अयोध्या: उत्तर प्रदेश में मंदिरों की नगरी अयोध्या बदलाव के दौर से गुजर रही है. अगले साल लगभग इसी समय तक मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति, राम मंदिर में आने वाले भक्तों के दर्शन के लिए तैयार हो जाएगी.
पिछले हफ्ते दिप्रिंट ने 70 एकड़ की साइट का दौरा किया और तेजी से हो रहे काम का जायजा लिया. यहां न सिर्फ निर्माण का 45 फीसदी काम पूरा हो गया है, बल्कि राम मंदिर के निर्माण की देखरेख के लिए गठित ट्रस्ट और उसके प्रबंधन ने लोगों से योगदान और दान के जरिए निर्माण लागत का लगभग दोगुना धन इकट्ठा कर लिया है.
दिप्रिंट से बात करते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टियों में से एक डॉ. अनिल मिश्रा ने कहा कि काम पटरी पर है और जनवरी 2024 में मकर संक्रांति तक भगवान राम की मूर्ति स्थापित कर दी जाएगी और भक्तों के लिए गर्भगृह के दरवाजों को खोल दिया जाएगा.
मंदिर स्थल पर एलएंडटी कंस्ट्रक्शन के लगभग 550 कर्मचारी प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगे हुए हैं. चौबीसों घंटे कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वहीं पड़ोसी राज्य राजस्थान में एक हजार लोग मंदिर की मुख्य संरचना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गुलाबी बलुआ पत्थर को खोदने और तराशने का काम कर रहे हैं.
सिर्फ परिसर के भीतर ही नहीं, बल्कि अयोध्या के अधिकांश हिस्सों में कोई न कोई निर्माण परियोजना चल रही है. शहर 2024 की तैयारी कर रहा है. 2025 तक पूरे मंदिर परिसर का काम पूरा करने का लक्ष्य है.
फिलहाल मंदिर के भूतल तक का काम पूरा हो चुका है. वीके एलएंडटी के परियोजना निदेशक मेहता ने कहा, ‘हमने कुल निर्माण का लगभग 45 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है.’ उन्होंने बताया कि मंदिर के भूतल में गर्भगृह होगा और ऊपरी मंजिल पर ट्रस्ट राम दरबार लगाने की योजना बना रहा है.’
मंदिर परिसर में राम मंदिर, वाल्मीकि, वशिष्ठ और सबरी सहित छह अन्य देवताओं के मंदिर, तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, एक हर्बल गार्डन और एक विद्युत सबस्टेशन, एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और जल उपचार संयंत्र सहित सुविधाएं शामिल होंगी.
अनिल मिश्रा के अनुसार, पूरे परिसर के निर्माण पर 1,800 से 2,000 करोड़ रुपये के बीच खर्च होने का अनुमान है. उन्होंने कहा, ‘अकेले मंदिर पर 550 करोड़ रुपये खर्च होंगे… मौजूदा समय में अंतिम अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि निर्माण के दौरान लागत बढ़ सकती है.’
ट्रस्ट के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि ट्रस्ट ने मंदिर बनाने के लिए सरकारी फंड का एक पैसा भी नहीं लिया है. उन्होंने कहा, ‘हमें भक्तों से दान मिला है जिसका इस्तेमाल किया जा रहा है. हम समय से काम पूरा करने की ओर हैं. ऑन-ग्राउंड स्टाफ रोजाना काम की समीक्षा करता है. हर महीने, हम (ट्रस्ट के सदस्य) प्रगति की समीक्षा करने के लिए अयोध्या का तीन दिवसीय दौरा करते हैं.’
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2.77 एकड़ में फैला 161 फुट ऊंचा मंदिर
फर्श के लिए कर्नाटक से लाए गए विशाल ग्रेनाइट पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं मंदिर की मुख्य संरचना लगभग 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर से बनेगी जिसे राजस्थान के भरतपुर जिले से खरीदा जा रहा है.
पत्थरों को पहाड़ों से निकालने के बाद उन्हें नक्काशी के लिए राजस्थान के सिरोही जिले में एक कार्यशाला में ले जाया जाता है.
मेहता ने कहा, ‘वहां बलुआ पत्थरों को तराशा जा रहा है और उचित पैकिंग के बाद अयोध्या लाया जाता है. यहां हम इसे जोड़ने का काम करते हैं.’
161 फुट ऊंचे मंदिर में तीन मंजिलें होंगी. हर मंजिल 19.5 फीट ऊंची होगी और निर्माण का ये पूरा काम 2.77 एकड़ में फैला होगा. मेहता ने कहा, ‘भूतल में गर्भगृह क्षेत्र होगा. बाकी मंजिलें सिर्फ मंदिर की ऊंचाई बढ़ाने के लिए हैं…. मंदिर की लंबाई करीब 344 फीट और चौड़ाई 250 फीट है. यह देश में हाल में बनें मंदिरों में सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा होगा.’
शहर की कायाकल्प
राज्य सरकार के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या को हिंदू धर्म और संस्कृति के लोकाचार को प्रदर्शित करते हुए, जिसे ‘हिंदुओं के लिए वेटिकन‘ कहा जा सकता है, में बदलने की योजना बनाई जा रही है.
