नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने बहुभाषावाद पर एक प्रस्ताव अपनाया है जिसे भारत ने प्रायोजित किया था. इसमें पहली बार हिंदी भाषा का जिक्र किया गया है.
शुक्रवार को पास किया गया यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र को हिंदी भाषा समेत आधिकारिक और गैर-आधिकारिक भाषाओं में संचार और संदेशों का प्रसार करने के लिए बढ़ावा देता है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, ‘इस साल पहली बार संकल्प में हिन्दी का जिक्र किया गया है. इसमें पहली बार बांग्ला और उर्दू को भी जगह मिली है. हम इसका स्वागत करते हैं.’
तिरुमूर्ति ने कहा कि बहुभाषावाद को यूएन के मूल मूल्य के तौर पर मान्यता प्राप्त है. इसके साथ ही उन्होंने बहुभाषावाद को प्राथमिकता देने के लिए महासचिव का आभार व्यक्त किया है.
उन्होंने कहा कि भारत 2018 से यूएन के डिपार्टमेंट ऑफ ग्लोबल कम्यूनिकेशन्स (डीजीसी) के साथ साझेदारी कर रहा है और हिंदी भाषा में समाचार और मल्टीमीडिया को मुख्यधारा में लाने के लिए अतिरिक्त बजट का योगदान दे रहा है.
तिरुमूर्ति ने कहा, ‘मैं 1 फरवरी, 1946 को अपने पहले सत्र में अपनाए गए यूएनएससी के प्रस्ताव 13(1) को याद करना चाहूंगा, जिसमें कहा गया था कि संयुक्त राष्ट्र अपने उद्देश्यों को तब तक हासिल नहीं कर सकता जब तक कि दुनिया के लोगों को इसके उद्देश्यों और गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी न हो.’
उन्होंने आगे कहा कि यह अनिवार्य है कि यूएन में बहुभाषावाद को सही मायने में अपनाया जाए और भारत इस उद्देश्य को हासिल करने में संयुक्त राष्ट्र का समर्थन करेगा.
गौरतलब है कि अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश यूएन की छह आधिकारिक भाषाएं हैं. वहीं अंग्रेजी और फ्रेंच संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की कामकाजी भाषाएं हैं.
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