टप्पल/अलीगढ़: टप्पल गांव में हजारों की संख्या में पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं. इस इलाके में दिल्ली, फरीदाबाद और गुरुग्राम के नंबर प्लेट्स वाली गाड़ियों की लाइन लगी हुई है. मुंह पर रुमाल बांधे युवक गलियों से जय श्रीराम के नारे लगाते हुए आ-जा रहे हैं. पुलिस चौंकन्नी है. बीच–बीच में युवकों का ये जत्था लाठी लेकर तैनात जवानों से भिड़ भी रहा है.
पुलिस जब इस भीड़ को खदेड़ती है तो ये युवक आस-पास के घरों में घुसने की कोशिश करते हैं. परेशान गांव वाले गुस्से में पुलिस और भीड़ दोनों पर ही बिफर रहे हैं. कहीं–कहीं पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा है. एसएसपी आकाश कुल्हाड़ी और डीएम सीबी सिंह दोनों ही गांव में गश्त कर रहे हैं. दंगे की स्थिति बन चुकी है जिसे टालने की कोशिश की जा रही है.
असलम अपनी ही बेटी के बलात्कार के आरोप में गया था जेल
इस बीच दिप्रिंट पहुंचता है ट्विंकल हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में से एक असलम के घर. घर के कमरों पर ताले लगे हुए हैं. चार-पांच पुलिस वाले बंदूक लिए बैठे हैं. असलम पर खुद की ही 9 वर्षीय बेटी का बलात्कार करने का आरोप है. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक उसने 2014 में अपनी बेटी का बलात्कार गांव के ही खेतों में किया था. इस बलात्कार के बारे में पड़ोसी बताते हैं, ‘बच्ची कह रही थी कि पापा मारेंगे. मां को समझ नहीं आया. लेकिन जब खून देखा तो समझी. उसके बाद वो खुद ही एफआईआर दर्ज कराने पुलिस स्टेशन पहुंची थी.’
इसके बाद असलम की बीवी और बच्ची भी घर छोड़कर चली गई थीं. टप्पल एसएसपी ने दिप्रिंट को बताया, ‘असलम पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुए इस मामले में सजा भी काट कर आ चुका है. फिलहाल वो जमानत पर बाहर था.’ 2014 में ही असलम पर गांव के ही एक घर में घुसकर एक लड़की के साथ छेड़छाड़ का मामला भी दर्ज हुआ था. 2015 में फिर दिल्ली के गोकुलपुरी से एक लड़के को अगवाह करने का मामला दर्ज हुआ था. हालांकि ट्विंकल हत्याकांड के दूसरे आरोपी जाहिद का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. जाहिद को लेकर लोग अभी भी असमंजस में दिखाई दिए. कुछ के लिए यकीन करना मुश्किल था कि जाहिद इस तरह की निर्मम हत्या भी कर सकता है.
असलम का किया हुआ था सामाजिक बहिष्कार
असलम के बगल वाले घर में रहने वाली 55 वर्षीय हसीना बताती हैं, ‘उसपर तो पहले से ही आरोप थे. उसने तो अपनी बेटी के साथ ही गलत काम करा था. गांव की एक बहू के साथ भी कर चुका था. हमारा उससे कोई ताल्लुक नहीं था.’
असलम के घर से थोड़ी दूर बनी मस्जिद के पास वाले घरों से बातचीत करने पर भी यही बात सामने आई. अकबर नाम के व्यक्ति बताते हैं, ‘उसको तो बानियों ने सामान देना भी बंद कर दिया था. उसको कोई अच्छा नहीं मानता था. उसने तो दिल्ली से एक लड़के को लाकर भी गलत काम किया था. बाद में पुलिस का मामला हुआ तब पता चला कि वो ये सब भी करता था.’
गांव के मौजूदा प्रधान दिनेश शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसपर दो–तीन मामले तो दर्ज थे. जेल भी गया था. लेकिन पंचायत ने कुछ किया नहीं. क्योंकि वो उसका घरेलु मामला था. उसकी पत्नी ने ही उसपर अपनी ही बेटी का बलात्कार करने की एफआईआर दर्ज कराई थी.’
