नई दिल्ली: भारत कोरोनोवायरस संक्रमण को कम करने की लड़ाई लड़ रहा है, देश के कई हिस्सों के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) में कमी की शिकायत की है. लेकिन राजस्थान ने नहीं की.
दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में राजस्थान के स्वास्थ्य अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि 2013 में शुरू की गई स्वास्थ्य योजना की मजबूत खरीद प्रणालियों ने उन्हें कमी से बचाया है.
मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना- जिसमें नि: शुल्क दवा दी जाती है. इस स्कीम ने यह सुनिश्चित किया है कि हमारी खरीद प्रणाली मजबूत है और यह सवाल है कि कहां से खरीदना है इसका जवाब मिल गया है. राजस्थान मेडिकल सप्लाइज कॉर्पोरेशन हर साल 1,000 करोड़ रुपये के उपकरण खरीदता है. सिंह ने कहा, ‘जब हमने महसूस किया कि यह समस्या पैदा होगी, तो हमने पहले से योजना बनाई और इस पर विचार किया इसलिए हमारे पास अब कमी नहीं है.’
राजस्थान वर्तमान में सबसे अधिक संक्रमण दर वाले राज्यों में से एक है. 13 अप्रैल तक कोरोना मामलों की संख्या 751 है, लेकिन राज्य के अधिकारियों ने हॉटस्पॉट की शीघ्र पहचान करने और पर्याप्त परीक्षण सुनिश्चित किया है.
सिंह ने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में संख्या बढ़ सकती है. लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि राजस्थान अन्य राज्यों की तुलना में बहुत अधिक परीक्षण कर रहा है और इससे अधिक सकारात्मक मामलों की संभावना बढ़ जाती है.
सिंह ने कहा, मामलों की संख्या दो कारणों से बढ़ेगी- एक है हमने 30,000 परीक्षण किया है जो कि अन्य राज्यों की तुलना में प्रति मिलियन परीक्षण की उच्च दर है. हमसे अधिक परीक्षण करने वाला एकमात्र राज्य महाराष्ट्र है, साथ ही यदि आप कन्टेनमेंट ज़ोन में अधिक परीक्षण करते हैं, तो आपको अधिक सकारात्मक परिणाम मिलेंगे.
लॉकडाउन के मामले पर उन्होंने कहा कि ‘ग्रेडेड’ दृष्टिकोण होना चाहिए. उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था आपस में जुड़ी हुई है, आपूर्ति श्रृंखला आपस में जुड़ी हुई है, यह एक मुश्किल समय है लेकिन हमें एक ग्रेडेड रणनीति बनानी होगी.
कैसे निरोगी राजस्थान योजना ने मदद की
जब लॉकडाउन लगाया गया था तब राजस्थान में केवल 27 मामले थे और थोड़े समय में मामलों में तेजी से वृद्धि दर्ज हुई गई थी.
दिसंबर 2019 में शुरू की गई एक योजना- निरोगी राजस्थान- जिसका उद्देश्य राज्य के प्रत्येक नागरिक के स्वास्थ्य की जांच करना था, जिसका अर्थ था कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को घर-घर जाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था. सिंह ने कहा कि यह अंततः उन्हें युद्ध-स्तर पर कोविड -19 संकट को संभालने के लिए प्रेरित करता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि संकट से निपटने के लिए परिस्थितियों को बदलना सीखने के लिए अनुकूल है.
‘हमें स्थिति को बदलने के लिए अपनी परीक्षण रणनीति को लगातार बदलना होगा. 15 अप्रैल से हम एक संपर्क या दूसरे स्तर के संपर्क पर पुष्टिकरण आरटी-पीटीआर परीक्षण चलाएंगे. फिर, हम उन लोगों को बफर जोन में स्क्रीन करेंगे, जहां तेजी से एंटीबॉडी परीक्षण के साथ सकारात्मक परिणाम की संभावना थोड़ी कम है.’
जो लोग कमजोर हैं- एक से अधिक बीमारी या फ्लू जैसे लक्षण हैं. उन्हें पहली प्राथमिकता दी जाएगी.
‘किट के साथ केंद्रीय सहायता की आवश्यकता’
सिंह आशावादी हैं कि राजस्थान वायरस के प्रसार पर सफलतापूर्वक अंकुश लगाएगा. लेकिन उन्होंने कहा कि उसे केंद्र सरकार से कुछ अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होगी.
सिंह ने कहा, ‘आईसीएमआर से आरटी-पीसीआर किटों की सोर्सिंग को ध्यान में रखते हुए अगर हमारे पास लगातार आपूर्ति होगी तो हम ठीक स्थिति में रहेंगे. तेजी से परीक्षण के लिए आईसीएमआर ने अनुमोदित आपूर्तिकर्ताओं की एक सूची बनाई है, जिनमें से अधिकांश चीन और पूर्व से हैं. यदि वे थोक आर्डर प्राप्त करते हैं और फिर इसे राज्यों को वितरित कर सकते हैं, तो यह हमें यह तेजी से इस प्रक्रिया से निपटने में मदद करेगा.
सिंह इस संकट को राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के अवसर के रूप में भी देखते हैं. जिसमें भौतिक बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण कर्मियों की ट्रेनिंग और सार्वजनिक सेवा वितरण के मामले हैं. उन्होंने कहा, सब कुछ क्रियान्वययन में निहित है. मॉडल और योजना में नहीं.
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