एक ग्रीनफील्ड टाउनशिप, एक भव्य रेलवे स्टेशन और अंतरराष्ट्रीय मानकों का एक नया हवाई अड्डा, चार लेन के राजमार्गों के नेटवर्क और राम मंदिर को सीधे राजमार्ग से जोड़ने के लिए एक सड़क पर बड़े पैमाने पर काम चल रहा है.
अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने प्राचीन सूर्य कुंड और यहां के घाटों सहित शहर के आठ पौराणिक तालाबों के सौंदर्यीकरण का काम अपने हाथ में लिया है. एडीए के वाइस चेयरमैन विशाल सिंह ने कहा कि एक बार मंदिर के भक्तों के लिए खोल दिए जाने के बाद से यहां रोजाना 50,000 से एक लाख भक्तों के आने की उम्मीद है.
सिंह ने कहा, ‘जब मंदिर खोला जाएगा, उस समय के लिए हम एक बहु-आयामी रणनीति पर काम कर रहे हैं. काफी हद तक काम शुरू हो चुका है. खुले तारों को भूमिगत केबलों से बदला जा रहा है, शहर भर में कई बहु-स्तरीय पार्किंग सुविधाएं बनाई जा रही हैं, पीने के पानी की सुविधाएं और शौचालय भी तैयार किए जा रहे हैं.’
एडीए ने पहले ही एक पार्किंग परिसर का काम पूरा कर लिया है जिसमें 5,000 गाड़ियों के खड़े होने की व्यवस्था हैं. सिंह ने कहा, ‘हम सभी बहु-स्तरीय कार पार्किंग क्षेत्रों में एक फूड कोर्ट, डोरमेटरी, लॉकर रूम के लिए जगह बना रहे हैं. हम शहर में अंदर आने वाली छह जगहों पर विशाल स्वागत केंद्र भी बना रहे हैं. ये वो इलाके है जहां से लोग सड़क मार्ग से आ सकते हैं. विचार तीर्थयात्रियों को एक परेशानी मुक्त अनुभव देने का है.’
भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस लिमिटेड (RITES) द्वारा विकसित किया जा रहा एक भव्य नया रेलवे स्टेशन लगभग तैयार है. हवाई अड्डे जैसा दिखने वाला 240 करोड़ रुपये का स्टेशन एक समय में 15,000 यात्रियों को समायोजित करने की क्षमता रखता है. RITES में संयुक्त महाप्रबंधक ए.के. जौहरी ने कहा, ‘यहां एसी रिटायरिंग रूम होंगे, जहां कुल 104 यात्री रह सकते हैं. स्टेशन परिसर में बन रहे हवाई अड्डे पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा. स्टेशन दिसंबर 2023 से खोला जाएगा.’
सिंह ने आगे कहा, हवाईअड्डा 2024 से पहले तैयार होने की उम्मीद है.
‘विकास अच्छा है, लेकिन प्रभावित कारोबारियों को पर्याप्त मुआवजा दें’
मंदिर परिसर से सटे इलाकों में बड़े पैमाने पर पुनर्विकास कार्य भी चल रहा है.
मंदिर तक जाने वाली मौजूदा संकीर्ण सड़क को चौड़ा करने के लिए नगर निगम अधिकारियों ने हनुमानगढ़ी जैसे क्षेत्रों में ज्यादातर दुकानों वाली इमारतों को ध्वस्त कर दिया है. सिंह ने कहा, ‘मौजूदा सड़कें बहुत भीड़भाड़ वाली हैं और व्यस्त घंटों के दौरान चलना मुश्किल है. जिला प्रशासन पहुंच मार्गों को चौड़ा कर रहा है.’
इस प्रक्रिया में जिन लोगों की दुकानें तोड़ी गई हैं, वे निवासी और व्यवसायी खुश नहीं हैं. हालांकि वे अयोध्या को एक अंतरराष्ट्रीय तीर्थस्थल में बदलने के लिए चल रहे विकास कार्यों का स्वागत करते हैं, लेकिन वे पर्याप्त मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
दीपू गुप्ता का परिवार तीन पीढ़ियों से हनुमानगढ़ी में एक अस्थायी दुकान चला रहा था, लेकिन पिछले महीने सड़क चौड़ीकरण के लिए उनकी दुकान को तोड़ दिया गया था. दीपू गुप्ता ने कहा, ‘सड़क चौड़ीकरण जरूरी था. मुझे इससे कोई समस्या नहीं है, लेकिन मुझे जो मुआवजा मिला है, वह बहुत कम है.’
उनके मुताबिक दुकान की महज दो फीट की जगह बची है. उन्होंने कहा, ‘मुझे 1.70 लाख रुपये का मुआवजा मिला है. यह कुछ भी नहीं है. मैंने नई दुकान के निर्माण पर इससे कहीं ज्यादा पैसा खर्च कर दिया है.’
रामजी गुप्ता, जो इलाके में एक इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान चलाते थे, एक अन्य पीड़ित निवासी हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद चीजों में सुधार होगा. लेकिन मेरी दुकान छह महीने से बंद है. मेरे पास फिलहाल आमदनी का कोई जरिया नहीं है. अधिकारियों को इतने समय के लिए किसी प्रकार की आय निर्धारित करनी चाहिए थी.’
(अनुवादः संघप्रिया मौर्य| संपादन: आशा शाह )
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