आगरा: मैनपुरी के सूरज तिवारी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 की असाधारण कहानियों में से एक बनकर उभरे हैं. तिवारी ने 917वीं रैंक हासिल की है, लेकिन उन्होंने जिन बाधाओं को पार किया है, वह वास्तव में उनकी उपलब्धि को उजागर करता है.
2017 में गाजियाबाद के दादरी में एक ट्रेन दुर्घटना में 26 वर्षीय ने अपने दोनों पैरों के साथ-साथ अपने दाहिने हाथ और बाएं हाथ की दो अंगुलियों को खो दिया था. परिवार के लिए, यह अत्यधिक निराशा का समय था. उस साल के ठीक पहले, तिवारी के बड़े भाई राहुल की मृत्यु हो गई थी.
तिवारी के पिता एक दर्जी और मां गृहिणी हैं, उनके दो अन्य भाई-बहन भी है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अपने बीएससी की पढ़ाई छोड़ने के बाद मानों उनके जीवन में डिप्रेशन का दौर शुरु हो गया हो.
छह महीने बाद, हालांकि, वह एक मजबूत संकल्प के साथ जेएनयू में वापस आए और खुद को रूसी भाषा में बीए के लिए नामांकित किया.
2020 में, उन्होंने उसी विषय में मास्टर के लिए दाखिला लिया और कोविड के दौरान यूपीएससी परीक्षा का प्रयास करना शुरू कर दिया.
अपने पहले प्रयास में, उन्होंने लिखित परीक्षा पास की, लेकिन इंटरव्यू में कुछ अंकों से पीछे रह गए. अब उन्हें दूसरे प्रयास में सफलता मिली.
दिप्रिंट से बात करते हुए तिवारी ने कहा कि दृढ़ता ही सफलता की कुंजी है. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 15-16 घंटे अध्ययन करने के बजाय प्रतिदिन कुछ घंटे एकाग्र मन से अध्ययन करने से सफलता मिल सकती है.
तिवारी के लिए यूपीएससी पास करना कितनी बड़ी बात थी? पिछले वर्ष असफल होने से पहले, उन्होंने 2014 में अपनी कक्षा 12 की परीक्षा बड़ी मुश्किल से पास की थी.
तिवारी के पिता राजेश तिवारी ने दिप्रिंट को बताया कि एक समय तो उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि इतनी मुश्किलों का सामना करने के बावजूद उनके बेटे ने आखिरकार सफलता हासिल कर ली है.
(संपादन: अलमीना खातून)
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