नई दिल्ली : स्थानीय सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जम्मू-कश्मीर में भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर के गांवों को ‘किसी भी घटना’ के लिए तैयार रहने की सलाह दी गई है.
14 फरवरी के पुलवामा हमले के मद्देनजर ताजा द्विपक्षीय तनाव के बीच, नागरिक क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान की तरफ से गोलाबारी में वृद्धि हुई है.
इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे. यह दावा किया गया कि पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के द्वारा हमले को अंजाम दिया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने गोलाबारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच 2003 के सीजफायर का उल्लंघन है.
इस क्रॉसफायर के बीच जम्मू प्रांत के राजौरी जिले में सीमावर्ती गांवों विशेष रूप से सुंदरबनी-नौशेरा सेक्टर में रहने वाले लोगों को हाई अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया है.
एलओसी के पार से ज्यादा गोलाबारी होने की स्थिति में क्षेत्र के कई स्कूलों को अस्थायी शिविर में बदलने के लिए चिन्हित किया गया है.
एक सुरक्षा अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि नागरिकों को चेतावनी मुख्य रूप से गोलाबारी में जानमाल के नुकसान को रोकने के उद्देश्य से दिया गया था. जिसके और तेज होने की उम्मीद है.
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘हमने उनके साथ शिविर के बारे में जानकारी साझा की है. किसी भी विषम परिस्थिति में उन्हें अपने घरों से बाहर जाना पड़ सकता है.’
हालांकि, अधिकारी ने कहा कि अगर सीमा पार से होने वाली गोलाबारी में इजाफ़ा होता है तो उसके लिए ये सभी एहतियाती उपाय हैं.
सतर्क रहें
तीन साल से भी कम समय पहले इसी क्षेत्र के ग्रामीणों और पंजाब के सीमावर्ती गांवों के निवासियों को सितंबर 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान द्वारा किए गए जवाबी हमले की आशंका के मद्देनजर हजारों की संख्या में ग्रामीणों को निकाला गया था. जब भारतीय सेना की टीम ने पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में प्रवेश कर कई आतंकवादी लॉन्चपैड को नष्ट कर दिया था.
वास्तव में, जब भी सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव होता है, तब इन क्षेत्रों के गांवों को खाली करा दिया जाता है. मार्च 2018 में कई ग्रामीणों को पाकिस्तान से ज्यादा गोलाबारी होने पर बाहर निकाला गया. परिणामस्वरूप एक नागरिक की मृत्यु भी हुई थी. राजनयिकों के कथित उत्पीड़न के मसले पर दोनों देशों में खटास आ गयी थी.
हालांकि, सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थानीय लोगों को भी ‘सतर्क रहने’ की सलाह दी गई है.
उपलब्ध जानकारी के अनुसार,पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के जिला प्रबंधन प्राधिकरण ने एलओसी के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को बंकर बनाने के लिए कहा है, अगर वहां कोई नहीं है तो रात के समय बहुत अधिक रोशनी करने से बचें और सभाओं से भी बचना चाहिए.
दिप्रिंट को प्राप्त जानकारी के मुताबिक चरवाहों को भी अपने जानवरों को चराने के लिए एलओसी के पास ले जाने से बचना चाहिए.
हालांकि, भारतीय पक्ष के स्थानीय लोगों ने तैयारी और आदेश को देखकर युद्ध का संदेह जताया है.
नौशेरा में स्थानीय अधिकारी ने कहा, ‘ऑपरेशन पराक्रम (दिसंबर 2001 के संसद हमले के बाद) के दौरान अंतिम बार देखी गई सेना और तोपों की कोई हलचल तो फिलहाल नहीं है. लेकिन, हां, कुछ घबराहट जरूर है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)