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Sunday, 3 November, 2024
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तमिलनाडु और आंध्र ने PM को भेजा SOS, केरल का सरप्लस स्टॉक खत्म—ऑक्सीजन का संकट दक्षिण भारत भी पहुंचा

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल ने मोदी सरकार को लिखा है कि कोविड मामले बढ़ने के कारण उनके यहां आई कमी को देखते हुए उनकी ऑक्सीजन की बढ़ी मांग को पूरा किया जाए.

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चेन्नई: कोविड केस तेजी से बढ़ने के बीच दक्षिणी राज्यों को अब ऑक्सीजन की ज्यादा मांग या इसकी कमी का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में उनके बीच ऑक्सीजन को साझा करने की व्यवस्था भी चुनौतियों में घिर गई है.

केरल सरकार, जो सरप्लस मेडिकल ऑक्सीजन पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश को भी भेज रही थी, ने अब अपने यहां उच्च मांग का हवाला देते हुए आपूर्ति रोक दी है. तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश दोनों ने केंद्र को एसओएस संदेश भेजकर ऑक्सीजन का आवंटन बढ़ाने की मांग की है.

तमिलनाडु अब भी अपने दो संयंत्रों से ऑक्सीजन आंध्र भेज रहा है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह ‘राज्य के एक अहम संसाधन को सोख रहा है.’

केरल के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए आपूर्ति रोकनी पड़ी कि राज्य अपनी मांग पूरी करने में सक्षम बना रहे, यहां 15 मई तक केसलोड 6 लाख पहुंचने के आसार है.

तीनों राज्यों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को ऑक्सीजन की उच्च मांग को मंजूरी देने और कमी के कारण उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में लिखा है. तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में अस्पतालों ने भी ऑक्सीजन की कमी या संबंधित मामलों के कारण मरीजों के मरने की सूचना भी दी है.

तमिलनाडु के अधिकारियों ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि उन्हें चार निजी कंपनियों से ऑक्सीजन मिल रही है और उन्हें ओडिशा से ऑक्सीजन ट्रेन आने का इंतजार है. इस बीच, तमिलनाडु के थूथुकुडी में स्टरलाइट संयंत्र ने गुरुवार को उत्पादन शुरू कर दिया.


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पीएम मोदी को लिखे पत्र

मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इसी हफ्ते की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा था कि ये राज्य अब अपने पड़ोसी राज्यों को और अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं कर सकता है, क्योंकि ऑक्सीजन का इसका बफर स्टॉक घटकर 86 टन रह गया है.

राज्य की पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन तिरुवनंतपुरम और पलक्कड़ में अतिरिक्त ऑक्सीजन उत्पादन केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है, और सरकार ने उद्योगों के पास बिना इस्तेमाल के ही पड़े लगभग 2,473 औद्योगिक ऑक्सीजन सिलेंडर हासिल कर लिए हैं.

केरल सोशल सिक्यूरिटी मिशन के कार्यकारी निदेशक डॉ. मोहम्मद असील ने दिप्रिंट से कहा, ‘शुरुआत में हमने दक्षिण के अन्य राज्यों की सिर्फ इसलिए मदद नहीं की क्योंकि हमारे पास ऑक्सीजन का सरप्लस स्टॉक था, बल्कि इसलिए भी की कि क्योंकि ऐसी त्रासदी के समय हमें एक-दूसरे का साथ देने की जरूरत थी. अब हमारे मुख्यमंत्री ने कहा है कि हम इस तरह का सहयोग आगे जारी रखने की स्थिति में नहीं हैं.’

विजयन के पत्र में जहां इस बात का उल्लेख है कि केरल केवल 10 मई तक ही तमिलनाडु को आवंटित 86 टन ऑक्सीजन भेजने में सक्षम होगा, तमिलनाडु में एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि तमिलनाडु ने पड़ोसी राज्यों को बता दिया कि वह उन्हें दो और दिन ही आपूर्ति जारी रख पाएगा.

तमिलनाडु भी अपने लोगों को मेडिकल ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए दबाव झेल रहा है. 7 मई को मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र को पत्र लिखकर आवंटन बढ़ाने की मांग की थी. पत्र में लिखा था, ‘इस समय तमिलनाडु में मेडिकल ऑक्सीजन की दैनिक खपत 440 टन है. अगले 2 हफ्तों में हमारी ऑक्सीजन की जरूरत 440 मीट्रिक टन और बढ़कर 880 मीट्रिक टन के आसपास पहुंच जाने का अनुमान है.

राज्य में ऑक्सीजन की मॉनीटरिंग और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए नोडल अधिकारी के. नानथकुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘पहले आईनॉक्स पलक्कड़ की तरफ से तमिलनाडु को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही थी, लेकिन अब लिंडे तमिलनाडु को ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगी. सेंट गोबेन लिंडे (तमिलनाडु में) अब राज्य को लगभग 60 मीट्रिक टन की आपूर्ति करेगी. इसमें किसी बाधा को रोकने के लिए पिछले दो दिनों में आपूर्ति बंद कर दी गई थी. 11 मई को पलक्कड़ ने 40 मीट्रिक टन ऑक्सीजन भेजी और 12 मई को उसने 30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तमिलनाडु भेजी.’

चार निजी कंपनियां हैं जो मौजूदा समय में तमिलनाडु को 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रही हैं. ये हैं नेशनल ऑक्सीजन, सेंट गोबेन लिंडे, आईनॉक्स और सिगसिलसोल प्राइवेट लिमिटेड.

