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रविवार, 15 जून, 2025
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वडोदरा के कारीगर एयर इंडिया प्लेन क्रैश के लिए कैसे ताबूत बनाने का सबसे बड़ा ऑर्डर तैयार कर रहे हैं

एक चर्च हॉल में नेल्विन का परिवार और उनके साथ ईसाई समुदाय के अन्य लोग एयर इंडिया के ऑर्डर को पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं, ताकि ताबूत अहमदाबाद के सिविल अस्पताल तक पहुंचाए जा सकें.

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वडोदरा: एयर इंडिया 171 हादसे के एक दिन बाद, शुक्रवार रात करीब 8 बजे नेल्विन भाई राजवाड़ी को अहमदाबाद से एयर इंडिया के एक अधिकारी का फोन आया. अधिकारी ने तुरंत 100 ताबूतों का ऑर्डर दिया.

नेल्विन इतने बड़े ऑर्डर के लिए तैयार नहीं थे. “लेकिन मैं मना नहीं कर सका. यह काम देश के लिए है. इस हादसे में छोटे-छोटे बच्चे भी मारे गए हैं,” उन्होंने दिप्रिंट से कहा, जबकि वे वडोदरा के फतेहगंज इलाके में सेंटेनरी मेथोडिस्ट चर्च परिसर में ताबूत बनाना जारी रखे हुए थे.

चर्च के एक बड़े हॉल में, नेल्विन का परिवार और ईसाई समुदाय के एक दर्जन से अधिक लोग ऑर्डर पूरा करने की कोशिश में जुटे हैं, ताकि ताबूत अहमदाबाद के सिविल अस्पताल भेजे जा सकें, जहां शव रखे गए हैं.

नेल्विन ने बताया, “जब मुझे पहली बार फोन आया, तो मुझे लगा कि कुछ ही ताबूतों की ज़रूरत होगी, लेकिन यह तो बड़ा ऑर्डर निकला. दो घंटे के भीतर, समुदाय के सहयोग से हमने प्लाईवुड, सफेद कपड़ा और ताबूत बनाने के लिए जरूरी अन्य सामान का इंतजाम कर लिया,” उन्होंने कहा. “पिछले 24 घंटे से हम बिना रुके काम कर रहे हैं.”

करीब 15 लोग इस काम में शामिल थे. शुक्रवार रात को चर्च परिसर में प्लाईवुड और कपड़े पहुंचाए गए और काम शुरू हुआ.

60-year-old Nelvin Rajwadi (left) based in Vadodara, who got the order for 100 coffins by Air India | Praveen Jain | ThePrint
वडोदरा में रहने वाले 60 वर्षीय नेल्विन राजवाड़ी (बाएं), जिन्हें एयर इंडिया से 100 ताबूतों का ऑर्डर मिला था | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

“हमने पूरी रात मिलकर काम किया ताकि इस मुश्किल समय में प्रशासन की मदद कर सकें. हमने इसे एक चुनौती की तरह लिया… हमें देश की सेवा करने का मौका मिला और यही हमारा योगदान है,” नेल्विन ने कहा. उन्होंने बताया कि एक ताबूत जिसकी कीमत आमतौर पर 6,000 रुपए होती है, उसे इस ऑर्डर के लिए 3,000 रुपए में दिया जा रहा है.

शनिवार रात 10 बजे, जब दिप्रिंट चर्च परिसर पहुंचा, तब तक 35 ताबूत ट्रक में लादकर अहमदाबाद भेजे जा चुके थे.

नेल्विन अकेले हैं जिन्हें इतना बड़ा ऑर्डर मिला. प्रशासन ने कुछ ताबूत अहमदाबाद से भी मंगवाए थे, इससे पहले कि शवों को परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो.

गुरुवार दोपहर, लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ मिनटों बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई. विमान में क्रू समेत कुल 242 लोग सवार थे. हादसे में एक ब्रिटिश नागरिक को छोड़कर बाकी सभी की मौत हो गई. जब विमान बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल मेस से टकराया, तो और भी कई लोगों की जान चली गई.

