भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जल ही जीवन का आधार है और हमें इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाना होगा.
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में 90 दिनों तक चला ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ जनभागीदारी और तकनीकी नवाचार का शानदार उदाहरण बनकर उभरा है. यह अभियान सिर्फ जल संरक्षण नहीं, बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक भी है.
डॉ. यादव ने अपने ब्लॉग में लिखा कि यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित है, जिन्होंने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए जल संरक्षण को जनांदोलन बनाया था. उन्हीं की सोच से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश में 30 मार्च को गुड़ी पड़वा के दिन उज्जैन से इस अभियान की शुरुआत की गई.
खंडवा जिला जल संरचनाओं के निर्माण में सबसे आगे रहा— 1.29 लाख संरचनाएं बनीं. 2.30 लाख ‘जलदूत’ बनाए गए, जो आने वाले समय में जल सुरक्षा के प्रहरी बनेंगे. 812 पानी चौपालें आयोजित हुईं, जिसमें किसानों ने अपने अनुभव साझा किए. 83 हजार खेत तालाब और डगवेल रिचार्ज के जरिए पानी रोकने की बड़ी पहल हुई. इस पूरे अभियान में सिपरी, एआई और प्लानर सॉफ्टवेयर जैसी तकनीकों का प्रयोग कर काम को और प्रभावी बनाया गया। डैशबोर्ड से निगरानी और गुणवत्ता सुनिश्चित की गई.
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस अभियान में 2000 से ज्यादा पुरानी बावड़ियों को पुनर्जीवित किया गया है. खास बात यह रही कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनाई गई 200 साल पुरानी बावड़ी को भी नया स्वरूप देकर जनता को समर्पित किया गया.
प्रदेश में पहली बार ‘री-यूज वाटर पोर्टल’ बनाया गया है, जो री-यूज, रीड्यूस और री-साइकल सिद्धांतों पर आधारित जल प्रबंधन को गति देगा.
प्रदेश की 267 नदियों में से 145 नदियों के उद्गम स्थल चिन्हित किए गए. वहां सफाई और पौधरोपण का कार्य हुआ, जिसे ‘हरि चुनरी’ पहल नाम दिया गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान अब सिर्फ सरकार का नहीं रहा, यह जनता का अपना आंदोलन बन गया है. किसानों, महिलाओं, युवाओं और छात्रों ने इसे अपने जीवन का मंत्र बना लिया है.
उन्होंने कहा, “पानी की हर बूंद को बचाना हमारी जिम्मेदारी है. यह अभियान हमारी संस्कृति, परंपरा और भविष्य की सुरक्षा का प्रतीक है.”
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता से अपील की है कि वे जल संरक्षण के इस महाअभियान से जुड़ें और पानी की हर बूंद को बचाकर जल समृद्ध मध्यप्रदेश बनाने में सहयोग करें.