नानथकुमार ने कहा, ‘अब से तीन दिन बाद राउरकेला से एक ऑक्सीजन ट्रेन आने की उम्मीद है. हमने 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का ऑर्डर दिया है.’

इस बीच, ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे एक और राज्य आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी मंगलवार को केंद्र को पत्र लिखकर ऑक्सीजन की अतिरिक्त आपूर्ति की मांग की है.

उन्होंने लिखा, ‘24 अप्रैल तक आंध्र प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन 480 मीट्रिक टन था. 8 मई को आंध्र के आवंटन में संशोधन करके 590 मीट्रिक टन कर दिया गया, हालांकि इस दिन हमारा केसलोड 1,87,392 था… इसलिए मैं आपसे लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन बढ़ाकर 910 मीट्रिक टन करने के लिए दखल देने और 20 एलएमओ टैंकर भी आवंटित करने का आग्रह करता हूं, ताकि सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके…’

आंध्र प्रदेश इस समय चेन्नई स्थित सेंट गोबेन संयंत्र से 35 मीट्रिक टन, तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर स्थित एक संयंत्र से 23 मीट्रिक टन, कर्नाटक के बेल्लारी स्थित संयंत्र से 20 मीट्रिक टन और ओडिशा से 210 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ले रहा है.

नानथकुमार ने जहां इस बात की पुष्टि की कि तमिलनाडु अपने संयंत्रों से आंध्र प्रदेश को ऑक्सीजन की आपूर्ति जारी रखेगा, राज्य के एक अन्य अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ये आपूर्ति राज्य के एक महत्वपूर्ण संसाधन का सोख रही है.

एक तीसरे अधिकारी, जो अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते थे, ने कहा, ‘यह मॉनिटरिंग की समस्या नहीं है, बजाये इसके यह डिमांड और सप्लाई में अंतर की चुनौती है.’

दिप्रिंट ने आंध्र प्रदेश में ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए नोडल अधिकारी शान मोहन सागिल से संपर्क करके राज्य को केरल की तरफ से आपूर्ति रोके जाने के बारे में प्रतिक्रिया जाननी चाही. लेकिन उन्होंने कहा कि वह ‘अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते’ और वे ‘इस पर मंथन कर रहे हैं.’

दक्षिणी राज्य ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे

केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने जहां केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को पत्र लिखकर ऑक्सीजन के स्टॉक और इसकी कमी की स्थिति का ब्योरा दिया है, दक्षिण के दो अन्य राज्य राज्यों कर्नाटक और तेलंगाना को भी ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा है.

कर्नाटक स्थित चामराजनगर जिला अस्पताल में 24 मरीजों की मौत, सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो गई थी, के कुछ ही दिनों बाद सोमवार को उसी अस्पताल में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण 20 अन्य मरीजों की मौत हो गई थी, जिनमें 15 कोविड पीड़ित थे.

उसी दिन, आंध्र प्रदेश के तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर रामनारायण रुइया सरकारी अस्पताल में कोविड का इलाज करा रहे 11 मरीजों की भी ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री रेड्डी ने इसके लिए कर्नाटक और तमिलनाडु से ऑक्सीजन की आपूर्ति में ‘देरी’ को जिम्मेदार ठहराया.

तमिलनाडु के चेंगलपट्टू स्थित सरकारी अस्पताल में 4 मई को ऑक्सीजन प्रेशर में गिरावट के कारण 13 कोविड मरीजों की जान चली गई थी. हालांकि, अस्पताल के डीन ने इस बात से इंकार किया कि ऑक्सीजन की कोई कमी थी यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में भी सीएम स्टालिन ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ कहा था.

तेलंगाना के गाचीबोवली स्थित तेलंगाना आयुर्विज्ञान संस्थान (टिम्स) में इस हफ्ते ऑक्सीजन की कथित कमी के कारण आठ लोगों की मौत हो गई. हालांकि, अस्पताल ने बाद में एक बयान में दावे का खंडन करते हुए कहा कि मौतें प्राकृतिक कारणों से हुई थीं.

केरल के निजी अस्पताल भी ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं. कासरगोड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (किम्स) सनराइज हॉस्पिटल को सोमवार को अपने सभी कोविड मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट करना पड़ा. कासरगोड स्थित एक निजी अस्पताल अरमाना हॉस्पिटल एंड हार्ट सेंटर में भी मंगलवार को अपने मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं बचे थे.

चेन्नई के सरकारी मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. एल. पार्थसारथी, जो इस समय राज्य में ऑक्सीजन नियंत्रण कक्ष का जिम्मा संभाल रहे हैं, ने कहा, ‘दक्षिणी राज्यों में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है क्योंकि अधिकांश ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र देश के उत्तरी क्षेत्र में. यहां तक कि अगर उन्हें ट्रेन से भेजा जाए तो भी यहां तक पहुंचने में कई दिन लगेंगे.’

उन्होंने कहा कि तब तक ‘कोई नहीं जानता कि तमिलनाडु को किस तरह के संकट का सामना करना पड़ सकता है.’

तमिलनाडु को सिंगापुर से 300 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मिलने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘नतीजतन दक्षिणी राज्य भौगोलिक रूप से (ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए) करीब देशों पर भरोसा जता रहे है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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