नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मेडिकल एजुकेशन सेक्रेटरी आलोक कुमार ने दावा किया है कि राज्य में पिछले साल स्थापित किए गए 14 मेडिकल कॉलेजों ने जिलों में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार किया है.
इस महीने कुमार द्वारा तैयार की गई एक आंतरिक रिपोर्ट में, उन्होंने 14 जिला अस्पतालों में दी जाने वाली अलग-अलग सेवाओं की तुलना की है, जिन्हें 2022 में उनके बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करके मेडिकल कॉलेजों में तब्दील कर दिया गया था .
दिप्रिंट द्वारा एक्सेस की गई इस रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के डेटा की तुलना चार मापदंडों के आधार पर 2019 से की गई. इसमें सिजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) की संख्या, अस्पतालों में किए गए बड़े ऑपरेशन, अस्पताल के अलग-अलग विभागों में आने और जाने वाले मरीज़ों की संख्या इसमें शामिल हैं. हालांकि, 2020 और 2021 के डेटा का उपयोग नहीं किया गया क्योंकि इस साल महामारी के कारण सब कुछ बंद था.
सेक्रेटरी ने सोशल मीडिया पर इस परिणाम को शेयर करते हुए कहा कि डेटा जिलों में स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में सुधार को दर्शाता है.
Drastic improvement in performance of the 14 newly established medical colleges . We compare 2019 ( pre-Covid) with 2022 ( post -Covid) .There has been 2X increase across parameters. Clear evidence of improving health services in these 14 districts .@brajeshpathakup pic.twitter.com/Qb8wI2F3BR
— Alok Kumar 🇮🇳 (@IasAlok) February 10, 2023
रिपोर्ट के मुताबिक, जहां 2019 में 14 अस्पतालों में कुल 13,112 सी-सेक्शन सर्जरी हुईं, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 26,583 हो गई.
रिपोर्ट में कहा गया है, अस्पतालों में ओपीडी में 2019 में 56,30,550 मरीज़ आये थे, जो 2022 में बढ़कर 85,10,165 हो गये. इन अस्पतालों में की गई बड़ी सर्जरी की संख्या 2019 में 35,290 से कम थी, लेकिन 2022 में बढ़कर 67,867 हो गई.
इसके अलावा, रोगी विभाग में भी संख्या 2019 में 4,28,280 से बढ़कर 2022 में लगभग 8,91,081 हो गई.
अस्पताल में मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि बेहतर स्टाफिंग और अधिक निगरानी ने इस परिणाम के पक्ष में काम किया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2017 से पहले यूपी में सिर्फ 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे. 14 नए मेडिकल कॉलेजों को जोड़ने के साथ, सरकार प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज के केंद्र सरकार के लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश कर रही है.
यह भी पढ़ेंः AIIMS जोधपुर ने बदल दी है राजस्थान की स्वास्थ्य सेवा, लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या से परेशान हैं
‘एक ही स्थान पर बेहतरीन सुविधाएं’
दिप्रिंट से बातचीत के दौरान, कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2021 में देश में 157 नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी थी. इस योजना के तहत, मौजूदा जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में अपग्रेड किया जाना था और ऐसे 14 कॉलेज-अस्पताल यूपी में खोले गए हैं.
कुमार ने कहा, “मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के पीछे का विचार स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करना और अधिक लोगों को अस्पताल में लाना है. इसे हासिल करने के लिए हमें उनका विश्वास बनाने और रोगियों की एक निश्चित संख्या प्राप्त करने की ज़रूरत थी. चूंकि, जिला अस्पतालों में पहले से ही एक निश्चित संख्या में मरीज़ आ रहे हैं, इसलिए जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में अपग्रेड करना बेहतर तरीका था.”
उन्होंने कहा, “अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में बनाए जाने के बाद, हमारे पास उन्हें देने के लिए बेहतर सुविधाएं थीं, जैसे बेहतर ब्लड ट्रांसफ्यूशन मशीन, बेहतर पैथोलॉजी सुविधाएं और टेस्ट फैसिलिटी, सभी एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं. पहले लोग पहले अस्पताल जाते थे और फिर निजी लैब में जाकर जांच करवाते थे, अब सब कुछ एक ही जगह मौजूद है, जिससे उनकी परेशानी बहुत हद तक कम हो गई है.”
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने 2021 में साढ़े पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के अवसर पर अपनी उपलब्धियों को उजागर करते हुए एक रिपोर्ट कार्ड निकाला था, जिसके अनुसार सरकार ने इस दौरान सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 1,838 और निजी मेडिकल कॉलेजों में 1,750 सीटें जोड़ी गईं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नर्सिंग कोर्स में 7,000 और पैरामेडिकल में 2,000 सीटें जोड़ी गई हैं. दिप्रिंट के पास रिपोर्ट की एक प्रति मौजूद है.
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ेंः ‘अब और उधार नहीं’— अल्पसंख्यकों की स्कॉलरशिप खत्म करने से कैसे ड्रॉपआउट बढ़ने की आशंका गहराई