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Friday, 15 November, 2024
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रुकिए कहीं यह स्पैम कॉल तो नहीं! कॉल सेंटर और कोल्ड-कॉलिंग की दुनिया कैसे करती है काम

स्पैम कॉल की संदिग्ध दुनिया की अंदरूनी कहानी सीरीज़ की दूसरी रिपोर्ट में दिप्रिंट सर्विस कॉल सेंटर, टेलीमार्केटिंग और कोल्ड-कॉलिंग की दुनिया से आपको रूबरू कराएगा.

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एक क्लिक करते ही उनके कंप्यूटर स्क्रीन पर डिटेल्स का पॉप अप आता है. उनके पास काम है — सेल्स की बात खत्म करना, ग्राहक को लुभाने के लिए कॉल को लंबे समय तक चलाए रखना और ऐसी जानकारी निकालना जो भविष्य में उपयोगी हो सकती है. टेलीकॉलिंग अभी भी भारत में युवा पुरुषों और महिलाओं के लिए सबसे आकर्षक और आसानी से उपलब्ध नौकरियों में से एक है और कॉल सेंटर, स्पैम कॉल के खतरे के केंद्र में.

जैसा कि दिप्रिंट ने इस सीरीज़ की पहली रिपोर्ट में बताया है, स्पैमर्स में न केवल अनरजिस्टर्ड टेलीमार्केटर्स (UTM) शामिल हैं, बल्कि रजिस्टर्ड टेलीमार्केटिंग कंपनियां भी शामिल हैं जो बगैर ग्राहकों की सहमति के अनचाहे कमर्शियल कम्युनिकेशन (UCC) में शामिल हैं.

इस सीरीज़ की दूसरी रिपोर्ट में दिप्रिंट सर्विस कॉल सेंटर, टेलीमार्केटिंग और कोल्ड-कॉलिंग की दुनिया से आपको रूबरू कराएगा.

कॉल कौन करता है?

एक टेलीकॉलर बनने के स्किल्स में आपको बुनियादी ट्रेनिंग जैसे अंग्रेज़ी या हिंदी या दोनों में धाराप्रवाह होना, कॉल को पूरा करने और ग्राहक द्वारा बातचीत के बीच में फोन काटने पर अगले कॉल पर जाने का धैर्य शामिल है. टेलीकॉलर की शैक्षणिक योग्यता बाहरवीं से लेकर मास्टर डिग्री तक होती है.

कॉल सेंटर पारंपरिक रूप से मैन्युअल डायलिंग मॉडल पर काम करते हैं, लेकिन बेहतर बाज़ार पहुंच और लागत-प्रभावशीलता की ज़रूरत ने ऑटोडायलर और क्लाउड टेलीफोनी सर्विस की ओर रुख किया है.

सरल शब्दों में कहें तो टेलीकॉलर को संभावित ग्राहकों की एक सूची सौंपी जाती है. इसमें फोन नंबर, क्रेडिट स्कोर, एड्रेस, इनकम के स्रोत, रोज़गार की स्थिति आदि की डिटेल्स होते हैं. ऑटोडायलर को टेलीकॉलर को ग्राहकों से जोड़ने के लिए बस एक क्लिक करना होता है.

पिछले 10 साल से टेलिमार्केटिंग इंडस्ट्री में काम करने वाले एक सूत्र ने बताया, कॉलर्स आमतौर पर खुद की पहचान बताकर कॉल शुरू नहीं करते हैं. इसके बजाय, वह संभावित ग्राहक को लंबे समय तक जोड़े रखने के लिए उनका नाम और डिटेल्स वेरीफआई करते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, “हर कॉल सेंटर के अपने तरीके होते हैं, जिन्हें नए लोगों को ट्रेनिंग के दौरान सिखाया जाता है”.

इस प्रक्रिया में इस्तेमाल किए जाने वाले ऑटोडायलर और क्लाउड टेलीफोनी अतिरिक्त सेवाओं की सुविधा भी प्रदान करते हैं, जैसे कि फीडबैक कलेक्शन और गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए कॉल रिकॉर्डिंग.

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा अगस्त में जारी किए गए परामर्श पत्र में पिछले चार वर्षों में UTM के खिलाफ शिकायतों में कम से कम चार गुना वृद्धि देखी गई. हालांकि, पिछले दो वर्षों में रजिस्टर्ड लोगों के खिलाफ शिकायतों में कमी आई है.

टेलीकॉलर्स का कहना है कि वह इस व्यवसाय में इसलिए आए क्योंकि यह सबसे आसानी से उपलब्ध “लाभदायक” विकल्प था.

