगस्त को ध्वस्तीकरण के दौरान आधे घंटे के लिए नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेवे को भी बंद किया जाएगा.

दोपहर 2:15 से लेकर 2:45 बजे तक एक्सप्रेवे पूरी तरह बंद रहेगा, इसको लेकर ट्रैफिक पुलिस डायवर्जन के लिए पूरी तैयारी में लग गयी है, इसके साथ ही सुरक्षा को देखते हुए फायर की गाड़ियां और एम्बुलेंस को तैनात किया जाएगा.

इसके अलावा इमारत गिरने से पैदा होने वाले धूल के गुबार को कंट्रोल करने के लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं. एडिफिस कंपनी ने बताया कि दोनों टावर के हर एक माले पर जीओ फाइबर क्लाथ का जाल लगाया गया है, जिसके लगने से टावर गिरने पर मलबा इधर-उधर नहीं बिखरेगा और न धूल उड़ेगी. यह जाल मलबे को बिखरने और धूल को उड़ने से रोकने में मदद करेगा. मलबा बिखरने से रोकने के लिए डबल लेयर पर काम किया जा रहा है. ट्विन टावर के आसपास लोहे की दीवार भी खड़ी की जा रही है.

उत्कर्ष मेहता ने कहा, ‘एहतियात बरतने के लिए जहां-जहां विस्फोटक लगाए जाते हैं उसे कवर किया जाएगा और आस-पास की इमारतों को भी कवर किया जाएगा.’

एडिफिस के इंजीनीयर उत्कर्ष मेहता ने बताया, ‘बिल्डिंग को गिराने का काम 28 अगस्त तक पूरा हो जाएगा.’


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