scorecardresearch
Friday, 17 May, 2024
होमदेशसंयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर मामले पर पाक को दी संयम बरतने की सलाह, शिमला समझौता की दिलाई याद

संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर मामले पर पाक को दी संयम बरतने की सलाह, शिमला समझौता की दिलाई याद

पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने को एकपक्षीय और अवैध करार दिया है और कहा है कि वह इस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ले जाएगा.

Text Size:

नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म किए जाने के बाद जिस तरह से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है उसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतेरस ने भारत और पाकिस्तान को अत्यधिक संयम बरतने की सलाह दी है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने शुक्रवार को बयान जारी कर शिमला समझौते को भी याद दिलाया है जो इस मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से नकारता है.

बता दें कि भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और उसने भारत के इस कदम को एकपक्षीय और अवैध करार दिया है और कहा है कि वह इस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ले जाएगा. लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने अनुच्छे 370 पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

गुतेरस के द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि महासचिव जम्मू कश्मीर में स्थिति पर नजर बना रखी है और दोनों देशों से संयम बरतने की सलाह दी है.

साथ ही महासचिव ने भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर 1972 में हुए शिमला समझौते का जिक्र किया जो यह कहता है कि जम्मू कश्मीर पर कोई भी हल संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के मुताबिक शांतिपूर्ण तरीके से निकाला जाएगा. इसमें यह भी कहा कि सभी पक्ष ऐसे कदम उठाने से बचें जो जम्मू कश्मीर की स्थिति को प्रभावित करते हों.

कश्मीर मसले का द्विपक्षीय समाधान ही एकमात्र रास्ता : यूरोपीय संघ

यूरोपीय संघ (ईयू) ने कश्मीर मसले का भारत और पाकिस्तान बीच राजनीतिक समाधान तलाशने की सलाह देते हुए कहा है कि विवाद का स्थायी समाधान तलाशने की सलाह दी है. यूरोपीय संघ ने कहा कि इस विवाद के कारण क्षेत्र में अस्थिरता और असुरक्षा की स्थिति पैदा हुई है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

यूरोपीय संघ के विदेश मामलों और सुरक्षा नीति की उच्च प्रतिनिधि फेडेरिका मोघेरिनी भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से फोन पर बातचीत करने के बाद एक बयान जारी किया.

मोघेरिनी ने कहा कि दोनों से फोन पर बातचीत में उन्होंने कश्मीर और क्षेत्र में तनाव बढ़ाने से बचने के महत्व को रेखांकित किया.

ईयू की विदेशी नीति की प्रमुख ने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक चैनलों से इसे समाप्त करना महत्वपूर्ण है.’

चीन से मश्विरा करा चीन रवाना हुए पाकिस्तान विदेश मंत्री

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के भारत के फैसले पर चीनी नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श करने के लिए चीन रवाना हो गए हैं. मीडिया ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

न्यूज इंटरनेशनल के मुताबिक, शुक्रवार सुबह बीजिंग के लिए उड़ान भरने से पहले कुरैशी ने कहा, ‘भारत अपने असंवैधानिक तौर-तरीकों से क्षेत्रीय शांति को बाधित करने पर आमादा है.’

उन्होंने कहा, ‘चीन न केवल पाकिस्तान का मित्र है, बल्कि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश भी है.’विदेश मंत्री ने कहा कि वह स्थिति पर चीन के नेतृत्व को विश्वास में लेंगे. विदेश सचिव सोहेल महमूद और विदेश मंत्री के अन्य उच्च अधिकारी भी कुरैशी के साथ रवाना हुए हैं.

भारत सरकार ने सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया.

क्या है शिमला समझौता

आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर युद्ध होते रहे हैं. 1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद भारत ने 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया था. इसके बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार, पाक युद्ध बंदियों को छुड़ाने की कवायद शुरू हुई, इसी कड़ी में दोनों देशों के बीच 2 जुलाई 1972 को एक समझौती हुआ यह समझौता हिमाचल प्रदेश के शिमला में हुआ इसलिए इसे शिमला समझौता कहते हैं.
इस समझौते में पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे.

दोनों देशों के बीच इन बातों पर बनी थी सहमति

-दोनों देशों ने शिमला समझौते के जरिए आपसी संबंधों को बेहतर करने, शांति बनाए रखने और एक दूसरे का सहयोग करने का संकल्प लिया था. साथ ही दोनों देशों ने
-तय किया था कि सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे. तीसरे पक्ष द्वारा कोई मध्यस्थता नहीं की जाएगी.
-युद्ध के दौरान और उसके बाद यातायात की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी, जिससे दोनों देशों के लोग आसानी से अपने रिश्तेदारों से मिलन आ-जा सकें.
-व्यापार और आर्थिक सहयोग फिर से स्थापित किए जाएंगे.
-इनसब महत्वपूर्ण बिंदुओं के बीच युद्ध बंदियों की अदला बदली, पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश को अलग देश की मान्यता, भारत और पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों को सामान्य बनाने के साथ कश्मीर में नियंत्रण रेखा स्थापित करने जैसे मुद्दों पर भी बातचीत हुई थी.

(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

share & View comments