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Thursday, 16 May, 2024
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78 लाख दिव्यांग बच्चों वाले भारत में उनके बेहतर शिक्षा की 10 उपायों वाली एक रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल के तीन चौथाई दिव्यांग बच्चे किसी तरह के शैक्षणिक संस्थान में नहीं जाते. वहीं, 5 से 19 साल के बच्चों में से एक चौथाई बच्चों का भी यही हाल है.

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नई दिल्ली: यूनेस्को ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंज के साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि 2019 में दिव्यांग बच्चों की शिक्षा की स्थिति का क्या हाल है. साथ ही ये भी बताया गया है कि वर्तमान स्थिति को और बेहतर बनाकर दिव्यांग बच्चों की शिक्षा को सर्वोत्तम कैसे बनाया जा सकता है.

इसमें ये जानकारी समाने आई है कि भारत में 19 साल से कम उम्र के करीब 7.8 मिलियन बच्चे दिव्यांग हैं. ये भी बताया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर भारत ने दिव्यांगों की संख्या के बारे में जो अनुमान लगाया है वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुमान के हिसाब से कम है.

‘2019 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया: चिल्ड्रन्स विद डिसेबिलिटी’ नाम की इस रिपोर्ट को दिल्ली में ताज पैलेस होटल में यूनेस्को, नई दिल्ली ने एक कार्यक्रम में लॉन्च किया. इस दौरान यूनेस्को के नई दिल्ली के निदेशक एरिक फाल्ट ने कहा, ‘दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए भारत में पहले ही बहुत कुछ किया जा चुका है लेकिन इस रिपोर्ट के साथ हम कई ठोस कदम उठाने का सुझाव दे रहे हैं.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल के तीन चौथाई दिव्यांग बच्चे किसी तरह के शैक्षणिक संस्थान में नहीं जाते. वहीं, 5 से 19 साल के बच्चों में से एक चौथाई का भी यही हाल है. स्कूल जाने वाले ऐसे बच्चों की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे वैसे इनके स्कूल छूटते चले जाते हैं. ये भी बताया गया की स्कूल जाने वाली दिव्यांग लड़कियों की संख्या दिव्यांग लड़कों की तुलना में काफी कम है.

राष्ट्रीय स्तर पर जो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते उनकी तुलना में ऐसे दिव्यांग बच्चों की संख्या काफी ज़्यादा है. हालांकि, ये भी कहा गया है कि योजनाओं और प्रयासों के तहत इन बच्चों को स्कूलों में लाया गया है लेकिन अभी काफी कुछ किए जाने की दरकार है. भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपने संदेश में कहा, ‘ये उम्मीद है कि यूनेस्को की ‘स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2019’ हमारी समझ को मज़बूत करने में मदद करेगी और इससे शिक्षा प्रणाली को दिव्यांग बच्चों की सीखने की जरूरत को बेहतर जवाबदेह बनाने में मदद मिलेगी.’

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सालाना तौर पर प्रकाशित होने वाली 2019 की ये रिपोर्ट यूनेस्को, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित की गई अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है और यह दिव्यांग बच्चों के शिक्षा के अधिकार के संबंध में उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डालती है. इस संदर्भ में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दस्तावेजों के व्यापक शोध के आधार पर यह दिव्यांग बच्चों की शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत जानकारी देती है और नीति-निर्माताओं के सामने 10 प्रमुख सुझाव भी देती है.

रिपोर्ट के विश्लेषण के आधार पर 10 प्रस्ताव दिया गया है

आरटीई में संशोधन किया जाए ताकि आरपीडब्ल्यूडी से इसका तालमेल बैठ सके, ऐसा करने के दौरान दिव्यांग बच्चों की शिक्षा से जुड़ी बातों को ख़ास तौर से ध्यान में रखे जाने की दरकार है.

-दिव्यांग बच्चों से जुड़े तमाम कार्यक्रमों को प्रभावी तौर से एक जगह लाने के लिए शिक्षा मंत्रालय के तहत एक सामंजस्य तंत्र बनाए जाने की भी ज़रूरत है.

-दिव्यांग बच्चों की शिक्षा से जुड़ी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा बजट में इसके लिए अलग से और पर्याप्त फंड दिए जाएं

-डेटा सिस्टम को मज़बूत किया जाए ताकि उन्हें मजबूत, विश्वसनीय और उपयोगी बनाया जा सके और इससे जुड़े कामों में इस्तेमाल किया जा सके.

-दिव्यांग बच्चों के समर्थन के लिए स्कूलों के इको सिस्टम को समृद्ध बनाए जाने के अलावा तमाम हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिए.

-दिव्याग बच्चों की शिक्षा में सूचान प्रौद्योगिकी का जमकर विस्तार किया जाना चाहिए.

-हर बच्चे को एक मौका मिलना चाहिए और कोई दिव्यांग बच्चा पीछे नहीं छूटना चाहिए.

-हर तरह की सीख हासिल करने के लिए शिक्षा देने की तकनीक में बदलाव की दरकार है.

-क्लास और उससे बाहर दोनों ही जगह ऐसी कोशिश की जानी चाहिए कि दिव्यांग बच्चों के लिए सकारात्मक माहौल तैयार किया जा सके.

-यूनेस्को को आशा है कि रिपोर्ट उन नीतियों और कार्यक्रमों को बढ़ाने और प्रभावित करने के लिए एक संदर्भ साधन के रूप में काम करेगी जो दिव्यांग बच्चों के लिए समावेश और स्केल-अप गुणवत्ता शिक्षा के अवसरों की वकालत करते हैं.

रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि समावेशी शिक्षा को लागू करना जटिल काम है और विभिन्न संदर्भों में बच्चों और उनके परिवारों की कई तरह की आवश्यकताओं की एक बेहतर समझ की ज़रूरत है. भारत ने एक मज़बूत कानूनी ढांचा और कार्यक्रमों के अलावा योजनाओं के मामले में काफी प्रगति की है, जिससे स्कूलों में दिव्यांग बच्चों की उपस्थिति में में सुधार हुआ है.

हालांकि, एजेंडा 2030 के लक्ष्यों को और अधिक खास तौर से सस्टेनेबल डिवेलपमेंट गोल 4 को हासिल करने में हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए और प्रयासों की ज़रूरत है.

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