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Wednesday, 13 November, 2024
होमदेशदो शिफ्ट में होने वाली परीक्षा का विरोध करने वाले UPPSC एस्पिरेंट्स ने कहा — ‘न बटेंगे, न हटेंगे’

दो शिफ्ट में होने वाली परीक्षा का विरोध करने वाले UPPSC एस्पिरेंट्स ने कहा — ‘न बटेंगे, न हटेंगे’

UPPSC के RO-ARO और PCS प्रारंभिक परीक्षा 2 शिफ्ट में आयोजित करने के निर्णय के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे छात्रों का दावा है कि पुलिस ने प्रदर्शन स्थल पर होटल और दुकानों को जबरन बंद करवा दिया है.

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नई दिल्ली: प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के कार्यालय के बाहर लगातार तीसरे दिन प्रदर्शन कर रहे UPPSC के हज़ारों एस्पिरेंट्स भोजन और पानी जैसा बुनियादी ज़रूरतों को पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

छात्र समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) और UP प्रांतीय सिविल सेवा (PCS) परीक्षा दो शिफ्ट में आयोजित करने के UPPSC के प्रस्ताव के विरुद्ध रैली कर रहे हैं. उनका तर्क है कि कई शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने से अनुचित सामान्यीकरण का जोखिम होता है, जहां शिफ्ट में परीक्षा की कठिनाई के आधार पर अंकों को समायोजित किया जाता है.

पिछले दो दिनों से विरोध स्थल पर मौजूद एस्पिरेंट आलोक ठाकुर ने कहा, “मैं कल सिर्फ पानी की तलाश में दो किलोमीटर पैदल चला. हम विरोध स्थल पर भोजन और पानी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पुलिस ने इस उम्मीद से खाने-पीने की दुकानों को बंद करवा दिया कि हम हार मान कर यहां से चले जाएंगे, लेकिन हम यहां एक उद्देश्य के लिए आए हैं और जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक नहीं जाएंगे.”

छात्रों के UPPSC कार्यालय परिसर के गेट 2 और 3 पर इकट्ठा होने के बाद विरोध प्रदर्शन की शुरुआत में पुलिस के साथ झड़प हुई. अधिकारियों ने कथित तौर पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया. कठिनाइयों के बावजूद, परीक्षा के इच्छुक एस्पिरेंट्स पिछली दो रात से प्रदर्शन स्थल पर डटे हुए हैं. विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाली कई महिला एस्पिरेंट्स ने अब तक अपने परिवारों को इस बारे में बताया तक नहीं है.

प्रदर्शनकारियों में से एक मालिनी पाण्डेय ने कहा, “हमने अपने माता-पिता से कहा कि हम पढ़ाई कर रहे हैं. वे हमें विरोध करने की अनुमति नहीं देंगे, लेकिन हमें इसकी ज़रूरत है. मैंने इस परीक्षा की तैयारी में अपना सबकुछ झोंक दिया है और सिस्टम हमारे भविष्य के साथ खेल रहा है.”

पुलिस ने व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से छात्रों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने के लिए सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन के पास जगह निर्धारित की है.

प्रयागराज के पुलिस उपायुक्त अभिषेक भारती ने कहा, “एस्पिरेंट्स को सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन के अंतर्गत चर्च क्षेत्र में निर्धारित धरना स्थल पर जाकर अपना विरोध शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखने के लिए कहा गया है. उनकी चिंताओं से उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा.”

“न बंटेंगे न हटेंगे” नारे वाले पोस्टरों के साथ छात्र अपनी एकजुटता की मजबूत भावना को दर्शाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे, “बटेंगे तो कटेंगे” को दोहरा रहे हैं.

छात्रों की मांगें प्रयागराज से बाहर भी गूंजने लगी हैं. दिल्ली में एस्पिरेंट्स ने मंगलवार शाम एक रैली का आयोजन किया और पटना और जयपुर में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन होने की संभावना है. प्रयागराज में कई प्रदर्शनकारी बिहार, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों से आए हैं. वे एक ही बस से आए हैं और अब साथ में कमरे भी शेयर कर रहे हैं.

एक प्रदर्शनकारी दिव्यांश यादव ने कहा, “बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली और यूपी के अन्य हिस्सों से लोग यहां आए हैं. हम भी कमरों में बैठकर पढ़ना चाहते हैं, लेकिन आयोग हमें निराश करता रहता है. उन्होंने पेपर लीक होने के कारण पिछली परीक्षा रद्द कर दी थी — परीक्षाएं ठीक से आयोजित करना उनकी जिम्मेदारी है. अगर हम कह रहे हैं कि यह प्रारूप काम नहीं करेगा, तो वे इसे क्यों नहीं बदल सकते?”