ज्यादातर शव बुरी तरह जले हुए हैं और पहचान से बाहर हैं, इसलिए डीएनए टेस्टिंग के जरिए पहचान की जा रही है. सिविल अस्पताल अहमदाबाद ने विमान में सवार सभी यात्रियों और क्रू के परिजनों से डीएनए सैंपल लिए हैं ताकि उनकी पहचान हो सके.

People from Vadodara's Christian community help Nelvin Rajwadi fulfil the order of 100 coffins | Praveen Jain | ThePrint
वडोदरा के ईसाई समुदाय के लोगों ने नेल्विन राजवाड़ी को 100 ताबूतों का ऑर्डर पूरा करने में मदद की | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

गुजरात सरकार ने विमान हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों से संपर्क साधने के लिए 230 टीमों का गठन किया है.

तीन दशकों से ताबूत बनाने का काम

नेल्विन, 60 साल के, पिछले तीन दशकों से ताबूत बनाने के काम में हैं. उन्हें प्रशासन से इससे पहले इतना बड़ा ऑर्डर 2001 के भुज भूकंप के दौरान मिला था.

नेल्विन ने बताया कि भुज भूकंप के समय उन्होंने सड़क किनारे ही ताबूत बनाए थे और रिकॉर्ड समय में 40 ताबूत भेज दिए थे. वे रेलवे और एयरफोर्स को भी ताबूत सप्लाई कर चुके हैं.

नेल्विन वडोदरा में एंबुलेंस सेवा भी चलाते हैं। पिछले साल तक वे वडोदरा की एम.एस. यूनिवर्सिटी में एक तकनीकी पद पर थे और वहीं से रिटायर हुए.

“हमने कई मुश्किल समय देखे हैं लेकिन इस बार का पैमाना बहुत बड़ा है,” नेल्विन ने कहा.

The process of coffin making | Praveen Jain | ThePrint
ताबूत बनाने की प्रक्रिया | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

संजय, जो सालों से यह काम कर रहे हैं, ने बताया कि एक ताबूत बनाने में लगभग ढाई घंटे का समय लगता है और इसका सामान्य आकार 6 फीट बाय 2 फीट होता है. “यह एक मुश्किल काम है,” उन्होंने कहा, जब वे स्टेपलर से एक ताबूत को जोड़ रहे थे, “लेकिन यह उस दुख के सामने कुछ भी नहीं है जो उन परिवारों को झेलना पड़ रहा है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है.”

प्रक्रिया के बारे में बताते हुए संजय ने कहा कि पहले कच्चे माल से ताबूत का ढांचा तैयार किया जाता है और फिर उस पर सफेद कपड़ा चढ़ाया जाता है.

वडोदरा के एक सामाजिक कार्यकर्ता एल्ड्रिन थॉमस ने कहा, “नेल्विन भाई को कॉल आया और फिर उन्होंने सबको बुलाया। हम यहां इकट्ठा हुए और काम शुरू कर दिया। हम ये देश के लोगों के लिए कर रहे हैं.”

नेल्विन के बेटे अर्निश की पत्नी, ब्रीना राजवाड़ी, जैसे ही उन्होंने इस ऑर्डर के बारे में सुना, तुरंत ताबूत बनाने में मदद करने आ गईं.

Nelvin Rajwadi with his family | Praveen Jain | ThePrint
नेल्विन राजवाड़ी अपने परिवार के साथ | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

“जब मैंने हादसे के बारे में सुना, तो मुझे लगा कि पापा को ताबूत के लिए कॉल आ सकता है,” ब्रीना ने कहा. “हम सोच रहे थे कि पापा से संपर्क किया जा सकता है, क्योंकि हादसा इतना बड़ा था। और अगले ही दिन हमें ऑर्डर मिल गया.”

उन्होंने कहा कि इतनी तेजी से ताबूत बनाना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम रहा है.

अर्निश भी अपने परिवार के साथ मिलकर काम में जुटे हुए हैं.

उन्होंने कहा,“मानसिक रूप से हम तैयार नहीं थे लेकिन जैसे ही कॉल आया, हमने काम शुरू कर दिया और लगातार काम कर रहे हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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