कानपुर के 26-वर्षीय एक व्यक्ति जो पिछले छह वर्षों से टेलीकॉलिंग की नौकरी करते हुए सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर रहे हैं, ने कहा, “मुझे कोचिंग और एग्जाम की फीस भरनी है और मेरे माता-पिता बूढ़े हैं. ऐसा नहीं है कि मैंने बेहतर नौकरी पाने की कोशिश नहीं की है, लेकिन जब मैंने तलाश शुरू की थी, तो उन्हें अनुभवी व्यक्ति चाहिए था. जब मेरे पास अनुभव था, तो अन्य कंपनियों ने मुझे नहीं लिया क्योंकि उन्हें नहीं लगा कि मेरे पास सही विशेषज्ञता है. उन्होंने कहा कि टेलीकॉलिंग कौशल पर्याप्त नहीं है.”

छोटी टेलीमार्केटिंग फर्मों के लिए काम करने वाले ज़्यादातर कॉलर्स की तरह, उनका दिन अपने डेली मेल को देखने से शुरू होता है, जिसमें उन लोगों के नाम और प्रोफाइल होते हैं जिन्हें उन्हें क्रेडिट कार्ड ऑफर करने के लिए कॉल करना पड़ता है. “कभी-कभी, वह वाकई बहुत असभ्य होते हैं. हम भी इंसान हैं. उन्हें कॉल करना हमारा काम है. हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते.”

23-वर्षीय महिला टेलीकॉलर एक प्रतिष्ठित कॉलेज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने की योजना बना रही हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मैं एक अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए पैसे बचा रही हूं. मुझे पता है कि टेलीकॉलिंग का अनुभव मायने नहीं रखेगा, लेकिन मैं अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री के लिए अच्छे कॉलेज नहीं गई. मैं एक संपन्न परिवार से नहीं हूं, इसलिए मुझे काम न करने का सौभाग्य नहीं मिला है.”

दिल्ली के 22-वर्षीय एक टेलीकॉलर, जिन्होंने पहले छह महीने तक एक प्रतिष्ठित आईवियर कंपनी के लिए काम किया था, ने कहा, “मुझे नहीं पता था कि कहां जाना चाहिए. इस कंपनी का प्रस्ताव अच्छा था. मैं सेल्स डिपार्टमेंट में था और ऐप पर आने वाले लोगों को आउटबाउंड कॉल करता था.”

हालांकि, इस गति को बनाए रखना और टार्गेट पूरा करना मुश्किल था. मैं ऐसे काम नहीं करना चाहता था.”

अब वह ई-कॉमर्स क्लाइंट के लिए घरेलू चैट सलाहकार के रूप में एक बिजनेस आउटसोर्सिंग कंपनी के लिए काम करता है.

कॉल सेंटर के प्रकार

वे जो सर्विस देते हैं, उनकी तरह कॉल सेंटर को भी कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है.

इनबाउंड

कुछ विशुद्ध रूप से इनबाउंड होते हैं, जिसका अर्थ है कि वह केवल मौजूदा या इच्छुक ग्राहकों से आने वाली कॉल को संभालते हैं.

आउटबाउंड

आउटबाउंड कॉल सेंटर में, सेल्स एजेंट, मार्केट रिसर्च, टेलीमार्केटिंग के लिए संभावित और मौजूदा ग्राहकों को कॉल शुरू करते हैं.

इन-हाउस और थर्ड पार्टी

कुछ को कंपनियों द्वारा इन-हाउस चलाया जाता है जो कॉलिंग ऑपरेशन और ग्राहक इंटरैक्शन को खुद संभालती हैं. वर्चुअल कॉल सेंटर के अलावा थर्ड पार्टी कॉल सेंटर भी हैं, जिनमें से कुछ ऑफशोर हो सकते हैं, जहां एजेंट दूर से काम करते हैं.

रोबो

कुछ बड़ी फर्म और बहुराष्ट्रीय निगम AI का उपयोग करके चैटबॉट पर चले गए हैं और केवल निर्दिष्ट सवालों और ग्राहकों को कॉल को लाइव एजेंटों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. छोटे कॉल सेंटर और एप्लिकेशन अभी भी आउटसोर्स करते हैं या उनके अपने सेंटर्स हैं.

स्पैमर बनाम स्कैमर

जैसा कि इस सीरीज़ की पहली रिपोर्ट में बताया गया है, धोखाधड़ी में तब्दील होने वाले स्पैम कॉल स्कैंम की कैटेगरी में आते हैं.

पुलिस सूत्रों का कहना है कि स्कैमर्स ज़्यादातर मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करते हैं. DoT के नियमों के अनुसार, एक दस्तावेज़ के साथ नौ मोबाइल नंबर हासिल किए जा सकते हैं. पुलिस सूत्रों का कहना है कि स्कैमर्स KYC प्रोसेस में गड़बड़ी करते हैं और एक्स्ट्रा सिम कार्ड लेने के लिए नकली या जाली दस्तावेज़ लगाते हैं.

एक सूत्र ने बताा, “स्कैम कॉल स्पैमर द्वारा किए जाने वाले कॉल से कई तरह से मिलते-जुलते हैं. दोनों के पास निजी जानकारी होती है और वह आपसे इससे ज़्यादा से ज़्यादा हासिल करना चाहते हैं. वह लैंडलाइन, मोबाइल नंबर, क्लाउड टेलीफोनी सर्विस, रोबो कॉल और यहां तक कि IVR का उपयोग करके इसे वास्तविक कॉल सेंटर की तरह दिखा सकते हैं, जो आपकी मदद करने की कोशिश कर रहा है.”

