नई दिल्ली: सब्जी मंडियों में आने वाले उपभोक्ता एक बार फिर से आंसू बहा रहे हैं लेकिन इस साल गुनहगार प्याज नहीं बल्कि टमाटर है.
दक्षिण भारतीय राज्यों में हुई बेमौसम बारिश से आपूर्ति के प्रभावित होने से कई स्थानों पर टमाटर के खुदरा और थोक भाव दोगुने से अधिक बढ़कर 80 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं. विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों के कुछ शहरों में इसकी कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार करते हुए 140 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गईं.
तमिलनाडु में संकट इस हद तक गहरा गया कि राज्य सरकार को 85-100 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दरों पर टमाटर वितरित करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 1 अक्टूबर को अखिल भारतीय मॉडल (देश भर में सबसे आम तौर पर अपनाया जाने वाला) के अनुसार टमाटर का खुदरा मूल्य 40 रुपये प्रति किलोग्राम था. महीने के अंत तक यह बढ़कर 50 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया और 23 नवंबर को 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया- इस तरह यह दो महीने के भीतर 100 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
कीमतों में आई इस मुद्रास्फीति की हालत दक्षिण भारत में सबसे बदतर थी. तिरुवनंतपुरम में इस जिंस की कीमत 103 रुपये प्रति किलोग्राम थी. वही हैदराबाद में यह 90 रुपये किलो, बेंगलुरू में 88 रुपये किलो और पोर्ट ब्लेयर में 143 रुपये किलो बिक रहा था. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इसकी कीमत 26 नवंबर को बढ़कर 75-90 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई.
आजादपुर थोक बाजार में, टमाटर की आपूर्ति में 60 प्रतिशत की गिरावट आई और यह एक सप्ताह (18-25 नवंबर) के भीतर 489.2 टन से घटकर 192.3 टन हो गया, इसके दामों में इसी अनुसार मूल्य वृद्धि भी देखी गई.
कुछ महीने पहले भी टमाटर के बाजार में इसी तरह की प्रवृत्ति, आपूर्ति में गिरावट और कीमतों में वृद्धि देखी गई थी. तब त्योहारी मौसम में इसकी औसत दर में लगभग 300 प्रतिशत का उछाल आया था, जिससे उसकी कीमतें 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थीं.
इस बीच, प्याज की कीमत, जो पिछले दो वर्षों में कई बार 100 रुपये प्रति किलो का आंकड़ा पार कर चुकी थी, 1 अक्टूबर को 30 रुपये किलो थी. महीने के अंत तक यह बढ़कर 40 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी और तब से उसी स्तर पर बनी हुई है.
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कुछ महीनों तक स्थिति में सुधार की संभावना नहीं
टमाटर की ऊंची कीमतों के बारे में बात करते हुए आजादपुर बाजार में टमाटर के थोक व्यापारी मिंटू चौहान ने दक्षिण भारत में भारी बेमौसम बारिश की ओर इशारा किया.
वे बताते हैं, ‘दक्षिणी राज्य, विशेष रूप से कर्नाटक, साल के इस समय के दौरान टमाटर के प्रमुख आपूर्तिकर्ता होते हैं. मगर इस क्षेत्र में भारी बेमौसम बारिश के कारण इसकी खड़ी और तैयार फसलें बुरी तरह बर्बाद हो गई हैं. इसकी वजह से आस-पास के राज्यों जैसे महाराष्ट्र से जल्दी पकने वाली किस्मों की आपूर्ति दक्षिणी भारत में की जा रही है.’
चौहान आगे कहते हैं, ‘स्थिति में जल्द सुधार होने की संभावना भी नहीं है क्योंकि इन राज्यों की टमाटर की फसलें देश भर में सर्दियों की इसकी अधिकांश आपूर्ति के लिए उपयोग की जाती हैं. मध्य जनवरी और फरवरी से ही मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से नई फसलों की आवक होनी शुरू होगी और तभी कीमतें बेहतर होंगी.’
इससे पहले सितंबर के आखिर में उत्तरी राज्यों- पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भी बेमौसम बारिश हुई थी, जिससे टमाटर की फसल को नुकसान हुआ और आवक में देरी हुई और इस कारण टमाटर की कीमतें पहले से ही बढ़ गईं थीं. इसके बाद तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में हुई भारी बारिश ने आपूर्ति को और अधिक बाधित कर दिया.
26 नवंबर को जारी किये गए एक बयान में केंद्र सरकार ने चालू वर्ष के दौरान खरीफ उत्पादन 69.52 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) होने का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल 70.12 एलएमटी था. नवंबर में अवाक एक साल पहले की इसी अवधि में 21.32 एलएमटी की तुलना में 19.62 एलएमटी रही.
पिछले हफ्ते जारी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक (सामान्य से 105 फीसदी अधिक), आंध्र प्रदेश (40 फीसदी) और महाराष्ट्र (22 फीसदी) में अत्यधिक बारिश की कारण टमाटर की खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि चूंकि ये राज्य अक्टूबर-दिसंबर की अवधि के दौरान टमाटर के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं, इसलिए 25 नवंबर तक इसकी कीमतों में सालाना आधार पर 142 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में इसका उत्पादन शुरू होने और इसके बाजारों में पहुंचने तक लगने वाले दो और महीनों के दौरान उसका भाव ऊंचा ही रहेगा.
आजादपुर सब्जी मंडी के थोक व्यापारी बुद्धि राजा सिंह ने कहा कि इस साल हुई बेमौसम बारिश ने लगभग हर सब्जी की फसल को नुकसान पहुंचाया है, जिससे आपूर्ति की कमी और कीमतों में बढ़ोतरी हुई है.
सिंह कहते हैं, ‘मगर टमाटर की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है क्योंकि मानसून के शुरुआती महीनों में बारिश ने हिमाचल और आसपास के राज्यों की प्रमुख फसलों को नष्ट कर दिया था, और अब दक्षिणी राज्यों में देर से हो रही मानसून की बारिश में भी फसल की भारी बर्बादी देखी गई है. मंडी में टमाटर से लदे ट्रकों की रोजाना आवक 45-50 से गिरकर अब सिर्फ 8-12 रह गई है.‘
दक्षिणी राज्यों के व्यापारियों के लिए संकट ज्यादा गहरा है.
कर्नाटक के कोलार बाजार के थोक टमाटर व्यापारी मुकेश कुमार ने कहा, ‘हम यहां के किसानों के साथ फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट बनाते हैं और गुजरात, यूपी और दिल्ली जैसे राज्यों में थोक में टमाटर की आपूर्ति करने के लिए खरीदारों के साथ भी इसी तरह का अनुबंध करते हैं लेकिन इस सीजन में बारिश की वजह से सब कुछ पानी में बह गया है.’
वे कहते हैं, ‘अगर अनुबंध का पैसा वापस भी कर दिया जाता है तो भी इस सीजन में होने वाले व्यापार की उम्मीद से खरीदी गई पैकेजिंग सामग्री पर कम-से-कम 12-15 लाख रुपये का नुकसान होना तय है.’
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