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Sunday, 22 December, 2024
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यूपी पुलिस ने बिना परिवार के सदस्यों के हाथरस गैंगरेप पीड़िता का 2.25 बजे सुबह अंतिम संस्कार किया

हाथरस बलात्कार पीड़िता का परिवार अंतिम संस्कार करने से पहले शव को घर ले जाना चाहता था, लेकिन पुलिस ने 'कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए' सूर्योदय से पहले उसका अंतिम संस्कार करने का फैसला किया.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हाथरस की 20 वर्षीय महिला का भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच, परिवार के सदस्यों की गैर मौजूदगी में दाह संस्कार कर दिया गया. आरोप है कि 14 सितंबर को इस महिला का चार उच्च जाति के लोगों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया और उसके साथ मारपीट भी की गई.

हाथरस जिले के बूल गढ़ी गांव में तैनात पुलिस कर्मियों ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि वे वहां, ‘कानून और व्यवस्था की स्थिति’ बनाए रखना चाहते थे. मृतक के परिवार ने दिप्रिंट को बताया कि हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार केवल सूर्योदय के बाद ही किया जा सकता है.

हालांकि, पुलिस, नागरिक सुरक्षा कर्मियों और जिला अधिकारी महिला के संस्कार के लिए सुबह तक इंतजार नहीं करना चाहते थे क्योंकि उन्हें डर था कि सूर्योदय तक यह मामला और ‘बढ़’ जाएगा और इसका ‘राजनीतिकरण’ हो जाएगा.

गांव में मौजूद संवाददाताओं से बात करते हुए, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट, प्रेम प्रकाश मीणा ने कहा, ‘हम सुबह 5 बजे से पहले अंतिम संस्कार करना चाहते हैं, उसके बाद एक्टीविस्ट और विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग इस क्षेत्र को जाम कर देंगे.’

मंगलवार सुबह 6:55 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अंतिम सांस लेने वाली महिला का शरीर रात 1 बजे के बाद (मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात को) गांव पहुंचा. क्षेत्र के जिला अधिकारियों ने बताया कि एम्बुलेंस ने राष्ट्रीय राजधानी रात 9:30 बजे के बाद छोड़ा था, बता दें कि शव का पोस्टमार्टम शाम तक कर दिया गया था.

हाथरस के डीएम प्रवीण लश्कर ने दिप्रिंट को बताया, ‘ चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टी भीम आर्मी के कार्यकर्ता अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे इस वजह से देरी हुई और शव को गांव तक पहुंचने में कई घंटे लग गए. ‘


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गांव में अफरातफरी

पीड़ित महिला का शव गांव पहुंचने के बाद जिला प्रशासन और मृतक महिला के परिजनों के बीच अशांति फैल गई और पूरा बूल गढ़ी गांव दहशत में समा गया.

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, चंदपा पुलिस थाने के पुलिसकर्मी और अपराध शाखा के पुलिस कर्मियों ने महिला के शब को घर ले जाने के बजाए सीधे ही श्मशान घाट पहुंचाने की कोशिश की, बता दें कि महिला के घर पर करीब 120 लोग इंतजार कर रहे थे.

हाथरस गैंग रेप पीड़िता के परिवार वाले एंबुलेंस का रास्ता रोकते हुए/ फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
हाथरस गैंग रेप पीड़िता के परिवार वाले एंबुलेंस का रास्ता रोकते हुए/ फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

शव को अंतिम संस्कार के लिए सीधे ले जाने के विरोध में महिला का बड़ा भाई, उसकी पत्नी और उसकी बड़ी बहन एंबुलेंस के सामने सड़क पर आकर बैठ गए. ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने तब गुस्साई भीड़ से बात की और महिला के पिता से उन्हें शांत करने के लिए कहा, जिसके बाद एम्बुलेंस को फिर उसके घर पर ले जाया गया.

हालांकि, परिवार का आरोप है कि जिला अधिकारियों ने उन्हें शव के साथ अंतिम क्रिया (रिचुअल्स) करने के लिए केवल 20 मिनट का ही समय दिया. इससे पहले कि शव गांव में पहुंचता, परिवार को बताए बिना ही श्मशान घाट पर जेनरेटर और शवदाह के लिए लकड़ियां तैयार रखी गईं थीं.

20 वर्षीय दलित महिला के परिवार वालों ने जिला अधिकारियों की इस पेशकश को ‘उत्पीड़न’ और ‘यातना’ कहते हुए उनके द्वारा दिए गए ‘समय’ को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

इसपर संयुक्त मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘हम क्षेत्र को खाली करने के लिए हल्के बल का इस्तेमाल करेंगे ताकि शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा सके.’

बता दें कि इस छोटे से गांव में 150 से अधिक पुलिस कर्मियों की एक मानव श्रृंखला बनाई गई और प्रदर्शन कर रहे लोगों को एंबुलेंस के सामने से हटाने के लिए हल्के बल का प्रयोग तक किया गया. यही नहीं इस दौरान परिवार के सदस्यों को एंबुलेंस और श्मशान घाट तक पहुंचने से रोक दिया गया.

इन सबके झगड़े और प्रदर्शन के लगभग डेढ़ घंटे के बाद (2.25 बजे) महिला के शव को किसी परिवार के सदस्य के बिना ही जला दिया गया. महिला के परिवार को उसका शव देखने या फिर अंतिम संस्कार करने का मौका भी नहीं दिया गया. हालांकि 2.16 बजे हाथरस पुलिस ने ट्वीट किया था कि ‘दाह संस्कार परिवार की इच्छा के अनुसार’ किया जाएगा.


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(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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