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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशदो बार एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पर्वतारोही RSS के विजयदशमी आयोजन में बनेंगी पहली महिला मुख्य अतिथि

दो बार एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पर्वतारोही RSS के विजयदशमी आयोजन में बनेंगी पहली महिला मुख्य अतिथि

पदाधिकारियों का कहना है कि पर्वतारोही संतोष यादव को आमंत्रित करना ‘कोई अलग घटना नहीं’ है, और RSS की अपने संगठनात्मक ढांचे के अंदर भी नारी शक्ति को बढ़ावा देने की योजना है.

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नई दिल्ली: 97 वर्षों के इतिहास में पहली बार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक महिला पर्वतारोही संतोष यादव को अपने वार्षिक विजयदशमी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने के लिए आमंत्रित किया है, जो पारंपरिक रूप से दशहरे के दिन उसके नागपुर मुख्यालय में आयोजित किया जाता है और इसके पीछे एक ख़ास संदेश है.

आरएसएस पदाधिकारियों के अनुसार, संस्था अपने शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रही है, और उसका इरादा महिलाओं को व्यवस्थित ढंग से आगे लाने का है, जिसमें उसका संगठनात्मक ढांचा भी शामिल है.

एक वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने ज़ोर देकर कहा, इसलिए एक महिला को आमंत्रित करने का फैसला, जिसने ‘एक क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है और सर्वोच्च सफलता प्राप्त की है’ एक अलग घटना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

दिप्रिंट से बात करते हुए, आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ने इस बिंदु पर भी बल दिया.

अंबेकर ने दिप्रिंट से कहा, ‘संघ ने पहले भी अपने कुछ कार्यक्रमों के लिए महिलाओं को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया है, लेकिन ऐसा पहली बार है कि हम अपने विजयदशमी आयोजन के लिए एक महिला मुख्य अतिथि को आमंत्रित कर रहे हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘संगठन के भीतर महिलाओं का प्रतिनिधित्व कई गुना बढ़ गया है. चूंकि संघ मातृशक्ति और सर्वोच्च शक्ति में विश्वास करता है. हमारे यहां अब कई महिला पदाधिकारी हैं, जो संगठन में महत्वपूर्ण पदों का प्रभार संभाले हैं.

फिर भी, विजयदश्मी के लिए महिला मुख्य अतिथि होने का एक सांकेतिक महत्व है.

1925 में विजयदशमी का ही दिन था जब आरएसएस की स्थापना हुई थी, और यही वो दिन है जब इसके सरसंघचालक, जो वर्तमान में मोहन भागवत हैं, एक वार्षिक संबोधन करते हैं, जो आने वाले महीनों में संस्था के लिए एक मार्गदर्शक फ्रेमवर्क का काम करता है.

इस वर्ष की मुख्य अतिथि 54-वर्षीय संतोष यादव, जो लगातार दो वर्ष (1992 और 1993) माउंट एवरेस्ट पर चढ़ीं, और ऐसा करने वाली दुनिया की पहली और सबसे युवा महिला बनीं, एक विशिष्ट क्लब का हिस्सा बन जाएंगी.

हालांकि 2020 और 2021 में कोविड  प्रोटोकोल के कारण विजयदशमी के लिए कोई मुख्य अतिथि नहीं थे, लेकिन पिछले आमंत्रितगणों में नोबल विजेता कैलाश सत्यार्थी (2018) और उद्योगपति (2019) शिव नडार शामिल रहे हैं. भारत के एक पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणव मुखर्जी भी, 2018 में आरएसएस के एक और प्रमुख आयोजन संघ शिक्षा वर्ग में मुख्य अतिथि थे.


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नया भारत’ की RSS की परिकल्पना में महिलाएं आवश्यक

एक दूसरे वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने नाम न बताने की इच्छा पर कहा कि स्त्री पुरुष ‘समानता और समग्रता संघ की परिकल्पना के आवश्यक अंग हैं’.

उन्होंने कहा, ‘बहुत से संबद्ध संगठन हैं जहां महिलाएं महत्वपूर्ण पदों पर बैठी हैं. राष्ट्र सेविका समिति (आरएसएस की महिला विंग) का काफी विस्तार हो रहा है.