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‘केवल निष्पक्ष मौके की दरकार’

UPPSC RO/ARO परीक्षा में 11 लाख से अधिक एस्पिरेंट्स शामिल होंगे, जो पहले 29 जनवरी और 2 फरवरी को होनी थी, लेकिन पेपर लीक होने के बाद स्थगित कर दी गई.

UPPSC की हालिया अधिसूचना ने दिसंबर के लिए परीक्षा को पुनर्निर्धारित किया और विवादास्पद दो-शिफ्ट प्रारूप पेश किया, जिससे छात्रों के बीच विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, जिन्हें लगता है कि यह प्रारूप उनके लिए नुकसानदेह है.

यादव ने कहा, “हम आयोग की विफलताओं की कीमत चुका रहे हैं. वापिस लौटने महीनों तक पढ़ने और फिर यह पता लगाने के लिए बहुत मानसिक शक्ति चाहिए होती है कि हम वही गलतियां दोहरा रहे हैं. यह परीक्षा हमारे लिए है, लेकिन वह (आयोग) हमें परेशान कर रहे हैं.”

विरोध प्रदर्शनों ने बड़े राजनीतिक नेताओं का ध्यान आकर्षित किया है, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी प्रदर्शनकारी छात्रों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है.

हालांकि, एस्पिरेंट्स इस तरह के समर्थन को लेकर संशय में हैं, उन्होंने जोर देकर कहा कि वास्तविक समर्थन का मतलब है व्यक्तिगत रूप से उनसे जुड़ना.

यूपीपीएससी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे एक अन्य व्यक्ति मोहन कुमार ने कहा, “हमें सोशल मीडिया पोस्ट की परवाह नहीं है. अगर उन्हें छात्रों की परवाह है, तो वे यहां आएं और हमारे साथ बैठें. सोशल मीडिया पर लिखने का कोई मतलब नहीं है.”

यूपीपीएससी ने अपने फैसले का बचाव करते और लॉजिस्टिक बाधाओं का हवाला देते हुए कहा कि 11 लाख एस्पिरेंट्स को एक शिफ्ट में मैनेज करने के लिए महत्वपूर्ण संसाधन चाहिए जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं हैं.

यूपीपीएससी के एक सूत्र के अनुसार, दो शिफ्टों में परीक्षा कराने का यह तरीका जून में जारी सरकारी आदेश के अनुरूप है, जिसमें पांच लाख से अधिक रजिस्टर्ड एस्पिरेंट्स के लिए कई शिफ्टों में परीक्षा कराने का आदेश दिया गया है.

यूपीपीएससी के एक अधिकारी ने कहा, “संसाधनों की कमी के कारण 11 लाख से अधिक छात्रों के लिए एक शिफ्ट में परीक्षा कराना चुनौतीपूर्ण है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई शिफ्टों में परीक्षा कराने का प्रस्ताव रखा गया है.”

हालांकि, जिन छात्रों ने तैयारी में वर्षों लगाए हैं, उन्हें डर है कि सामान्यीकरण से छोटे-मोटे नुकसान भी हो सकते हैं.

लखनऊ के एक एस्पिरेंट राकेश सिंह ने कहा, “सामान्यीकरण उचित नहीं है. एक-एक अंक तय करता है कि आप पास होंगे या फेल. सरकारी परीक्षाओं में हर अंक मायने रखता है. आयोग का कहना है कि यह हमारे फायदे के लिए है, लेकिन इसके परिणाम हमें ही भुगतने होंगे.”

इस बीच, प्रदर्शनकारी छात्र एक-दूसरे की मदद करने के लिए कमरे, भोजन और संसाधन साझा कर रहे हैं, जो इस मुद्दे के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

एक अन्य प्रदर्शनकारी प्रिया वर्मा ने कहा, “हम दोस्तों के साथ रह रहे हैं या साझा कमरे का किराया दे रहे हैं. कुछ लोग पानी या भोजन लाने के लिए लंबी दूरी तक पैदल चल रहे हैं. अगर यह परीक्षा आगे बढ़ती है, जैसा कि आयोग ने योजना बनाई है, तो यह हम सभी को प्रभावित करेगी, इसलिए हमारे पास एकजुट रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.”

विरोध प्रदर्शन के जोर पकड़ने के साथ, छात्रों को डर है कि जब तक निरंतर दबाव बदलाव के लिए मजबूर नहीं करता, तब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो सकती हैं. कई लोगों ने इस बात पर जोर दिया है कि सीमित पदों के लिए प्रतिस्पर्धा में निष्पक्ष स्कोरिंग प्रथाएं उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं.

यादव ने कहा, “हमें कोई एहसान नहीं चाहिए. हम केवल निष्पक्ष मौका चाहते हैं. आयोग को यह समझना होगा कि उसके फैसले हमारे करियर को प्रभावित करते हैं. हम तब तक विरोध करते रहेंगे जब तक वह हमारी बात नहीं सुनते हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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