गलियां जय श्रीराम के नारों से पट गई हैं
टप्पल गांव में ढाई वर्षीय बच्ची की निर्मम हत्या के बाद से ही गांव में सांप्रदायिक माहौल बनाया जा रहा है. गांव के पूर्व प्रधान ललित घरों से बाहर घूम रहे मुस्लिम बच्चों को घरों में ही रहने की हिदायत देते हुए अपने घर के बरामदे में बैठ जाते हैं. ये बरामदा पुलिस और उनकी लाठियों से भरा हुआ है. ललित लाश मिलने के दिन को याद करते हुए कहते हैं, ‘मैंने ही लाश मिलने की खबर के तुरंत बाद पुलिस को फोन कर बुलाया था. अब बाहर के लोग आकर यहां दंगा कराने की पूरी कोशिश में हैं. मामला एक हत्या का है और बनाया हिंदू–मुसलमान का है. ये लड़के भटके हुए हैं. हम भी तो हिंदू ही हैं. जानबूझकर किनके घरों के सामने जय श्रीराम के नारे लगाने आए हैं.’
एक तरफ जहां पूर्व प्रधान ललित इस मामले को सांप्रदायिक होने से रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अपनी ढाई वर्षीय बच्ची को खो चुके पिता बनवारी शर्मा भी हिंदू–मुस्लिम दंगों के भड़कने को रोकने में लगे हुए हैं. इस निर्मम हत्या को हिंदू-मुसलमान रंग दिए जाने पर वो दिप्रिंट को बताते हैं, ‘मेरी बच्ची चली गई है. मैं बस चाहता हूं कि दोषियों को सजा हो. मैं ये नहीं कह रहा कि पूरे मुस्लिमों को सजा हो. हम यहां सालों से भाईचारे के साथ रह रहे हैं. आप मेरा बयान ठीक से लिखना.’
बनवारी के बगल में बैठे उनके चचेरे भाई अनिल शर्मा कहते हैं, ‘तीन–चार दिन से बाहर के लोग आकर भड़काने की कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन हम नहीं भड़क रहे हैं. मामला हिंदू–मुसलमान का है ही नहीं. आप बाहर जाकर देख सकते हैं कि अभी वो भड़काऊ बातें कर रहे हैं.’
घर के अंदर ट्विंकल की मां एकटक किसी दीवार को देखे जा रही हैं. ट्विंकल अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी जो शादी के पांच साल बाद बड़े जतन से पैदा हुई थी. खाना-पीना छोड़ बैठी मां के आस-पास की औरतें ट्विंकल के बारे में बताती हैं, ‘बड़ी चंचल थी वो. पढ़ाई में बहुत तेज थी. एक हफ्ते ही स्कूल गई थी और सबकुछ सीख कर आ गई थी.’
ट्विंकल की बुआ कहती हैं, ‘उस दिन उसने सफेद बनियान और पीले रंग की हाफ पैंट पहन रखी थी. नहलाने और काला टीका लगाने के बाद वो सुबह साढ़े आठ बजे बाहर खेलने गई थी. वो किसी के घर नहीं जाती थी. बस घर के बाहर ही खेलती थी.’
ट्विंकल के घर के बाहर भीड़ इकट्ठी हुई है. इस भीड़ में ज्यादातर लोग बाहर से आए हैं. ये लोग आसिफा और ‘एक विशेष समुदाय’ से बदला लेने की बातें कर रहे हैं. लेकिन कैमरे को देखते ही शब्द बदलकर बोलने लगते हैं और भीड़ को कहते हैं कि समझ तो आप गए ही होंगे. इस भीड़ में 2-4 मुस्लिम बच्चों को छोड़कर मुस्लिम परिवार के लोग शामिल नहीं हुए हैं. एक नेता टाइप का आदमी खड़ा होकर लोगों को संबोधित करते हुए कहता है, ‘बताओ भाइयों कोई भी मुसलमान यहां आया है? कैंडल मार्च में दिखा? नब्बे फीसदी मामलों में ये ही शामिल रहते हैं.’ नीचे बैठे लोग हामी भरते हैं और जय श्रीराम के नारे लगाते हैं.