उन्होंने आगे कहा, ‘इसी महीने रायपुर में अपनी समन्वय बैठक में, 26 महिला पदाधिकारी थीं जो अपने अपने संगठनों का प्रतिनिधित्व कर रहीं थीं. हालांकि हम 30 की अपेक्षा कर रहे थे. जागरूकता मौजूद है और ये उसी ‘नया भारत’ का हिस्सा है जिसकी हम बात करते हैं.’

पदाधिकारी ने उन महिलाओं के नाम गिनाए जो आरएसएस से संबद्ध संस्थाओं में नेतृत्व की भूमिकाओं में हैं- (अखिल भारतीय) विद्यार्थी परिषद में निधि भारती जी, और सेवा भारती में रेणु पाठक जी- और समझाया कि महिलाओं के लिए हमेशा जगह रही है.

उन्होंने कहा, ‘संघ के ढांचे को समझने की ज़रूरत है. एक संघ है और एक समिति है- ये दो अलग अलग संस्थाएं हैं. कुछ संगठन ऐसे भी हैं जहां पुरुष और महिलाएं साथ मिलकर भी काम कर रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा कि समिति संघ की स्थापना के 11 वर्ष बाद 1936 में शुरू की गई थी.

इससे पहले हवाला दिए गए पहले आरएसएस पदाधिकारी ने ज़ोर देकर कहा, कि महिलाओं को पहले भी आरएसएस कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया है, और उन्होंने बहुत सी संबद्ध संस्थाओं में ‘नेतृत्व के पद’ संभाले हैं.

उन्होंने आगे कहा कि ये ‘कांग्रेस और कम्यूनिस्टों’ के लिए एक मौक़ा है, कि वो ज़रा थमकर इस बारे में सोचें कि महिलाओं के लिए कौन बेहतर कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘कम्यूनिस्ट और कांग्रेस पार्टी जैसे कुछ विरोधी हैं जो हमारी आलोचना करते हैं, और कहते हैं कि हम पितृसत्ता से चलते हैं. उन्हें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. बदलती दुनिया और बदलती पीढ़ियों के साथ, हम ख़ुद को सुधार रहे हैं और विकसित हो रहे हैं’.

पदाधिकारी ने आगे कहा, ‘कम्यूनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति में कितनी महिलाएं हैं? परिवार के सदस्यों को छोड़कर, कांग्रेस के हाथ में रहे केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों में कितनी महिलाएं थीं?’ उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी सरकार में महिलाओं के पास महत्वपूर्ण पद हैं (या रहे हैं), जिनमें वित्त और विदेश मंत्रालय शामिल हैं.


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RSS, BJP एजेंडा में महिला शक्ति’ को ऊंचा स्थान

बीजेपी और इसके वैचारिक स्रोत आरएसएस दोनों के नेतृत्व कुछ समय से स्त्री पुरुष समानता और समग्रता के विषय पर ज़ोर दे रहे हैं.

अगस्त में, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने, नागपुर में सेविका समिति द्वारा आयोजित एक पुस्तक विमोचन के आयोजन को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ जैविक भिन्नताओं को छोड़क, पुरुष और महिलाएं जीवन के हर पहलू में समान हैं. पुरुषों से पितृसत्तात्मक मानसिकता को त्यागने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा था: ‘हमने इतने लंबे समय तक (महिलाओं) को सीमित करके रखा हुआ था. अब उन्हें प्रबुद्ध और सशक्त होने दीजिए’.

उससे कुछ दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में इन्हीं बिंदुओं को उठाया था, जहां उन्होंने ‘नारी शक्ति’ और भारत की ‘अनगिनत साहसी महिलाओं’ को श्रद्धांजलि पेश की थी. उन्होंने कहा था, ‘राष्ट्र के सपनों को साकार करने में महिलाओं का गौरव एक बहुत बड़ी संपत्ति होने जा रहा है. मैं इस शक्ति को देख रहा हूं और इसीलिए मैं इसपर ज़ोर दे रहा हूं’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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