उदाहरण के लिए IVR यूज़ करने वाला एक स्कैमर संभावित टार्गेट को डराने के लिए कह सकता है कि वो सीमा शुल्क विभाग या पुलिस या यहां तक कि दूरसंचार विभाग से है.

जांचकर्ताओं ने यह भी बताया कि कुछ निर्दोष टेलीकॉलर भी स्कैम के कॉल सेंटर के जाल में फंस जाते हैं.

नाम न बताने की शर्त पर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “शहरों में कॉल सेंटरों से काम करने वाले स्कैमर्स संगठित हैं. मेवात में भी ऐसे लोग बैठे हैं जो संगठित नहीं हैं और न ही दफ्तरों से काम करते हैं.”

हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में फैला मेवात क्षेत्र साइबर अपराध का हब बन गया है और इसकी स्कैमिंग इंडस्ट्री झारखंड के जामताड़ा के संभावित प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभर रही है.

पुलिस के एक अन्य सूत्र ने दिप्रिंट से कहा, “कभी-कभी, उन्हें (टेलीकॉलर) पता ही नहीं होता कि यह एक स्कैम कॉल सेंटर है. कई बार, जब वह नौकरी छोड़ने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है और काम करते रहने के लिए धमकाया जाता है. यह जल्दी पैसा कमाने का जरिया भी है, इसलिए उनमें से ज़्यादातर सच्चाई जानने के बावजूद नहीं छोड़ना चाहते हैं.”

एक वैध टेलीमार्केटिंग व्यवसाय को कंपनी अधिनियम के तहत कॉर्पोरेट मामलों और श्रम मंत्रालयों के साथ पंजीकृत होना चाहिए और डेटा सुरक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का पालन करना चाहिए. 2021 से, कॉल सेंटरों को DoT से अन्य सेवा प्रदाता (OSP) लाइसेंस लेने की ज़रूरत नहीं है. वह अभी भी दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियमन, 2018 के तहत विनियमित हैं.

कंसल्टेंसी फर्म ग्रेहाउंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषक, संस्थापक और सीईओ संचित वीर गोगिया ने कहा कि अधिकांश नए कॉल सेंटर इनमें से किसी भी आवश्यकता को पूरा करने में विफल रहते हैं. उन्होंने कहा, “वह वो लोग हैं जो अक्सर किसी अन्य टाइटल के तहत कंपनी शुरू करते हैं और रडार से दूर काम करते हैं. फिर, नाम और कार्यालयों के स्थान को बदलकर एक और ऐसा कॉल सेंटर शुरू करते हैं. बल्क नंबर लेने और उपयोग करने के नियमों का हमेशा पालन नहीं किया जाता और अनुपालन करना कठिन होता है क्योंकि ऐसे कॉल सेंटरों की कोई वास्तविक सूची नहीं होती है. जबकि इस मोर्चे पर प्रयास किए गए हैं, यह कहना जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल है.”

ऐसे उदाहरण हैं, जहां Microsoft और Amazon जैसी निजी कंपनियों ने तकनीकी सहायता धोखाधड़ी को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय जांच एजेंसियों के साथ काम किया है, लेकिन बहुत कुछ एजेंसियों और निजी कंपनियों के बीच अंतर-देशीय समन्वय पर निर्भर करता है. गोगिया ने कहा, “इसके अलावा, जब तक कि जिन कंपनियों और एजेंसियों का प्रतिरूपण किया जा रहा है, वो आधिकारिक शिकायत नहीं करते हैं, तब तक रैकेट का पता लगाना मुश्किल है.”

उन्होंने दूरसंचार विभाग द्वारा प्रीफिक्स के आवंटन की भी सराहना की, जैसे कि RBI, SEBI, IRDAI और PFRDA द्वारा विनियमित संस्थाओं द्वारा सेवा और लेन-देन संबंधी कॉल के लिए 160, जिसका उद्देश्य स्पैम कॉलिंग और वित्तीय धोखाधड़ी को रोकना है.

हालांकि, गोगिया उपभोक्ता जागरूकता की ज़रूरत पर भी जोर देते हैं. एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग पुलिस और अग्निशमन जैसी आपातकालीन सेवाओं के लिए शॉर्ट कोड जानते हैं. “यह आम ज्ञान बन जाना चाहिए कि अगर किसी मैसेज या कॉल में वह विशेष प्रीफिक्स नहीं है, तो वो वैध नहीं है. हमारे जैसे बड़े देश में यह एक बड़ा काम है और इसमें समय लगेगा.”

स्पैम कॉल की संदिग्ध दुनिया की अंदरूनी कहानी पर तीन-पार्ट की इस सीरीज़ की यह दूसरी रिपोर्ट है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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