संभावित दंगें को देखकर घरों से भागे मुसलमान, घरों में लगे हैं ताले
तकरीबन 15 हजार की आबादी वाले इस गांव में 5000 के करीब मुसलमान हैं. मुसलमानों के घर खटखटाने पर कहीं कोई बूढ़ी औरत मिलती है तो कहीं दो-चार बच्चे. आरोपी असलम के घर के आस–पास रह रहे मुसलमानों ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम शुरू में बनवारी के घर गए थे. वो हमारी भी तो बच्ची थी. उसके गुम होने पर लगातार दो दिन तक मस्जिद में अनाउंसमेंट भी हुई थी. लेकिन अब बाहर से आए लड़के गाली दे रहे हैं. एक–दो बच्चों को पीटा भी है. इसलिए कोई अब डर के मारे जा ही नहीं रहा उधर. हमने बच्चों को भी उधर जाने से रोका है. दंगा नहीं चाहते हम लोग.’
दंगे की आशंका में मुस्लिम परिवार गांव छोड़कर चले गए हैं. लेकिन जो गांव में रह रहे हैं वो भी घरों के किवाड़ बंद कर अंदर ही कैद हैं. बच्चे और महिलाएं छतों और खिड़कियों से इस भीड़ को जाती हुई देख रही हैं.
बच्ची की हत्या को लेकर फैल रही हैं अफवाहें
पुलिस के मेडिकल जांच में बच्ची के साथ बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है. ना ही बच्ची की आंखें निकालने और तेजाब से जलाने की बात सामने निकल कर आई है. जिस घर के सामने से बच्ची की लाश बरामद हुई है वो घर जाहिद का है. इस मामले को लेकर गांव के ही एक व्यक्ति ने कहा, ‘जाहिद के आसपास हिंदुओं के घर हैं. ये घर इस तरह बने हुए हैं कि अगर एक घर में बच्ची को आठ घंटे तक पीटा गया तो दूसरे घरों तक आवाज पहुंचनी लाजमी है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर जाहिद के घर में ऐसा हुआ तो किसी ने जाकर देखा क्यों नहीं. इस मामले में सीबीआई जांच होनी चाहिए. पुलिस की तहकीकात भरोसे लायक नहीं है.’
इसके अलावा भी सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई जा रही है कि बच्ची की लाश को बोटी–बोटी काट कर फ्रिज में रखा गया. लेकिन ये अफवाह भी भरोसे लायक नहीं है और टप्पल एसएसपी ने इसे खारिज किया है. बच्ची 30 मई को घर से गायब हो गई थी. 2 जून को उसकी सड़ी हुई लाश मिलती है. उसका एक हाथ अलग था. शरीर में कीड़े पड़ गए थे. उसकी आंखें भी बाहर निकली हुई थी. अगर फ्रिज में बॉडी को दो दिन तक छुपाकर रखा जाता तो बॉडी इतनी सड़ी हालत में कैसे मिलती?
पैसे के लेन–देन और आपसी झड़प से नहीं उठा है पर्दा
इस हत्या को लेकर कथित तौर पर कहा जा रहा है कि ये दस हजार के लोन को लेकर हुई है. ट्विंकल के परिवार के एक सदस्य अनिल ने बताया, ‘ट्विंकल के दादा ने ही जाहिद को उसके बीमार पिता के इलाज के लिए 50 हजार रुपए 6-7 महीने पहले दिए थे. उसने 40 हजार तो लौटा दिए लेकिन 10 हजार अभी बाकी थे. इस हत्या के 4-5 दिन पहले जाहिद और ट्विंकल के दादाजी की मार्केट में बहस हो गई थी. जिसपर जाहिद ने कहा था कि आपने मेरी भरे बाजार में बेइज्जती की है. इसका बदला लूंगा.’
इस कथित झड़प के आधार पर ही ट्विंकल के परिवार वालों ने जाहिद पर शक जाहिर किया जिसके बाद पुलिस ने जाहिद को गिरफ्तार किया. लेकिन इस कथित झड़प को लेकर गांव में अलग–अलग मत हैं. जाहिद के पड़ोस में रहने वाले लोग कुछ और ही कहानी कहते हैं, ‘उसने पैसे तो उतार दिए थे. लेकिन कुछ 600-700 रुपए का ब्याज बाकी था. उसी को लेकर बहस हुई होगी.’
फिलहाल जिस बिचौलिए के जरिए पैसे का ये लेन–देन हुआ था वो भी अब घर को ताला लगाकर फरार है.