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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशसुकून की तलाश में पहाड़ों पर गए टूरिस्ट फैला रहे हैं गंदगी और प्रदूषण, स्थानीय लोगों को भी हो रही है दिक्कतें

सुकून की तलाश में पहाड़ों पर गए टूरिस्ट फैला रहे हैं गंदगी और प्रदूषण, स्थानीय लोगों को भी हो रही है दिक्कतें

लोग अपनी गाड़ियां उठाकर पहाड़ी राज्यों में जाते हैं सुकून के लिए लेकिन वहां की शांति को भी भंग करके आते हैं. ध्वनि प्रदूषण से लेकर कूड़े-कचरे तक. पर्यटक अपने साथ ये सब भी पहाड़ों में ले जाते हैं.

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नई दिल्ली: तेज गर्मी और लू से बचने के लिए लोग पहाड़ों का सहारा ले रहे हैं. दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में घनघोर गर्मी से राहत के लिए लोग पहाड़ों का रूख कर रहे हैं. इस बीच पहाड़ों की हालत लगातार खस्ता होती जा रही है. लोग अपनी गाड़ियां उठाकर पहाड़ी राज्यों में जाते हैं सुकून के लिए लेकिन वहां की शांति को तो भंग करते ही हैं साथ ही गंदगी भी फैला के आते हैं.

वो पहाड़ी राज्यों पर प्लास्टिक की बोतलों से लेकर चिप्स, कुरकुरे के पैकेट तक सब रास्तों पर छोड़ आते हैं. हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण के पास मौजूद कालगा गांव में एक गेस्ट कॉटेज चलाने वाले अमन बताते हैं कि लोग अक्सर अपनी गाड़ियों में आते हैं और सोशल मीडिया के लिए तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए तमाम तरह की हरकतें करते हैं जिससे स्थानीय लोगों को परेशानी होती है.

अभी हाल ही में हिमाचल प्रदेश की यात्रा करके दिल्ली लौटे रोहित शर्मा बताते हैं कि लोग शांति और सुकून की तलाश में पहाड़ों की तरफ जाते हैं लेकिन होता इसका उल्टा ही है. अक्सर हमें ऐसे पर्यटक दिख जाते हैं जो अपनी गाड़ियों में जोर से गाना बजाते हैं. मैं हिमाचल के कसौल में गया था अपने परिवार के साथ. लेकिन माहौल इतना खराब की परिवार के साथ जाने लायक नहीं बचा है.

वो बताते हैं, ‘लोग न तो नियमों का पालन करते हैं और न ही प्रकृति का सम्मान. वहां जिस होटल में हम रुके थे उन्होंने बताया कि अक्सर शराब पीकर लोग झगड़ा कर लेते हैं और फिर पुलिस को बुलाना पड़ता है. कई बार दोस्त ही आपस में झगड़ा करने लगते हैं.’

सुरक्षा भी है मुद्दा

ऐसा ही कुछ कालगा गांव में गेस्ट हाउस चलाने वाले अमन भी बताते हैं, वो कहते हैं, पहले मेरी बीवी और मेरे बच्चे यहीं मेरे साथ रहते थे लेकिन अब मैंने उन्हें नीचे गांव में शिफ्ट कर दिया है. कई दफे ऐसे लोग आ जाते हैं जिनसे असुरक्षा  महसूस होती है. लोग अपने मजे के चक्कर में सारी सीमाएं भूल जाते हैं.

पर्यटकों की बढ़ती संख्या पहाड़ी इलाकों में कई समस्याओं को न्यौता दे रही है. कुछ दिनों पहले रिपोर्ट्स में बताया गया कि मशहूर पर्यटन स्थल शिमला में पानी की किल्लत देखी जा रही है. पीने के पानी के अलावा डीजल-पेट्रोल की कमी की खबरें भी सामने आईं.

बीते दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम में देशवासियों से अपील की थी कि पहाड़ी इलाकों में जाकर कूड़ा-कचरा न फैलाएं.

उत्तराखंड में मौजूद केदारनाथ में कचरे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं. इसके अलावा ऐसे कुछ वीडियो भी सामने आए जिनमें दिखाया जा रहा था कि लोग चढ़ाई करने के लिए घोड़े और खच्चर जैसे जानवरों पर बैठकर यात्रा कर रहे थे, जिससे भारी मात्रा में जानवरों की मौत की घटनाएं भी सामने आईं.

दिल्ली वाले झगड़ालू

उत्तराखंड के देहरादून में रहने वाली प्रिया बताती हैं कि लोग शहरों से नदी पहाड़ देखने आते हैं लेकिन इस चक्कर में यहां कई-कई किलोमीटर लंबा जाम लग जाता है. हमें बाजार या दूसरे कामों के लिए जाने में बेहद तकलीफ होती है. लोग दिल्ली से आते हैं और यहां घटिया हरकतें करते हैं. हमारे यहां लोगों के बीच ये राय बनती जा रही है कि दिल्ली से आने वाले ज्यादातर लोग हल्ला मचाने आते हैं और झगड़ालू होते हैं.

ऋषिकेश में ही अपना एक होटल चलाने वाले साहिल बताते हैं, ‘पहले रात में हम यहां गाने बजाने की सुविधा देते थे लेकिन कुछ दिनों पहले दो लोगों ने दारू पीकर झगड़ा किया पूरी रात हल्ला होता रहा, फिर पुलिस को बुलाया तो स्थिति काबू में आई इसके बाद से ही हमने गाने बजाने की सुविधा को बंद कर दिया.’

पेशे से यात्री ऋषभ देव बताते हैं कि उन्होंने कई हिमाचल, उत्तराखंड के कई ट्रैक किये हैं. वो बताते हैं कि जहां न लोगों के घर हैं और न ही लोग, वहां भी हमें कचरा देखने को मिल जाता है. साफ है कि लोग ट्रैकिंग करने जाते हैं और वहां अपना कचरा छोड़कर आ जाते हैं.

ऋषभ बताते हैं, सुंदर पहांड़ों पर दिखाई देने वाला यह कचरा ऐसा लगता है जैसे चांद पर दाग.

वो बताते हैं, ‘चकराता जाते समय मैंने देखा कि लोग रास्ते में गाड़ी खड़े करके दारू पीकर हल्ला मचा रहे थे. कई बार मैंने ऐसा भी देखा है कि ऐसे पर्यटकों का स्थानीय लोगों से झगड़ा हो गया. मैंने कई जगहों का दौरा किया और अक्सर मुझे ऐसे लोग दिखे जो ऐसी हरकतें करते हैं.’


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