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Thursday, 20 February, 2025
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उत्तराखंड ने 13 में से 11 जिलों में बाहरी लोगों के लिए कृषि और बागवानी भूमि खरीदने पर बैन लगाया

मसौदा कानून में आवासीय उद्देश्यों के लिए प्रति परिवार भूमि का आकार 250 वर्ग मीटर तक सीमित कर दिया गया है. प्रस्तावित कानून विधानसभा के चालू बजट सत्र में पेश किया जाएगा.

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नई दिल्ली: उत्तराखंड कैबिनेट ने बुधवार को एक मसौदा कानून को मंजूरी दी, जो राज्य के 13 में से 11 जिलों में बाहरी लोगों को कृषि और बागवानी भूमि खरीदने से रोकता है. यह कदम बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण को रोकने और स्थानीय स्वामित्व को संरक्षित करने के उद्देश्य से उठाया गया है.

प्रस्तावित कानून, जिसे ‘भूमि कानून (संशोधन विधेयक)’ के रूप में जाना जाएगा, मौजूदा बजट सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा.

इस नए कानून में 11 पहाड़ी जिलों में कृषि, बागवानी और आवासीय भूमि की खरीद-फरोख्त को लेकर सख्त प्रावधान होंगे.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस कानून के तहत राज्य से बाहर के लोग देहरादून सहित पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, नैनीताल, पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों में कृषि और बागवानी भूमि नहीं खरीद सकेंगे.

“2018 में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा लागू किए गए सभी प्रावधानों को इस नए कानून में समाप्त कर दिया गया है। बाहरी लोगों के लिए भूमि खरीद पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है,” एक सरकारी सूत्र ने बताया.

“हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में बाहरी लोग कृषि और बागवानी भूमि नहीं खरीद सकेंगे,” सूत्र ने आगे कहा.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी सरकार राज्य की संस्कृति की संरक्षक होने के नाते नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

“राज्य के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांगों और भावनाओं का सम्मान करते हुए, आज कैबिनेट ने सख्त भूमि कानूनों को मंजूरी दी है. यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक विरासत और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा और प्रदेश की मौलिक पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा,” धामी ने कहा.

उन्होंने आगे कहा कि यह कानून राज्य के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी मदद करेगा.

पहले के नियम

एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि पहले देश का कोई भी व्यक्ति उत्तराखंड में लगभग 12.5 एकड़ कृषि भूमि खरीद सकता था, और विशेष मामलों में इस सीमा को बढ़ाने का प्रावधान था.

औद्योगिक और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती थी.

पूरे राज्य में आवासीय भूमि खरीदने पर कोई प्रतिबंध नहीं था, और भूमि के आकार की कोई सीमा नहीं थी.

संशोधित कानून 11 जिलों में कृषि भूमि की खरीद पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाता है. इसके अलावा, आवासीय उद्देश्यों के लिए भूमि के आकार को प्रति परिवार 250 वर्ग मीटर तक सीमित कर दिया गया है.

“जो भी आवासीय भूमि खरीदना चाहता है, वह खरीद सकता है, लेकिन इसकी सीमा प्रति परिवार 250 वर्ग मीटर होगी. परिवार की परिभाषा यूपीजेडएएलआर (उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार) अधिनियम के तहत दी गई है,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया.

हालांकि, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जिलों में कृषि/बागवानी भूमि की खरीद की अनुमति होगी. नए भूमि कानून के तहत, जिला मजिस्ट्रेट अब भूमि खरीद के लिए अनुमति देने के अधिकार में नहीं होंगे.

“सरकार राज्य में भूमि खरीद के लिए एक पोर्टल ला रही है, जिससे पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल हो जाएगी। यह पोर्टल राज्य के बाहर के लोगों द्वारा खरीदी गई प्रत्येक इंच भूमि को ट्रैक करेगा,” अधिकारी ने कहा.

इसके अलावा, राज्य के बाहर के लोगों को भूमि खरीदने से पहले एक शपथपत्र (एफिडेविट) दायर करना होगा, जिसमें भूमि खरीदने के कारणों का उल्लेख करना होगा.

“नगरपालिका सीमा के भीतर भूमि का उपयोग केवल निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए ही किया जा सकेगा। यदि भूमि का उपयोग नियमों के विपरीत किया जाता है, तो उसे सरकार के अधिकार में ले लिया जाएगा,” एक अन्य अधिकारी ने कहा.

सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि कड़े भूमि कानून उद्योगपतियों और नए निवेशकों के लिए बाधा न बनें.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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