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Saturday, 16 November, 2024
होमदेशआदिवासी एक्टिविस्ट सोनी सोरी कोरोना पॉजिटिव, छत्तीसगढ़ आई NIA की टीम भीमा कोरेगांव मामले में नहीं कर पाई पूछताछ

आदिवासी एक्टिविस्ट सोनी सोरी कोरोना पॉजिटिव, छत्तीसगढ़ आई NIA की टीम भीमा कोरेगांव मामले में नहीं कर पाई पूछताछ

सोरी ने सीधे तौर पर नहीं बताया कि जांच टीम ने उनसे क्या पूछा लेकिन यह जरूर कहा कि 'कुछ लोग उनके द्वारा आदिवासियों के अधिकारों के लिए उठाई जा रही आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.'

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रायपुर: महाराष्ट्र के पुणे के नज़दीक 2018 में हुए भीमा कोरेगांव हिंसा के सबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक टीम बुधवार को पहली बार छत्तीसगढ़ की आदिवासी एक्टिविस्ट सोनी सोरी से पूछताछ करने पहुंची. लेकिन सोरी के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण एजेंसी को पीछे हटना पड़ा.

भीमा कोरेगांव में हिंसा के पीछे कथित तौर पर मुख्य कारण माने जाने वाले एल्गार परिषद को 31 दिसंबर 2018 को सोरी ने भी संबोधित किया था.

कोविड पॉजिटिव होने के कारण एनआईए की जांच टीम ने बुधवार को सोरी से मिलने का इरादा छोड़ दिया और टेलीफोन से ही उनसे कुछ सवाल जवाब किये.

सोरी के अनुसार एनआईए द्वारा उनको बुलाए जाने का इंतजार था लेकिन उनका कोरोना टेस्ट पॉजिटव आने के बाद एजेंसी के सदस्यों ने इरादा बदल दिया. हालांकि मुंबई से आई एनआईए की टीम वापस नहीं गई है लेकिन सोरी से पूछताछ बुधवार को नहीं हो पाई.

बतौर सोरी एनआईए ने उन्हें जांच का समय और दिन दूसरा निर्धारित करने के लिए कहा है.

सोरी ने दिप्रिंट को बताया, ‘मेरा कोरोना टेस्ट पॉजिटव आया, इसका पता आज ही चला है. पहला सैंपल 24 तारीख को लिया गया था लेकिन उस समय डॉक्टरों ने निगेटिव बताया था. उसके बाद दो और सैंपल लिए गए जिसमें आज पॉजिटिव बताया गया है.’

उन्होंने बताया, ‘फिलहाल एनआईए के लोगों ने यही कहा है कि आगे की पूछताछ के लिए समय कल बताएंगे.’

सोरी ने सीधे तौर पर नहीं बताया कि जांच टीम ने उनसे क्या पूछा लेकिन यह जरूर कहा कि ‘कुछ लोग उनके द्वारा आदिवासियों के अधिकारों के लिए उठाई जा रही आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.’

सोरी ने कहा, ‘मैंने एल्गार परिषद को संबोधित किया था लेकिन वहां भी बस्तर के आदिवासियों और उनके हालात पर चर्चा की थी. कुछ लोग मुझे नक्सलियों से भी जोड़ने का प्रयास करते हैं लेकिन मेरा उनसे कोई लेना देना नहीं है. मैंने तो उनके द्वारा की जा रही हिंसा के खिलाफ बोला है और आगे भी बोलूंगी. सिर्फ मेरे द्वारा उठाई जा रही आवाज को दबाने का प्रयास है. मेरे पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है.’

बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा महाराष्ट्र के मराठा और दलित समुदायों के बीच 1 जनवरी 2018 को हुई थी जब दलित समुदाय के लोग, 1818 में अंग्रेजों की पुणे के तत्कालीन शासक पेशवा बाजीराव II की सेना के ऊपर जीत की 200वीं वर्षगांठ मना रहे थे.

अंग्रेजों ने पेशवा की सेना से जीत के बाद भीमा कोरेगांव में एक शहीद स्मारक का निर्माण करवाया था. स्मारक पर उनकी पेशवा से जीतने वाली सेना की टुकड़ी में शामिल सभी हिंदुस्तानी सैनिकों का नाम अंकित है. बाद में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर यहां 1 जनवरी को हर साल आते रहे जिसके कारण यह स्थान महार समाज यानी दलितों की पेशवाओं यानी मराठों पर जीत का प्रतीक बन गया. अब यह एक उत्सव का रूप ले चुका है. महाराष्ट्र में दलित समुदाय के लोग 1 जनवरी को हर वर्ष शौर्य दिवस के रूप में मनाते हैं.

पुणे पुलिस और एनआईए की जांच के मुताबिक 2018 में शौर्य दिवस के दिन वहां मराठा और दलित समुदाय के बीच हिंसा हुई. इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे.

एनआईए के अनुसार हिंसा का मुख्य कारण कथित माओवादी समर्थकों द्वारा शौर्य दिवस से पहले 1818 तक पेशवा की सीट रही शनिवार वाड़ा में सरकार के खिलाफ जनता को भड़काने के लिए बैठकें की गई. एनआईए ने कहा है कि इस बैठक का आयोजन ‘भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान’ के रूप में कई संगठनों ने किया था जिसे एल्गार परिषद का नाम दिया गया था.

एल्गार परिषद का नेतृत्व कबीर कला मंच द्वारा किया गया था जो एनआईए के अनुसार एक माओवादियों की फ्रंटल संगठन है. एल्गार परिषद की बैठक के दूसरे दिन शौर्य दिवस उत्सव के दौरान आसपास के कई क्षेत्रों में हिंसक घटनाएं हुई थी.

जांच एजेंसी का मानना है कि एल्गार परिषद की बैठक के लिए माओवादियों द्वारा धन मुहैया कराया गया था. इस बैठक का उद्घाटन पूर्व छात्र नेता रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला ने किया था. सभा को सबोधित करने वालों में हाइ कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बी जी कोलसे पाटिल, गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी, प्रकाश आंबेडकर, जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद, सुधा भारद्वाज, आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी समेत कई अन्य शामिल थे.

सभा को संबोधित करने वाले कई वक्ताओं को बाद में गिरफ्तार किया गया जो आज भी जेल में हैं.


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