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Monday, 18 November, 2024
होमदेशवायुसेना के विमान हादसे में सेना के दो पायलट शहीद, घरों में पसरा मात, MIG 21 की सुरक्षा पर उठे सवाल

वायुसेना के विमान हादसे में सेना के दो पायलट शहीद, घरों में पसरा मात, MIG 21 की सुरक्षा पर उठे सवाल

वायुसेना के एक अधिकारी ने शुक्रवार को मीडिया को दोनों पायलटों के नाम जारी किए और बताया विंग कमांडर राणा हिमाचल प्रदेश के रहने वाले थे जबकि फ्लाइट लेफ्टिनेंट बल जम्मू के निवासी थे.

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नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना का एक मिग-21 युद्धक विमान बृहस्पतिवार की रात राजस्थान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे दो पायलटों- विंग कमांडर एम. राणा और फ्लाइट लेफ्टिनेंट अद्वितीय बल की जान चली गयी. क्रैश के बाद सारा विमान जलकर राख हो गया. दोनों शहीद के घरों में मातम छाया हुआ है.

वायुसेना के एक अधिकारी ने शुक्रवार को मीडिया को दोनों पायलटों के नाम जारी किए और बताया विंग कमांडर राणा हिमाचल प्रदेश के रहने वाले थे जबकि फ्लाइट लेफ्टिनेंट बल जम्मू के निवासी थे.

इस हादसे के बाद से ही मिग-21 की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं. बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने भी इस पर प्रश्न करते हुए इसे उड़ता ताबूत कह दिया है. बता दें कि एयरफोर्स ने भी मिग 21 को 2025 तक बेड़े से बाहर करने का फैसला कर लिया है.

बता दें कि भारतीय वायुसेना 1960 से रूसी विमान मिग 21 का इस्तेमाल कर री है. 62 साल के इतिहास में मिग 21 के क्रैश होने की 200 घटनाएं हो चुकी हैं.

वरुण गांधी ने पूरे मामले पर ट्वीट करते हुए कहा, बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ट्वीट कर कहा, कल बाड़मेर में हुई घटना से पूरा देश स्तब्ध व शोकाकुल है!  कुछ सालों से MiG-21 लगातार हादसों का शिकार हो रहा है. यह अकेला लगभग 200 पायलटों की जान ले चुका है. आखिर यह ‘उड़ता ताबूत’  कब हमारे बेड़े से हटेगा? देश की संसद को सोचना होगा, क्या हम अपने बच्चों को यह विमान उड़ाने देंगे?

वायुसेना के अनुसार दो सीटों वाला मिग-21 विमान प्रशिक्षण उड़ान पर था और रात में करीब 9:10 बजे बाड़मेर के पास दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया.

वायुसेना मुख्यालय ने दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए पहले ही ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ के आदेश दे दिए हैं.

मिग-21 विमान लंबे समय तक भारतीय वायुसेना का मुख्य आधार रहे हैं. हालांकि, हाल में विमान का सुरक्षा रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है.

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट ने मार्च में राज्यसभा में कहा था कि पिछले पांच वर्षों में तीनों सेवाओं के विमान और हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं में 42 रक्षा कर्मियों की मौत हो गई थी.


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