नई दिल्ली: केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. इसी के साथ वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से भी बाहर होने घोषणा कर सकते हैं.
उपेंद्र कुशवाहा के बारे में लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे एनडीए गठबंधन से बाहर हो सकते हैं, क्योंकि गठबंधन में शामिल दलों के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पा रही थी.
कुशवाहा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी से इस सिलसिले में मुलाकात के लिए समय मांगा था लेकिन उन्हें मुलाकात का समय नहीं दिया गया. कुशवाहा का कहना था कि वे इस बात से आहत हैं.
अपने पद से इस्तीफा देने के बाद कुशवाहा सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिल सकते हैं. माना जा रहा है कि कुशवाहा सोमवार को हो रही विपक्षी दलों की बैठक में भी जाएंगे.
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी बिहार में एनडीए गठबंधन में शामिल थी. हालांकि, आगामी लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर वे नाराज चल रहे थे. बीते छह दिसंबर को भी उनके एनडीए से बाहर जाने की संभावना थी, लेकिन उन्होंने गठबंधन छोड़ने की घोषणा करने की जगह अपनी पार्टी के चिंतन शिविर में भाजपा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा था.
कुशवाहा की पार्टी के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा था कि मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री कुशवाहा का भाजपा ने लगातार अपमान और नजरअंदाज किया है, जिससे वह ‘काफी आहत’ हैं.
छह दिसंबर को उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, ‘हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना, तो ले, मैं भी अब जाता हूं, अंतिम संकल्प सुनाता हू. याचना नहीं, अब रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा.’ और आखिर दस दिसंबर को कुशवाहा ने राजग से इस्तीफा दे दिया है.
"हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।"#JusticeForBihar #BabasahebAmbedkar #MahaparinirvanDiwas pic.twitter.com/mNTpZ4FbuU— Upendra Kushwaha (@UpendraRLSP) December 6, 2018
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने गुरुवार को पार्टी के चिंतन शिविर के बाद खुले अधिवेशन में भाजपा को लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर बनाने का मुद्दा उठाने पर आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि मंदिर, मस्जिद बनवाना राजनीतिक दलों का काम नहीं है. उन्होंने बिहार में कथित ‘नीतीश मॉडल’ पर तंज कसते हुए कहा कि नीतीश मॉडल से बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का सपना पूरा नहीं हो सकता. शिक्षा के बिना विकास की बात करना बेमानी है. उन्होंने नीतीश सरकार को निकम्मी सरकार बताते हुए कहा कि बिहार में आज जो कानून व्यवस्था की हालत है, वह पूर्ववर्ती लालू सरकार से भी बदतर हो गई है.
उन्होंने बिहार भाजपा इकाई को नीतीश की ‘बी’ टीम बताते हुए कहा था कि बिहार भाजपा नीतीश के सामने दंडवत हो गई है. नीतीश कुमार कुछ दिनों पहले जिस भाजपा हो ‘भारतीय जुमला पार्टी’ कहते थे, बिहार भाजपा की आज वही स्थिति है.
रालोसपा प्रमुख ने लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे की चर्चा करते हुए कहा था कि उन्होंने इस मामले को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन मिलने का समय नहीं दिया गया.