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Sunday, 3 November, 2024
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सुप्रीम कोर्ट को मिले दो नए जज, न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा और केवी विश्वनाथन ने ली शपथ

CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल, केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी और संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए जस्टिस मिश्रा और विश्वनाथन के नाम की सिफारिश करने का निर्णय लिया.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट को दो नए जज मिले हैं. न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 16 मई को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मिश्रा और विश्वनाथन को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की और केंद्र ने गुरुवार को उनके नामों को मंजूरी दी थी.

CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल, केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी और संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए जस्टिस मिश्रा और विश्वनाथन के नाम की सिफारिश करने का निर्णय लिया.

26 मई, 1966 को जन्मे विश्वनाथन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति के बाद 25 मई, 2031 तक सेवा में रहेंगे.

11 अगस्त, 2030 को न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की सेवानिवृत्ति के बाद विश्वनाथन 25 मई, 2031 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने वाले जजों की कतार में रहेंगे. 

बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले वकीलों की सूची में विश्वनाथन दसवें व्यक्ति बन गए है.

विश्वनाथन ने कोयम्बटूर लॉ कॉलेज से पांच साल की एकीकृत कानून की डिग्री पूरी की और 1988 में बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु में दाखिला लिया. दो दशकों से अधिक समय तक सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने के बाद, साल 2009 में उन्हें एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया.

न्यायमूर्ति मिश्रा को 10 दिसंबर, 2009 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्हें 13 अक्टूबर, 2021 को आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.

कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव में कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय की वर्तमान संरचना में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि न्यायमूर्ति मिश्रा ने तेरह वर्षों से अधिक समय तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में क्रम संख्या 21 पर हैं.

शीर्ष अदालत में वर्तमान में 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति है और 32 के साथ काम कर रही थी. अब, शीर्ष अदालत में पूरी क्षमता होगी. जुलाई के दूसरे सप्ताह तक चार रिक्तियां निकलने वाली हैं.


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