नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस साइबर सेल ने पेट्रोल पम्प खरीदने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का अपने पक्ष में फायदा लेने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के नाम का कथित तौर पर इस्तेमाल करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है. सोमवार को जारी एक पुलिस बयान कहा गया है.
पुलिस उपायुक्त, इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई, प्रशांत गौतम ने कहा कि जम्मू का रहने वाला 22 वर्षीय गगनदीप सिंह 2007 से अपने परिवार के साथ इटली में रह रहा था और वहां एक मजदूर के रूप में काम करता है. पुलिस ने कहा कि अन्य आरोपी अश्विनी कुमार (29) पंजाब के पटियाला का रहने वाला है.
गगनदीप सिंह को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से गिरफ्तार किया गया जबकि कुमार को पटियाला से गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस ने कहा कि यह मामला आईएफएसओ इकाई के संज्ञान में तब आया जब कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने पिछले अक्टूबर में उनसे संपर्क साधा, जिसके बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई. पुलिस ने कहा कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (पहचान बदलकर धोखा देने की सजा) और 170 (एक लोक सेवक का रूप धारण करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (कंप्यूटर से संबंधित अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि गगनदीप सिंह की भारत में एक पेट्रोल पम्प खरीदने की योजना थी और वह कथित तौर पर उपराष्ट्रपति के नाम के प्रभाव का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा था.
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पुलिस के अनुसार, सिंह ने इंटरनेट से वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के फोन नंबर हासिल किए, जबकि कुमार ने कथित तौर पर एक भारतीय के फोन नंबर पर व्हाट्सएप अकाउंट बनाने में उसकी मदद की, जिसका इस्तेमाल सरकारी अधिकारियों को निशाना बनाने के लिए किया गया.
डीसीपी गौतम ने एक बयान में कहा, ‘व्हाट्सएप अकाउंट बनाने के बाद, उसने प्रोफाइल पिक्चर के रूप में भारत के उपराष्ट्रपति की तस्वीर लगाई, इस छद्म खाते का इस्तेमाल करते हुए, उसने वरिष्ठ नौकरशाही का फायदा उठाने लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को संदेश भेजना शुरू किया.’
पुलिस सूत्रों ने कहा कि फोन नंबर मार्च 2022 से काम कर रहा था. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘(वरिष्ठ सरकारी) अधिकारियों ने पुलिस को इस बारे में सूचित किया और इसके स्क्रीनशॉट भी भेजे, जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.’
गौतम ने कहा कि सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) मनीष जोरवाल की देखरेख में एक टीम का गठन किया गया था और व्हाट्सएप नंबर पर लगाई गई प्रोफ़ाइल की डिटेल हासिल की गई, यह कहते हुए कि मैसेज भेजने वाले का आईपी एड्रेस इटली का पाया गया है.
उन्होंने आगे कहा कि आरोपी की पहचान करने के लिए तकनीकी निगरानी और मानव खुफिया तंत्र को लगाया गया था. ‘छापे मारे गए और अश्विनी कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया. बड़े स्तर पर हाई-टेक जांच, मानव इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा दिए गए तकनीकी डिटेल का विश्लेषण करने के बाद, गगनदीप सिंह की पहचान इटली में रहने वाले भारतीय के रूप में हुई. टीम ने एफआरआरओ (विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय), बैंकों और क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से आरोपी के बारे में जानकारी जुटाई. उसे आईजीआई हवाईअड्डे से पकड़ा गया.’
पूर्व में, वरिष्ठ अधिकारियों/अफसरों की तस्वीर का इस्तेमाल कर इस तरह के धोखाधड़ी के उदाहरण सामने आए हैं, जिसमें दिल्ली के एक पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की तस्वीर का एक वकील को धमकाने के लिए व्हाट्सएप प्रोफ़ाइल तस्वीर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.
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