लखनऊ: गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में डॉक्टर कफील खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. एक तरफ योगी सरकार ने साफ कर दिया है कि उन्हें इस मामले में कोई क्लीन चिट नहीं दी गई है. वहीं, दूसरी तरफ उन पर तीन नए आरोपों की जांच शुरू कर दी गई है. यूपी के प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) रजनीश दुबे ने कहा है कि डाॅ कफील को अभी क्लीन चिट नहीं मिली है. उनके खिलाफ 7 आरोपों की जांच चल रही है.
तीन नए आरोप भी जुड़े
प्रमुख सचिव के मुताबिक बीआरडी मेडिकल कॉलेज में घटित घटना में प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने के बाद डॉ. कफील के विरुद्ध चार मामलों में विभागीय कार्यवाही संस्तुति की गई थी. डॉ कफील के विरुद्ध सरकारी सेवा में सीनियर रेज़ीडेन्ट व नियमित प्रवक्ता के सरकारी पद पर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने व निजी नर्सिंग होम का संचालन करने का आरोप साबित हो गया. इन पर निर्णय लिए जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. अन्य 2 आरोपों पर अभी शासन द्वारा अन्तिम निर्णय नहीं लिया गया है. इसके अलावा उन पर बहराइच ज़िला अस्पताल के बाल रोग विभाग में जबरन घुसकर इलाज करने, अफरातफरी फैलाने और बच्चों के जीवन पर संकट खड़ा करने का भी आरोप है. प्रमुख सचिव ने बताया कि कफील पर कुल सात आरोपों पर विभागीय कार्रवाई चल रही हैं.
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प्रमुख सचिव के मुताबिक नए तथ्य आने के बाद कफील खान पर 100 बेड वाले वार्ड के प्रभारी के तौर पर अपने उत्तरदायित्व निभाने में बरती गई लापरवाही संबंधी आरोपों की जांच जारी है और प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी को जांच अधिकारी बनाया गया है. निलंबन के दौरान बहराइच अस्पताल में कफील की ओर से जबरन इलाज करने का प्रयास किया गया, जिस पर केस दर्ज है. प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने कहा कि सरकारी सेवा में रहते हुए सरकार विरोधी पोस्ट करने पर भी उन पर केस दर्ज हुआ है.
इस पर डाॅक्टर कफील का कहना है, ‘बच्चों की मृत्यु का ज़िम्मेदार कौन है जैसे महत्वपूर्ण सवालों से ध्यान भटकाने के उद्देश्य से मुझ पर तीन नए आरोप योगी सरकार ने लगा दिए हैं. सरकार बार-बार मुझ पर प्रेस काॅन्फ्रेंस करती है एक बार बच्चों की ऑक्सिजन से कमी के कारण हुईं मृत्यु पर भी करे.’
बीते दिनों क्लीन चिट का हुआ था दावा
दरअसल, बीते दिनों कुछ अखबारों ने कफील खान को क्लीन चिट का दावा किया था. इसके बाद कफील खान ने कहा था कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा, ’11 -12 अगस्त को जब मौत हुई थी, हर कोई कफील खान के बारे में बात कर रहा था. वे यह भी पूछ रहे थे कि उन 60 बच्चों की मौत कैसे हुई. कफील के बयानों के बाद सरकार ने कड़ा रुख अपना लिया.
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प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) रजनीश दुबे ने कहा कि डॉ. कफील जांच रिपोर्ट की गलत व्याख्या कर रहे हैं. वह अपने ऊपर लगे आरोपों में शासन द्वारा दोषमुक्त किए जाने की बात मीडिया में प्रसारित कर रहे हैं और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भेज रहे हैं.
बता दें कि बीआरडी मेडिकल कालेज में अगस्त 2017 में बच्चों की आकस्मिक मृत्यु की घटना में तीन अधिकारी प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए थे. इनमें कार्यवाहक प्रधानाचार्य राजीव कुमार मिश्रा, तत्कालीन आचार्य सतीश कुमार (एनेस्थीसिया) और डॉ. कफील अहमद (तत्कालीन प्रवक्ता बाल रोग विभाग) को निलंबित किया गया था.